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    Cyclone Montha Weather: बिहार में मोंथा का बड़ा असर, मौसम विभाग ने दी ये चेतावनी, रिमझिम बारिश से दिन में ही लग रही ठंड

    By Hirshikesh Tiwari Edited By: Alok Shahi
    Updated: Fri, 31 Oct 2025 03:11 AM (IST)

    Cyclone Montha Weather: बिहार में मोंथा चक्रवात का प्रभाव गंगा के तटवर्ती जिलों में व्यापक रूप से नजर आने लगा है। बीते तीन दिन से आसमान में बादलों का डेरा बना हुआ है। बुधवार से रुक-रुककर हो रही बारिश ने मौसम का मिजाज पूरी तरह बदल दिया है। दो दिनों से सूर्यदेव के दर्शन तक नहीं हुए हैं दिन से रात तक कभी फुहार, तो कभी बूंदाबांदी के कारण गुरुवार को अधिकतम तापमान में 6 डिग्री सेल्सियस तक की गिरावट दर्ज की गई। लोगों को दिन में ही हल्की ठंड का एहसास होने लगा। 

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    Cyclone Montha Weather: बिहार में मोंथा चक्रवात का व्यापक प्रभाव गंगा के तटवर्ती जिलों में स्पष्ट रूप से नजर आने लगा है।

    संवाद सहयोगी, भागलपुर। Cyclone Montha Weather बिहार में मोंथा चक्रवात का प्रभाव गंगा के तटवर्ती जिलों में स्पष्ट रूप से नजर आने लगा है। पिछले तीन दिनों से आसमान में बादलों की घेराबंदी बनी हुई है। बुधवार से रुक-रुककर हो रही हल्की बारिश ने मौसम का मिजाज बदल दिया है। कभी फुहार तो कभी बूंदाबांदी के बीच गुरुवार को अधिकतम तापमान में पिछले तीन दिनों में 6 डिग्री सेल्सियस की गिरावट दर्ज की गई। दिन में ही हल्की ठंड का एहसास होने लगा। दो दिनों से सूर्यदेव के दर्शन नहीं हुए हैं। हवा में नमी बढ़ी है और आस-पास हल्का कोहरा-सा छाया रहा। मौसम विशेषज्ञों और कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि मोंथा चक्रवात का प्रभाव कम समय में समाप्त हो गया तो रबी सीजन पर इसका बहुत अधिक असर नहीं पड़ेगा। नवंबर के पहले सप्ताह में तापमान का गिरना गेहूं और सरसों की बुवाई के लिए अनुकूल माना जा रहा है।

    धान की फसल पर खतरे का साया

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    कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, यदि चक्रवात के कारण वर्षा की तीव्रता बढ़ती है तो धान की फसल के लिए यह नुकसानदेह साबित हो सकता है। खेतों में जलभराव की स्थिति बनने से कटी अथवा खड़ी फसल झुक सकती है, जिससे दाने काले पड़ने और फुटने में दिक्कत की आशंका बढ़ जाती है। हालांकि फिलहाल भागलपुर में वर्षा की मात्रा कम रही है, लेकिन अगले 48 घंटे महत्वपूर्ण बताए जा रहे हैं। बारिश बढ़ने पर नुकसान की संभावना अधिक बनेगी।

    सब्जी और दलहन फसलों में सड़न-फफूंद का जोखिम

    सब्जियों (टमाटर, गोभी, बैंगन, मिर्च) और दलहन में अधिक नमी के कारण फफूंद रोग फैलने की आशंका है। खेतों में पानी भरने से जड़ गलन, पत्ती झुलसा तथा कीट संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है। किसानों को फसल की सुरक्षा के लिए निकास व्यवस्था मजबूत करने और फफूंदनाशी दवाओं का छिड़काव मौसम खुलने पर करने की सलाह दी गई है।

    बीएयू मौसम विज्ञान विभाग का अपडेट

    बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर द्वारा जारी मौसम बुलेटिन के अनुसार गुरुवार को अधिकतम तापमान: 26.7 डिग्री सेल्सियस, न्यूनतम तापमान 22.6 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया। 89 प्रतिशत आद्रता के साथ 6.8 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से पश्चिमी हवा चल रही है। पिछले 24 घंटे में भागलपुर में 12.5 एमएम वर्षा रिकार्ड किया गया। मौसम विज्ञानी डा. बीरेंद्र कुमार ने बताया कि शुक्रवार को भी आसमान में बादल छाए रहेंगे, हल्की से मध्यम वर्षा का अनुमान है। शनिवार से धूप निकलने की संभावना जताई गई है, जिससे मौसम में कुछ सुधार हो सकता है।

    तीन दिनों में तापमान में तेजी से गिरावट
    तारीख अधिकतम (डिग्री सेल्सियस) न्यूनतम (डिग्री सेल्सियस)

    • 28 अक्टूबर   32.6    22.3
    • 29 अक्टूबर   29.8    23.8
    • 30 अक्टूबर   26.7    22.6

    किसानों के लिए सुझाव

    • खेत में पानी निकासी की व्यवस्था सुनिश्चित करें
    • धान की तैयार फसल को लंबे समय तक खेत में न छोड़ें
    • सब्जी फसलों में रोगनाशक मौसम खुलने के बाद छिड़कें
    • कटाई एवं गहाई का काम मौसम साफ होने तक टालें
    • दालों और तिलहनों में कीट रोग की नियमित जांच करें