विश्वास के रिश्ते ने 'विशाल स्वर्णिका' को ऊंचाईयों पर पहुंचाया
सफल व्यवसायी वही होता है जो अपने अधिनिस्थ काम करने वाले कर्मियों पर भरोसा जताए। दुकानें बंद होने के बाद भी किसी कर्मी को नहीं हटाया। दुकान का हर कर्मच ...और पढ़ें

भागलपुर, जेएनएन। छोटे से बड़े काम में हर किसी का सहयोग होना जरूरी है। बिना सहयोग और बेहतर संबंध के कोई भी एक कदम भी आगे नहीं बढ़ सकते। चाहे वह व्यापार की ही बात क्यों न हो। ऐसा ही बानगी शहर के प्रतिष्ठित ज्वेलर्स शोरूम 'विशाल स्वर्णिका ज्वलेर्स' ने पेश की है। लॉकडाउन में करीब चार महीने तक दुकानें बंद होने के बाद भी इन्होंने हिम्मत नहीं हारी। 30 वषों से ग्राहकों के साथ बेहतर संबंध आखिरकार काम आया। दुकानें बंद रहने के बाद भी ग्राहकों ने बखूबी साथ निभाया। बात मई महीने की है, आदमपुर निवासी विजय शर्मा की घर में कुछ शुभ कार्य का आयोजन था। ऐसे में उन्हें सोने की कुछ जेवरात की जरूरत थी। सोने-चांदी की दुकानें बंद होने के कारण काफी परेशान हुए। इस बीच अपने पसंदीदा और भरोसेमंद 'विशाल स्वर्णिका' के मालिक को फोन कर अपने स्थिति से अवगत कराए। कुछ ही घंटे में उन्हें घर पर सारा सामान पहुंचाया। लॉकडाउन में तिलकामांझी के आनंद कुमार सिंह के घर भी कोई फंक्शन था। इस समारोह में कुछ सोने की ज्वलेरी की जरूरत थी। शहर में दुकानें बंद होने के कारण इन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें या क्या नहीं। इस बीच इन्होंने 'विशाल स्वर्णिका' से अपनी आपबीती बताई। बस, क्या था ग्राहकों के बेहतर संबंध होने के नाते तुरंत घर पर सामान पहुंचाया, घर में खुशी का ठिकाना नहीं रहा। इसी तरह कई ग्राहकों को विशाल स्वर्णिका ज्वलेर्स ने लॉकडाउन में भरपूर सहयोग किया और उन्हें मदद की। आज इस शोरूम की पहचान जिले में अलग है। 'विशाल स्वर्णिका' के मालिक विशाल आनंद बताते हैं कि लॉकडाउन में दुकानें बंद रहने से परेशानियों का सामना करना पड़ा, लेकिन इस परेशानी का डटकर मुकाबला किया। ग्राहकों को ऑनलाइन ज्वलेरी की आपूर्ति की।
30 वर्षों से है ग्राहकों का साथ
'विशाल स्वर्णिका ज्वलेर्स' के मालिक विशाल आनंद ने बताया कि उनका शोरूम पिताजी ने 30 वर्ष पहले खोली थी। 12 हजार से ज्यादा नियमित ग्राहकों का साथ मिला है। वह बताते हैं कि व्यवसाय शुरू करने के साथ उसके संचालन से लेकर ग्राहकों के साथ बेहतर संबंध स्थापित करना भी अपने आप भी मायने रखता है। शोरूम पर आने वाले हर ग्राहकों से सुझाव भी लेते हैं। ग्राहकों को जो पसंद आए उसे अमल करने की भरसक कोशिश रहती है, इस पर पूरा उतरने का हमेशा सार्थक प्रयास रहता है। आज सभी ग्राहकों के साथ विशेष पहचान है। जो नियमित ग्राहक हैं, वे दूसरी जगह खरीदारी करने नहीं पहुंच सकते। विश्वास का रिश्ता ऐसा है कि कि वह दूसरी दुकान में नहीं जा सकते। एक उदाहरण देते हुए विशाल आनंद ने बताया कि किसी ग्राहक को ज्वलेर्स की जरूरत थी। दुकान बंद था, ऐसे में उन्होंने फोन कर कुछ ज्वेलरी लेने की बात कही। जब दुकानें बंद होने के बारे में बताया तो ग्राहक ने कहा कोई बात नहीं, जरूरी है लेकिन अगले दिन आकर खरीदारी कर लेंगे। यही वजह है कि आज इस दुकान की पहचान घर-घर है। लोगों के घरों तक विशाल स्वर्णिका ज्वेलर्स ने पहुंच बना ली है।
मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी छोड़ व्यवसाय में उतरे
विशाल आनंद महाराष्ट्र के पुणे स्थित नामचीन कॉलेज से एमबीए की पढ़ाई पूरी की। करीब दो साल तक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने के बाद पिताजी के व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए महानगर की चकाचौंध को छोड़कर भागलपुर वापस आ गए और व्यापार में उतर गए। लॉकडाउन में दुकानें बंद रहने के बाद भी किसी भी कर्मी को नहीं हटाया। इनका मानना है कि कर्मी परिवार की तरह है। 30 सालों तक साथ देने के बाद अचानक उन्हें कैसे हटा दें।
दुकानें बंद फिर भी एक भी कर्मी को नहीं हटाया
सफल व्यवसायी वही होता है जो अपने अधिनिस्थ काम करने वाले कर्मियों पर भरोसा जताए। दुकानें बंद होने के बाद भी किसी कर्मी को नहीं हटाया। दुकान का हर कर्मचारी परिवार की तरह होता है। जिस तरह घर के सदस्य आपके सुख और दु:ख में साथ रहते हैं तो उसी तरह दुकान का हर स्टॉफ परिवार की तरह ही है। दुकान के मालिक हो या कर्मचारी सभी ग्राहकों से दोस्त और अभिभावक जैसा संबंध रखते हैं। दुकान पर हर दिन ग्राहकों की सेवा पूरे तनमन्यता के साथ करने की कोशिश रहती है। जहां जरूरत पड़ी वह खुद घर तक ज्वेलरी लेकर पहुंच जाते थे। आज दुकान की पहचान घर-घर हो गई है।

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