Bhagalpur News: विक्रमशिला-कटरिया रेल पुल बनने लोगों का चार दशक पुराना सपना होगा साकार, मिलेंगी ये सुविधाएं
भागलपुर में गंगा पर बन रहा रेल पुल केवल यातायात का साधन नहीं बल्कि यह क्षेत्र की सांस्कृतिक और आर्थिक प्रगति का प्रतीक बनेगा। इस पुल से शैक्षणिक कृषि सांस्कृतिक और धार्मिक क्षेत्रों में विकास होगा। गुवाहाटी-दिल्ली मेन लाइन और गोड्डा-पीरपैंती रेललाइन से जुड़ाव होने से कनेक्टिविटी बढ़ेगी और रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे। किसानों को अपने उत्पादों को बेहतर बाजार में बेचने का मौका मिलेगा।

आलोक कुमार मिश्रा, भागलपुर। गंगा की वजह से दो हिस्सों में बंटा भागलपुर जिला रेल मार्ग से तीन साल में जुड़ जाएगा और लोगों का चार दशक पुराना सपना भी साकार हो जाएगा। यह पुल सिर्फ आवाजाही का साधन नहीं होगा बल्कि शैक्षणिक, खेती-किसानी, सांस्कृतिक, धार्मिक और आर्थिक दृष्टि से मजबूत अंग के दियारा क्षेत्र में चहुमुखी विकास का भी द्वार खोलेगा।
यह रेल लाइन एक तरफ गुवाहटी-दिल्ली मैन लाइन से सीधे जुड़ेगा तो दूसरी तरफ गोड्डा-पीरपैंती रेललाइन के बिछने के बाद झारखंड के बड़े इलाके से जुड़ेगा।
भागलपुर शहर से करीब 30 किलोमीटर दूर गंगा पर 26.23 किलोमीटर लंबी विक्रमशिला-कटरिया न्यू डबल लाइन रेल पुल के बनने और गोड्डा-पीरपैंती रेललाइन बिछने से पूरे क्षेत्र में कनेक्टिविटी बढ़ जाएगी। विभिन्न तरहों से आर्थिक उन्नति आएगी।
छोटे-छोटे उद्योग लगाने और उसके उत्पाद को लाने ले जाने की सुविधाएं होंगी, रोजगार के साधन बढ़ेंगे। किसान अपने उत्पाद को बाजार में सही समय पर भेज और बेच सकेंगे। उन्हें बड़े बाजारों में अपनी फसलों या अन्य नकदी उत्पादों की बेहतर कीमत मिलेगी।
केंद्रीय विक्रमशिला विश्वविद्यालय की स्थापना भी इसी इलाके में होनी है। इससे बाहर के विद्यार्थियों को चौतरफा रेल सुविधा उपलब्ध होगी। इस इलाके का एक बड़ा दियारा क्षेत्र कटिहार के मनिहारी ब्लॉक में पड़ता है, जबकि किसान भागलपुर जिले में निवास करते हैं। ऐसे में उन्हें प्रखंड मुख्यालय आने-जाने में सुविधा होगी।
गोड्डा सांसद निशिकांत दूबे ने कहा कि यह नया रेल पुल इस क्षेत्र के विकास में मील का पत्थर साबित होगा। पर्यटन और धार्मिक स्थल को मिलेगा बढ़ावा जिले में रेल पुल के बनने से प्राचीन विक्रमशिला विश्वविद्यालय के उत्खनन स्थल से करीब डेढ़ किमी की दूरी पर भवानीपुर स्टेशन होगा। जिससे पर्यटकों को भग्नावशेषों तक पहुंचने में आसानी होगी।
प्रसिद्ध शैव स्थल बटेश्वर स्थान में सावन माह में गंगा पार के श्रद्धालुओं को आने-जाने की सुविधा काफी सुलभ हो जाएगी। अभी विक्रमशिला स्टेशन उत्खनन स्थल से लगभग पांच किमी की दूरी पर है। पर्यटकों को पांच किमी की दूरी ग्रामीण सड़क पर तय करनी होती है।
खनन का बढ़ेगा दायरा
एनटीपीसी से उत्सर्जित फ्लाई ऐश, झारखंड के पत्थर व्यवसाय, ललमटिया से निकलने वाले कोयले के ट्रांसपोर्टेशन को नया मार्ग मिलेगा। वर्तमान में जो भी गंगा पार करने के विकल्प हैं, इस रेल पुल से दूरी काफी कम हो जाएगी। चौतरफा रेल मार्ग होने से उद्योग स्थापना की संभावनाएं बढ़ेंगी।
पूर्वोत्तर जाने वाली ट्रेनों की घटेगी दूरी, मालगाड़ी का भी घटेगा दबाव
विक्रमशिला-कटरिया न्यू डबल लाइन रेल पुल व गोड्डा-पीरपैंती रेललाइन बिछने से बाढ़ आदि परिस्थितियों में ट्रेनों के संचालन के लिए वैकल्पिक मार्ग मिल जाएगा। इससे ट्रेनों को रद करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
साहिबगंज-भागलपुर-जमालपुर रेलखंड में मालगाड़ियों का 50 प्रतिशत तक दबाव कम होगा। वर्तमान में नार्थ-ईस्ट जाने वाली मालगाड़ी भी भागलपुर से मुंगेर किऊल होकर चल रही है।
विक्रमशिला-कटारिया रेललाइन पुल के बनने के बाद नार्थ-ईस्ट के लिए एक और रास्ता मिल जाएगा। भागलपुर जिले के लोगों को नई ट्रेनें मिलेंगी।सबौर के पास बनेगा वाई-लेग सेक्शन इधर, कटरिया को मालदा मंडल में भागलपुर विक्रमशिला से जोड़ा जाएगा।
इसी के साथ एक वाई-लेग सेक्शन सबौर के पास बनाने का भी प्रस्तावित है। दो माह पहले 28 मार्च को पूर्व रेलवे के महाप्रबंधक मिलिंद के देउस्कर ने यहां निरीक्षण भी किया था। रेलमंत्री ने भी रेल अधिकारियों के साथ वर्चुअली बैठक कर रेल परियोजनाओं में इस मेगा ब्रिज की जानकारी दी थी। इससे 95 करोड़ किलोग्राम कार्बन का कम उत्सर्जन होगा।
विक्रमशिला-कटारिया डबल लाइन रेल पुल बनने और गोड्डा-पीरपैंती रेललाइन के बनने से एडिशनल रूट मिलेगा। इससे कनेक्टिविटी के साथ-साथ क्षेत्रीय विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।
मनीष कुमार गुप्ता, डीआरएम मालदा।
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