UPSC Civil Services Final Result: बिहार की अंकिता अग्रवाल ने अंकित किया दूसरा स्थान, पढ़ें यूपीएससी सेकेंड टॉपर बिटिया की Success Story
UPSC Civil Services final result बिहार के मधेपुरा की अंकिता अग्रवाल को दूसरी रैंक मिली। दो दशक पूर्व परिवार के साथ कोलकाता शिफ्ट हो गई थीं अंकिता। दिल्ली में की तैयारी। पिता ने बताया-बचपन से ही बेटी बनना चाहती थी आइएएस। पढ़ें मधेपुरा से निकलीं अंकिता की Success Story...
संवाद सूत्र, बिहारीगंज (मधेपुरा)। UPSC Civil Services final result: यूपीएससी की परीक्षा में बिहारीगंज की बेटी अंकिता अग्रवाल ने देश में दूसरी रैंक हासिल की है। अंकिता की प्रारंभिक शिक्षा बिहारीगंज में ही हुई थी। कोलकाता व दिल्ली में उन्होंने उच्च शिक्षा ली। अभी अंकिता दिल्ली में ही हैं। दिल्ली से ही उन्होंने यूपीएससी की तैयारी की। पहले भी परीक्षा दें चुकी अंकिता अग्रवाल की Success Story में उनके स्वजनों का अहम रोल रहा।
अंकिता के पिता मनोहर अग्रवाल हार्डवेयर व्यवसायी हैं। बिहारीगंज की दुकान उन्होंने अपने जीजा मिट्ठू लाल अग्रवाल को सौंप दी है। मनोहर अग्रवाल ने मोबाइल फोन पर बताया कि उनकी पुत्री अंकिता का बचपन से ही आइएएस बनने का सपना था। उन्होंने कठिन परिश्रम और स्मार्ट वर्क से अपने सपने को पूरा किया।
बिहारीगंज से ली प्राथमिक शिक्षा
अंकिता के पिता ने बताया कि अंकिता ने माडर्न पब्लिक स्कूल, बिहारीगंज में तीसरी कक्षा तक पढ़ाई की। दिल्ली पब्लिक स्कूल, कोलकाता से टेन प्लस टू किया। उसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र से आनर्स किया। दिल्ली के एक चर्चित कोचिंग संस्थान में उन्होंने यूपीएससी की तैयारी की।
पहले भी क्रैक कर चुकी हैं यूपीएससी
2019 में भी उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा में 236 वीं रैंक मिली थी। लेकिन अपने सपनों को उड़ान देने, आईएएस बनने की चाहत रखने वाली अंकिता ने फिर से परीक्षा में बैठने का निर्णय लिया और इसबार परचम लहरा दिया।
अंकिता के दादा मालीराम अग्रवाल भी अपनी पौत्री की सफलता की खबर सुनकर काफी खुश हैं। अंकिता के दादा ने बताया कि अंकिता बराबर पढ़ाई में लगी रहती थी। उसकी मेहनत का परिणाम ही सफलता के रूप मे सामने आया है। मधेपुरा की बेटी की सफलता की कहानी सुनकर पूरा मधेपुरा आह्लादित है।
बचपन से ही मेधावी है अंकिता
अंकिता के स्वजनों ने कहा कि वह बचपन से ही पढ़ाई के प्रति गंभीर थी। उसे कभी भी पढ़ाने करने के लिए कहने की जरुरत नहींं पड़ी। हमेशा अपने स्कूल में बढि़या रिजल्ट किया। शिक्षकोंं के बीच रहना, उनसे अपनी जिज्ञासाओं को सुझलाना और पूछना यही अंकिता की आदत थी। इस कारण वह रोज कुछ ना कुछ नया सीखती रहती थी। अंकिता की इस उपलब्धि पर लोगों में खुशी है। उनके शिक्षक भी आज गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। अंकिता की उपलब्धि पर लोगों ने मिठाईयां बांटी।
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