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    Trump Tariff India: अमेरिकी टैरिफ की चपेट में भागलपुर का सिल्क कारोबार, 75 करोड़ का माल फंसा

    Trump Tariff India अमेरिकी टैरिफ से भागलपुर के सिल्क व्यापार पर संकट सा खड़ा हो गया है। अनिर्णय की स्थिति के चलते करोड़ों का माल फंसा हुआ है। फिलहाल बड़े-बड़े निर्यातकों ने आर्डर उठाने से हाथ खींच लिए हैं। वहीं नए आर्डर भी नहीं मिल रहे। भागलपुरी कपड़ों से अमेरिका में रेडीमेड गारमेंट्स और फर्निशिंग आइटम तैयार होते हैं।

    By Alok Shahi Edited By: Alok Shahi Updated: Fri, 29 Aug 2025 02:36 AM (IST)
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    Trump tariff updates: भागलपुर का रेशमी कारोबार ट्रंप टैरिफ की चपेट में आ गया है।

    परिमल सिंह, भागलपुर। Trump tariff updates भागलपुर का रेशमी कारोबार एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय संकट की चपेट में आ गया है। अमेरिका सरकार द्वारा कपड़ों पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने के बाद यहां के निर्यातक (व्यवसायी) मुश्किल में है। स्थिति यह है कि करोड़ों रुपये का तैयार माल गोदामों में डंप है। बड़े निर्यातकों ने भी दिए गए आर्डर उठाने से हाथ खींच लिया है।

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    बिहार बुनकर कल्याण समिति के पूर्व सदस्य अलीम अंसारी बताते हैं कि भागलपुर से तसर कटिया, कटिया-कटिया, मटका, घिचा, झूड़ी सिल्क आदि कपड़े अमेरिका भेजे जाते थे। वहां इन कपड़ों का इस्तेमाल रेडीमेड गारमेंट्स और फर्निशिंग आइटम्स में होता है। उन्होंने कहा कि अमेरिका में टैरिफ लगने से वहां का बाजार महंगा हो गया है। इसीलिए डिमांड कम हो गयी है। पुराने आर्डर रोक दिए गए हैं। उन्होंने दावा किया कि जिले में 75 करोड़ रुपये का तैयार माल डंप पड़ा हुआ है।

    मटका सिल्क का निर्यात बंद

    पुरैनी बुनकर समिति के अध्यक्ष अफजल आलम का कहना है कि भागलपुर से मटका सिल्क के बने फर्निशिंग आइटम अमेरिका में काफी पसंद किए जाते थे। लेकिन पिछले एक महीने से कोई शिपमेंट नहीं गया है। अफजल ने बताया कि अमेरिका से डिमांड बंद होने के कारण बुनकरों के अलावा रंगाई, प्रिंटिंग और पैकिंग से जुड़े कारीगर भी बेरोजगारी की कगार पर पहुंच गए हैं। वहीं नया बाजार स्थित सिल्क कारोबारी सुकेश अग्रवाल ने बताया कि अचानक से धागे की बिक्री घट गई है। कारोबार मंदा हो चुका है।

    बंग्लादेश के बाद अब अमेरिका से नुकसान

    चंपानगर तांती बाजार के बुनकर हेमंत कुमार ने बताया कि हाल के कुछ महीने बुनकरों के लिए बहुत कठिन रहे हैं। यहां के बुनकर पीढ़ियों से इस धंधे से जुड़े हुए हैं, लेकिन मौजूदा हालात ने उनके भविष्य को संकट में डाल दिया है। बंग्लादेश की सीमा सील होने के कारण साड़ी, लूंगी, धोती आदि पहले ही डंप हो चुके थे। अब अमेरिका के टैरिफ ने सिल्क उद्योग को संकट में डाल दिया है।

    उन्होंने कहा कि भागलपुर के बड़े निर्यातक भी इस संकट से जूझ रहे हैं। उनके अनुसार, आर्डर कैंसिल होने से लाखों रुपये का निवेश फंस गया है। कई निर्यातक अब मजदूरों की संख्या कम करने पर विचार कर रहे हैं। हेमंत ने कहा कि एक ओर धागे की कीमत बढ़ रही है, वहीं यहां के कपड़े की कीमत घटने लगी है।

    ऐसी स्थिति में बुनकर अब यह सोचने को मजबूर हो गए हैं कि वे इस पेशे को छोड़कर कोई दूसरा रोजगार तलाशें। अलीम अंसारी ने कहा, भागलपुर की पहचान ही सिल्क है। अगर यही धंधा चौपट हो गया, तो भागलपुर की शान खतरे में पड़ जाएगी। टैरिफ के कारण कई बुनकर परिवारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है।

    दवा, हीरा व हस्तशिल्प उद्योग पर भी प्रभाव

    आर्थिक मामलों के जानकार सीए प्रदीप कुमार झुनझुनवाला का कहना है कि अमेरिका द्वारा टैरिफ लगाने से दवा, हीरा और हस्तशिल्प उद्योग भी प्रभावित होने की संभावना है। देश में जो दवा का उत्पादन होता है, उसका 50 प्रतिशत अमेरिका को जाता है। यहां का हीरा 75 प्रतिशत और हस्तशिल्प 64 प्रतिशत का निर्यात अमेरिका को किया जाता है।