भागलपुर से पूर्णिया जाना हो तो एक बार विचार कर लें... आपको छह घंटे भी लग सकते हैं
कुरसेला पुल से लेकर बौंसी तक भाया विक्रमशिला सेतु जाम से भागलपुर टापू बन गया है। आठ दिसंबर से रोजाना जाम लग रहा है। लोग परेशान हैं। पुलिस विफल हो रही है।
भागलपुर [जेएनएन]। भागलपुर से पूर्णिया के बीच जगह-जगह लगने वाले जाम से लोग हलकान हैं। लोगों को दो घंटे की दूरी छह से आठ घंटे में पूरी करनी पड़ रही है। रोज-रोज लगने वाले जाम के कारण सड़कों पर चलने वाली बसों की संख्या आधी हो गई है। लोग अब बस और कार की जगह दो पहिया वाहनों का इस्तेमाल करने लगे हैं।
कुरसेला पुल से लेकर बौंसी तक भाया विक्रमशिला सेतु जाम से भागलपुर टापू बन गया है। आठ दिसंबर से रोजाना जाम लग रहा है। कुर्सेला पुल (कटिहार) से भागलपुर और भागलपुर से बौंसी (बांका) तक करीब 100 किलोमीटर तक प्रतिदिन जाम की स्थिति रहती है। इसका मुख्य कारण बंगाल से डायवर्ट हुए ट्रकों का रेला है। फरक्का ब्रिज की मरम्मत के कारण उत्तर बिहार, नॉर्थ इस्ट, नेपाल जाने वाले ट्रकों ने भागलपुर जिले का रुख कर लिया है। विक्रमशिला सेतु इस समय बिहार, बंगाल और झारखंड को जोडऩे वाला एक मात्र पुल है। एनएच-80 पर 24 घंटे में गुजरने वाले ट्रकों की संख्या तकरीबन 50 हजार हो गई है, जो पहले करीब 25 हजार थी।
भागलपुर से पूर्णिया तक लगने वाले जाम ने बिहार राज्य पथ परिवहन निगम की आर्थिक कमर तोड़ दी है। बसें जो रोजाना दो से चार बार दूसरे शहर में आया जाया करती थी, इन दिनों एक बार भी चक्कर नहीं लगा पा रही हैं। सरकारी बस स्टैंड तिलकामांझी से पूर्णिया, कटिहार, बांका, कुर्सेला, खगडिय़ा, देवघर, गोड्डा, दुमका, तारापुर, चलना, बेगूसराय समेत अन्य जिलों के लिए बस खुलती हैं। प्राइवेट बसों का भी वही हाल है। लंबी दूरी की बसें पूर्णिया से आ ही नहीं पाती हैं, जो झारखंड तक जाए। पूर्णिया-कटिहार के बीच चलने वाली बसें भी समय से नहीं चल पा रही है। परिवहन निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक (उडऩदस्ता) देवेश चौरसिया ने बताया कि डीजल की खपत जाम के कारण बीस प्रतिशत तक बढ़ गई है।
मुख्य बातें
-विक्रमशिला सेतु से लेकर पूर्णिया तक करना पड़ता है जाम का सामना
-बसों से जाने वाले यात्री करने लगे मोटर साइकल का इस्तेमाल
-बसों का परिचालन हुआ कम, प्रतिदिन एक ट्रिप लगाती हैं सरकारी व निजी बसें
-जाम से निराकरण के लिए होती हैं बैठकें, धरातल पर नहीं उतर पाता प्लान
-एनएच-80 पर 24 घंटे में गुजरने वाले ट्रकों की संख्या तकरीबन 50 हजार
-जाम में फंस रहे ट्रकों और बसों का माइलेज आधा, डीजल हो रहे बर्बाद
-ट्रकों के लिए बाइपास बना स्टैंड, सड़क हो रहा क्षतिग्रस्त
-एक वाहन के खराब होने पर थम जाता है हजारों ट्रकों का चक्का
-सरकारी बस स्टैंड से रोजाना खुलती थी 90 बसें, अभी आधे भी नहीं
-प्राइवेट बस स्टैंड में भी सन्नाटा, चौथाई से भी कम खुल रहीं बसें
-मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मरीजों की संख्या घटी, भागलपुर आने से कतराने लगे
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