सूफी परंपरा को जीवंत बनाने की कोशिश में जुटा टीएमबीयू, जल्द शुरू हो सकता है वोकेशनल कोर्स
तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) सूफी परंपरा को जीवंत करने के लिए प्रयासरत है। विश्वविद्यालय जल्द ही एक वोकेशनल कोर्स शुरू कर सकता है जिसक ...और पढ़ें

परिमल सिंह, भागलपुर। सूफी परंपरा को जीवंत बनाने के लिए एक बार फिर से तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) में प्रयास तेज हो गया है। इस विषय में रुचि रखने वाले छात्रों के लिए जल्द ही वोकेशनल कोर्स की शुरुआत हो सकती है। सीनेट और सिंडिकेट में प्रस्ताव पास भी हो चुका है।
अब विश्वविद्यालय का पर्शियन विभाग पारंपरिक कक्षा से आगे बढ़कर विद्यार्थियों को सूफी परंपरा की गहराइयों से जोड़ने की तैयारी में है। पर्शियन विभाग में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को सूफी दर्शन व साहित्य का आनलाइन प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह कार्यक्रम न केवल अकादमिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होगा, बल्कि विद्यार्थियों के सांस्कृतिक, रचनात्मक और आध्यात्मिक विकास में भी सहायक सिद्ध होगा।
पर्शियन विभाग के विभागाध्यक्ष डा. अबू मोहम्मद हलीम अख्तर ने बताया कि सूफी परंपरा का फारसी साहित्य से गहरा और ऐतिहासिक संबंध रहा है। जलालुद्दीन रूमी, हाफिज, सादी और अमीर खुसरो जैसे महान सूफी संतों और कवियों की रचनाएं प्रेम, मानवता और सार्वभौमिक भाईचारे का संदेश देती हैं।
इन रचनाओं का प्रभाव आज भी पूरी दुनिया में देखा जा सकता है। इसी समृद्ध परंपरा को विद्यार्थियों तक पहुंचाने के उद्देश्य से यह प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार किया गया है। उन्होंने बताया कि अभी नौ करोड़ लोग पूरी दुनिया में फारसी भाषा बोलते हैं।
कार्यक्रम के तहत देश के प्रतिष्ठित और अनुभवी सूफी विद्वानों को आनलाइन माध्यम से जोड़ा जाएगा। इन सत्रों में विद्यार्थियों को सूफी दर्शन की मूल अवधारणाओं, सूफी काव्य की व्याख्या, सूफी संगीत की बारीकियों और उसकी सांस्कृतिक पृष्ठभूमि से अवगत कराया जाएगा।
इसके साथ ही सूफी विचारधारा में निहित प्रेम, सौहार्द, सहिष्णुता और इंसानियत जैसे मूल्यों पर भी संवाद होगा। इससे छात्र-छात्राओं में मानवीय संवेदनाओं का विकास होगा और उनकी सामाजिक समझ अधिक व्यापक बनेगी।
रोजगार और करियर के नए अवसरों की मिलेगी जानकारी
इस पहल के माध्यम से विद्यार्थियों को रोजगार और करियर के नए अवसरों की जानकारी भी दी जाएगी। सूफी साहित्य और संगीत से जुड़े विशेषज्ञों की मांग रेडियो, टेलीविजन, डिजिटल प्लेटफॉर्म, शोध संस्थानों और विदेशी विश्वविद्यालयों में लगातार बढ़ रही है।
विशेष सत्रों में विद्यार्थियों को बताया जाएगा कि किस प्रकार सूफी अध्ययन के माध्यम से वे अकादमिक शोध, सांस्कृतिक कार्यक्रमों, मीडिया और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी पहचान बना सकते हैं।
खानकाह पीर दमड़िया शाह की समृद्ध विरासत को जोड़ा जाएगा
सूफी परंपरा से जुड़े सांस्कृतिक पक्ष को मजबूत करने के लिए खानकाह पीर दमड़िया शाह की समृद्ध विरासत को भी इस कार्यक्रम से जोड़ा जाएगा। यह दरगाह भागलपुर में सूफी संस्कृति और गंगा-जमुनी तहजीब का एक महत्वपूर्ण प्रतीक मानी जाती है, जहां हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के लोग समान श्रद्धा के साथ आते हैं। यह विरासत विद्यार्थियों को सांप्रदायिक सौहार्द और सांस्कृतिक एकता का जीवंत उदाहरण प्रस्तुत करेगी।
कई विभागों के छात्रों को जोड़ने की तैयारी
सूफी विषय पर एक बहुविषयक कार्यशाला भी जल्द आयोजित की जाएगी। इसमें पर्शियन विभाग के साथ-साथ अंगिका, बंगला, मैथिली, उर्दू, संस्कृत सहित अन्य विभागों के छात्र-छात्राओं को जोड़ा जाएगा।
विभागाध्यक्ष डॉ. हलीम के अनुसार यह पहल विद्यार्थियों को पारंपरिक पढ़ाई से आगे बढ़कर व्यावहारिक और रचनात्मक कौशल विकसित करने का अवसर देगी। आनलाइन व्यवस्था होने के कारण देश-विदेश से अधिक से अधिक विद्यार्थी और विशेषज्ञ इस कार्यक्रम से जुड़ सकेंगे। जिससे टीएमबीयू को एक नई शैक्षणिक और सांस्कृतिक पहचान मिलने की उम्मीद है।

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