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    बिहार को 5 मुख्यमंत्री दिए इस विश्वविद्यालय ने... राजधर्म की पाठशाला बना राजपाट का पावर सेंटर, राजनीति से है गहरा नाता

    By Prashant Kumar Edited By: Alok Shahi
    Updated: Thu, 23 Oct 2025 01:17 AM (IST)

    Bihar Elections:तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) शिक्षा और राजनीति का केंद्र रहा है। टीएनबी कॉलेज ने बिहार को चार मुख्यमंत्री दिए हैं। जगन्नाथ मिश्रा, भागवत झा आजाद जैसे नेता इसी कॉलेज से पढ़े हैं। विश्वविद्यालय के कई शिक्षकों ने भी राजनीति में भूमिका निभाई है। 2019 से छात्र संघ चुनाव नहीं होने से युवा नेतृत्व का विकास अवरुद्ध है। चुनाव कराने की तैयारी चल रही है।

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    Bihar Elections: टीएनबी कालेज ने टीएमबीयू का मान-सम्मान बढ़ाया, जगन्नाथ मिश्रा, भागवत झा आजाद, सतीश प्रसाद सिंह और दरोगा प्रसाद राय इसी कालेज के रहे छात्र

    परिमल सिंह, भागलपुर। Bihar Elections तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) न सिर्फ शिक्षा का प्रमुख केंद्र रहा है, बल्कि यह राजनीति की दृष्टि से भी उपजाऊ भूमि साबित हुआ है। विश्वविद्यालय और इसके अधीन आने वाले महाविद्यालयों ने बिहार ही नहीं, देश को भी अनेक ऐसे जनप्रतिनिधि दिए हैं, जिन्होंने अपनी कार्यशैली, विचारधारा और नेतृत्व क्षमता से समाज में गहरी छाप छोड़ी। इनमें तेज नारायण बनैली महाविद्यालय (टीएनबी कालेज) का योगदान विशेष उल्लेखनीय है।

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    इस कालेज ने सूबे को चार मुख्यमंत्री छात्र के रूप में और एक मुख्यमंत्री शिक्षक के रूप में देने का गौरव प्राप्त किया है। टीएनबी कालेज के इतिहास विभागाध्यक्ष डा. रविशंकर कुमार चौधरी के अनुसार, जगन्नाथ मिश्रा, भागवत झा आजाद, सतीश प्रसाद सिंह और दरोगा प्रसाद राय इसी महाविद्यालय के छात्र रहे हैं, जबकि सबसे कम अवधि के मुख्यमंत्री सत्येंद्र प्रसाद सिन्हा यहां के शिक्षक रह चुके हैं। पूर्व रेल मंत्री ललित नारायण मिश्र और भागलपुर के वर्तमान विधायक अजीत शर्मा भी इसी कालेज के छात्र रहे हैं।

    राजनीति से गहराई से जुड़ा विश्वविद्यालय का इतिहास

    टीएमबीयू का अतीत राजनीतिक दृष्टि से गौरवशाली रहा है। गांधी विचार विभाग के संस्थापक अध्यक्ष और जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता डा. रामजी सिंह ने यहीं से अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत कर संसद तक का सफर तय किया। विश्वविद्यालय के अनेक शिक्षकों ने भी राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाई। कांग्रेस नेता डा. शिवचंद्र झा विश्वविद्यालय के ग्रामीण अर्थशास्त्र विभाग के प्रोफेसर थे, जो बाद में विधायक और विधानसभा अध्यक्ष बने।

    इतिहास विभाग के प्रोफेसर दिवाकर प्रसाद सिंह विधान परिषद सदस्य और शिक्षा मंत्री रहे। उर्दू विभाग के प्रोफेसर लुत्फुर रहमान नाथनगर से विधायक चुने गए, वहीं मुरारका कॉलेज के प्रोफेसर ललित नारायण मंडल सुल्तानगंज से विधायक बने। डा. योगेंद्र महतो, डा. क्षमेंद्र प्रसाद सिंह, डा. रतन मंडल, डा. जे.सी. चौधरी और डा. विलक्षण रविदास जैसे कई शिक्षकों ने भी राजनीति में अपनी सक्रिय उपस्थिति दर्ज कराई। भले ही सभी को चुनावी सफलता न मिली हो, लेकिन समाज और छात्र राजनीति में इनकी भूमिका उल्लेखनीय रही।

    इस बार भी कई शिक्षक रहे टिकट की दौड़ में

    सिंडिकेट सदस्य प्रो. (डा.) डी.एन. राय ने बताया कि हालिया विधानसभा चुनाव में भी विश्वविद्यालय के कई शिक्षक टिकट की दौड़ में शामिल रहे। अंबेडकर विभाग के सहायक प्रोफेसर डा. संजय रजक को राजद से पीरपैंती सीट का प्रबल दावेदार माना जा रहा था। उनका कहना है कि टीएमबीयू ने बिहार की राजनीति को नई दिशा दी है और यहां के शिक्षक व छात्र समाज की नब्ज़ को गहराई से समझते हैं। भविष्य में भी विश्वविद्यालय का यह राजनीतिक योगदान और सशक्त रूप में सामने आने की संभावना है।

    विचार और नेतृत्व निर्माण का केंद्र रहा है टीएमबीयू

    सुंदरवती महिला महाविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग के वरीय सहायक प्राध्यापक डा. दीपक कुमार दिनकर का कहना है कि टीएमबीयू और इसके अधीन महाविद्यालय वैचारिक चर्चा, विचारों की बहस और नेतृत्व निर्माण का केंद्र रहे हैं। यही कारण है कि यहां से निकले विद्यार्थी आगे चलकर बिहार और देश की राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाने में सफल हुए हैं। उन्होंने बताया कि अपराजिता सारंगी, एसएम कॉलेज की पूर्व छात्रा, 2019 में भुवनेश्वर से भाजपा सांसद बनीं। उन्होंने अंग्रेजी में स्नातक इसी विश्वविद्यालय से किया था। वहीं निशिकांत दुबे, मारवाड़ी कॉलेज, भागलपुर के पूर्व छात्र, आज झारखंड की राजनीति में बड़ा नाम हैं। राम रतन सिंह, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता और टीएमबीयू के पूर्व छात्र, वर्तमान में बेगूसराय के टेघरा से विधायक हैं।

    तीन बार मुख्यमंत्री बने जगन्नाथ मिश्रा

    टीएमबीयू के पूर्व छात्र जगन्नाथ मिश्रा (कांग्रेस) तीन बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे। पहली बार 11 अप्रैल 1975 से 30 अप्रैल 1977,
    दूसरी बार 8 जून 1980 से 14 अगस्त 1983, तीसरी बार 6 दिसंबर 1989 से 10 मार्च 1990। इसके अलावा सतीश प्रसाद सिंह (28 जनवरी 1968 से 1 फरवरी 1968, केवल 4 दिन), भागवत झा आजाद (14 फरवरी 1988 से 10 मार्च 1989), दरोगा प्रसाद राय (16 फरवरी 1970 से 22 दिसंबर 1970) और सत्येंद्र नारायण सिन्हा (11 मार्च से 6 दिसंबर 1989) भी इस कालेज से जुड़े मुख्यमंत्री रहे हैं।

    2019 के बाद नहीं हुआ छात्र संघ चुनाव

    राज्य को पांच मुख्यमंत्री देने वाले इस विश्वविद्यालय में फिलहाल छात्र राजनीति की नयी पौध तैयार नहीं हो रही है। 2019 के बाद से छात्र संघ का चुनाव नहीं हुआ है, जिसके कारण युवा नेतृत्व के उभरने की प्रक्रिया थम-सी गई है। अभाविप नेता आशुतोष सिंह तोमर ने बताया कि चार साल से चुनाव न होने के कारण छात्र राजनीति में ठहराव आया है और विश्वविद्यालय प्रशासन से शीघ्र चुनाव कराने की मांग की है। वहीं डीएसडब्ल्यू डा. अर्चना साह ने कहा कि छात्र संघ चुनाव कराने की तैयारी चल रही है और इस दिशा में प्रयास जारी हैं।