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    इस महल में लगी हैं 52 प्रकार की ईंटें, सोलंकी वंश के बाबू बैरम सिंह ने कराया था निर्माण

    By Dilip ShuklaEdited By:
    Updated: Mon, 24 Aug 2020 01:35 PM (IST)

    खगडिय़ा-भागलपुर की सीमा पर गंगा के किनारे है 350 वर्ष पुराना महल है। इनमें से कुछ ईंटों का आकार माचिस के बराबर तो कुछ दो फीट तक की हैं। ...और पढ़ें

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    इस महल में लगी हैं 52 प्रकार की ईंटें, सोलंकी वंश के बाबू बैरम सिंह ने कराया था निर्माण

    खगडिय़ा [अमित झा]। गंगा के किनारे खगडिय़ा-भागलपुर की सीमा पर भरतखंड में 350 साल पुराना महल है। खास बात यह है कि इसमें 52 प्रकार की ईंटें लगी हुई हैं। इसका निर्माण सोलंकी वंश के बाबू बैरम सिंह ने कराया था। मुख्य शिल्पकार बकराती मियां थे। इसे 52 कोठरी, 53 द्वार वाले भवन के नाम से भी जाना जाता है।

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    इस महल के निर्माण में 52 प्रकार की ईंटों का प्रयोग किया गया है। इनमें से कुछ ईंटों का आकार माचिस के बराबर तो कुछ दो फीट तक की हैं। महल में दो सुरंगें थीं। इनमें से एक तालाब के पास और दूसरी शिवालय में निकलती थी। अब सुरंग का अस्तित्व नहीं है। महल के मंडप भी आकर्षण के केंद्र रहे हैं। ये आज जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हैं। इनसे कई प्रकार की आवाजें निकलती हैं। महल सुर्खी-चूना से बनाया गया है। लोग बताते हैं कि पुराने समय में एक चोर इसमें घुसा था, लेकिन भूल-भुलैया वाले रास्तों के कारण निकल नहीं आया। महल में उसकी लाश मिली थी। कभी कवि भगीरथी यहां पहुंचे थे। उन्होंने लिखा था-राख सुरखी की कबहुं न बांह मुरखी। मतलब, ईंट को जोडऩे वाली राख व सुरखी से बना यह महल कभी नहीं गिर सकता। बकराती मियां ने कहा था-यह कयामत तलक आबाद रहेगी। बाढ़-बरसात और राजनीतिक-प्रशासनिक उपेक्षा के कारण यह आज अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। इसके संरक्षण को लेकर सोशल मीडिया पर कुछ युवा आवाज भी उठा रहे हैं। इसके लिए पुरातत्व विभाग, पर्यटन विभाग, जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को पत्र भी लिखा गया है। सोशल मीडिया पर अभियान चलाने वाले डॉ. विवेकानंद कहते हैं कि विधानसभा चुनाव के बाद इसके संरक्षण को लेकर जोरशोर से आवाज उठाई जाएगी। उनका मानना है कि स्टील फ्रेमिंग कर महल को सुरक्षित रखा जा सकता है।

    कई बार भरतखंड जाने और इस ऐतिहासिक इमारत को देखने का मौका मिला है। खंडहर को देखकर लगता है कि इमारत कितनी बुलंद होगी। यह अंग प्रदेश की धरोहर है, परंतु उपेक्षा की शिकार है। - डॉ. बंदना रानी

    इतिहासकार, महिला कॉलेज खगडिय़ा।

    भरतखंड स्थित धरोहर को बचाने के लिए और इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने को लेकर बिहार सरकार, केंद्र सरकार व पर्यटन विभाग को लिखा गया है। उम्मीद है कि जल्द सुखद समाचार प्राप्त होगा। - चौधरी महबूब अली कैसर, सांसद, खगडिय़ा