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    बनारस से खेती की नई तकनीक सीखकर लौटे कोसी के किसान, बता रहे इस तरह लगाएं धान का पौधा, आप भी जान‍िए

    By Dilip Kumar ShuklaEdited By:
    Updated: Fri, 17 Jun 2022 11:28 AM (IST)

    बिहार के कोसी में हाइटेक होगी धान की खेती ड्रोन से होगा खाद का छिड़काव। बनारस से खेती की नई तकनीक सीखकर लौटा कोसी के किसानों का 24 सदस्यीय दल। ज्‍यादा ...और पढ़ें

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    धान की खेती की उन्‍नत तकनीक की जानकारी दी।

    कुंदन कुमार, सहरसा। कोसी क्षेत्र में धान का काफी उत्पादन होता है। धान का और बेहतर उत्पादन के लिए नई तकनीक के प्रयोग की तैयारी शुरू हो गई है। अगवानपुर कृषि अनुसंधान केंद्र के सौजन्य से कोसी प्रमंडल के 24 किसानों का दल अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान बनारस उपकेंद्र (ईरी) से धान की खेती की नई तकनीक का अध्ययन कर वापस आया है। इस क्षेत्र के किसानों को उबड़-खाबड़ जमीन को बेहतर तरीके से तैयार करने, समय की बचत और बेहतर उत्पादन के लिए बिना बिचड़ा तैयार किए सीधे धान की खेती और ड्रोन के माध्यम से खेतों में फर्टिलाइजर डाले जाने का गुर सिखाया गया है। इसके लिए सरकार द्वारा संसाधन भी उपलब्ध कराया गया है।

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    ड्रम के माध्यम से खेतों में डाला जाएगा धान

    अबतक धान की खेती के लिए पहले बिचड़ा तैयार किया जाता है, और एक महीने बाद इसे खेत में लगाया जाता है। नई तकनीक के अनुसार गेहूं की तरह जीरो टिलेस विधि से तथा सीधे ड्रम से धान की बुआई की जाएगी। बिचड़ा नहीं तैयार किए जाने से जहां एक माह समय की बचत होगी, वहीं इससे उत्पादन में बढ़ोतरी होगी। साथ ही अक्टूबर माह तक धान की कटनी हो जाने से समय पर रबी की खेती की जा सकेगी, इससे किसानों को दोहरा लाभ मिलेगा। सरकार द्वारा जमुई और शेखपुरा के अलावा कोसी प्रमंडल के तीनों जिले सहरसा, मधेपुरा और सुपौल के किसान को इस नई तकनीक का अध्ययन करने के लिए बनारस भेजा गया था।

    ड्रोन से खेतों में होगा खाद का छिड़काव

    इस नई तकनीक से खेती के लिए सरकार प्रथम चरण में कृषि अनुसंधान केंद्र को ड्रोन उपलब्ध कराएगा। इसकी टैंक की क्षमता दस लीटर है। लगभग 15 मिनट में एक एकड़ क्षेत्रफल में अच्छी तरह से कीटनाशक, उर्वरक किया जा सकेगा। इस तकनीक से पानी से भरे धान के खेत, मक्का, कपास, आम के बगान आदि में भी छिड़काव हो सकेगा। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह तकनीक युवाओं को खेती किसानी के प्रति आकर्षित करेगा। इससे युवाओं को रोजगार मिलने की संभावना है। ड्रोन के परिचालन के लिए लोगों को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।

    अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान बनारस उपकेंद्र (ईरी) से किसानों ने जो धान की खेती का गुर सीखा है, उससे कोसी क्षेत्र को काफी लाभ मिल सकता है। इससे जहां खरीफ में बेहतर पैदावार होगा, वहीं रबी की फसल को इससे काफी फायदा होगा। - डा. पंकज कुमार, कृषि वैज्ञानिक, कृषि अनुसंधान केंद्र, सहरसा।