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    50 वर्ष पुराने धरहरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की स्थिति खराब, यहां नर्सें चला रहीं अस्पताल

    By Shivam BajpaiEdited By:
    Updated: Mon, 07 Mar 2022 05:57 PM (IST)

    50 वर्ष पुराने धरहरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सक नहीं नर्साें के कंधे पर मरीजों की जिम्मेदारी। हाल नक्सल प्रभावित धरहरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का पूरी तरह बदहाल नजर आ रहा है। जरूरी चिकित्सीय संसाधनों की कमी से हो रही परेशानी।

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    50 वर्ष पुराने धरहरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र।

    संवाद सूत्र, धरहरा (मुंगेर) : जिला मुख्यालय से लगभग 18 किमी दूर नक्सल प्रभावित धरहरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का हाल बेहाल है। सामुदायिक केंद्र को खुद इलाज की जरूरत है। यहां विशेषज्ञ चिकित्सक व महिला डाक्टरों के नहीं रहने से मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। 50 वर्ष पुराने धरहरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सुदूर इलाके के दूर-दराज से लोग इलाज कराने पहुंचते है। अस्पताल में जरूरी संसाधनों की कमी है। ऐसे में मरीजों को जिला मुख्यालय या दूसरे शहर जाना पड़ता है। आपातकालीन विभाग की स्थिति भी बदहाल है। बड़ी संख्या में चिकित्सकों का पद खाली होने के कारण मरीजों के इलाज की जिम्मेदारी एएनएम और जीएनएम के कंधों पर है। अस्पताल में गंभीर मरीजों के इलाज के लिए आइसीयू की सुविधा भी उपलब्ध नहीं है।

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    एक्स-रे मशीन है, चलाने वालों की कमी

    अस्पताल में एक्सरे मशीन है, लेकिन एक ही तकनीशियान को दो जगहों का भार है। ऐसे में यहां सप्ताह में तीन दिन ही सेवा दी जाती है। इस वजह से मरीजों की एक्सरे के लिए निजी जांच केंद्र में जाना पड़ता है। अस्पताल में न तो शिशु वार्ड है और न ही शिशु चिकित्सक वेंटिलेटर की सुविधा भी नहीं है। फिजिशियन, शिशु रोग, हड्डी और आंख के विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं है। हर माह लगभग 150 से ज्यादा प्रसव होता है।

    मरीजों के लिए दो एंबुलेंस की सुविधा

    मरीजों के लिए दो एंबुलेंस की सुविधा है। ज्यादातर मरीजों को रेफर किया जाता है। अस्पताल में नौ अग्नि शमन यंत्र है। खून की कमी के कारण बड़ी संख्या में मरीजों को रेफर किया जाता है। ज्यादातर मरीज हेड इंजरी , हृदय रोग , हड्डी रोग या दुर्घटना जनहित बीमारी से पीडि़त होते है। अस्पताल में सीबीसी ब्लड शुगर , एचआइवी , हेपेटाइटिस ब्लड ग्रुप , यूरिन टीवी से संबंधित जांच होती है। मरीजों के खानपान का जिम्मा एनजीओ के पास है। 26 प्रकार की दवाइयां उपलब्ध है। अस्पताल में कंपाउंडर अथववा ड्रेसर नहीं है।

    • - 50 वर्ष पुराने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में दूर-दराज से आते हैं मरीज
    • - 30 बेड में 18 की व्यवस्था सही, मरीज होते हैं परेशान
    • - 26 तरह की दवाइयां उपलब्ध है मरीजों के लिए
    • -16 जीएनएम में 13 वर्तमान में कर रहे काम
    • -140 प्रसव हर माह होता हैं अस्पताल में

    कम संसाधन में बेहतर करने का प्रयास

    चिकित्सा पदाधिकारी डा . महेंद्र कुमार ने बताया कि उपलब्ध संसाधन में मरीजों को बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने का प्रयास रहता है। कुछ दवाइयों की जरूरत है, इसके लिए उच्च अधिकारियों को पत्र लिखा गया है। कर्मचारियों की कमी है। अस्पताल में एक्स-रे मशीन है, लेकिन विभाग की ओर से एक ही तकनीशियनों की दो जगह ड्यूटी लगाए जाने से सप्ताह में तीन दिन ही एक्स-रे होता है।

    केस स्टडी-एक: धरहरा के अंजली सिन्हा ने बताया कि बाथरूम में गिर जाने के कारण हाथ टूट गया। चिकित्सक ने एक्स-रे कराने की सलाह दी। धरहरा अस्पताल में एक्स-रे कराने पहुंचा तो कक्ष बंद मिला। बाहर में एक्स-रे कराना पड़ा। इस दौरान मरीज को आर्थिक और शारीरिक परेशानी से जूझना पड़ा।

    केस स्टडी-दो: प्रखंड स्थित जगदीशपुर के अमृता कुमारी ने बताया कि अस्पताल में जीवन रक्षक दवाए नहीं है। सर्दी-खांसी की भी दवा बाहर से खरीदना पड़ रहा है। स्वास्थ्य विभाग और सरकार को इस पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है।

    केस स्टडी-तीन: अदलपुर के रूबी देवी ने बताया कि अस्पताल में चिकित्सकों की कमी है। खासकर महिला चिकित्सक के नहीं रहने से रिश्तेदार को दूसरी जगह जाकर इलाज कराना पड़ा। यहां महिला मरीजों की भीड़ रहती है।