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    भागलपुर के टेक्सटाइल उद्योग को आर्थिक बोझ से मिली बड़ी राहत, फैब्रिक पर जीएसटी वृद्ध पर रोक

    By Abhishek KumarEdited By:
    Updated: Sun, 02 Jan 2022 11:58 AM (IST)

    भागलपुर के टेक्‍सटाइल उद्योग को आर्थिक बोझ से बड़ी राहत मिली है। फैब्रिक पर जीएसटी वृद्ध पर रोक लगा दी गई है। इससे यहां के बुनकर और कारोबारी दोनों ने राहत की सांस ली है। दरअसल सरकार की ओर से एक जनवरी से...

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    भागलपुर के टेक्‍सटाइल उद्योग को आर्थिक बोझ से बड़ी राहत मिली है।

    जागरण संवाददाता, भागलपुर।  रेशमी शहर में कपड़ा उत्पादन व रेडिमेड सेक्टर को नववर्ष की बड़ी राहत मिली है। इससे बुनकरों के साथ पावरलूम संचालकों में जितना उत्साह है। उससे कहीं ज्यादा कपड़ा व्यवसायी को राहत मिली है। बुनकरों द्वारा कपड़ों पर पांच फीसद जीएसटी यथावत रह गई है। जबकि जनवरी से 12 फीसद करने की तैयारी थी।

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    फैब्रिक पर जीएसटी की मार नहीं लगेगा। इससे बुनकरों पर बोझ नहीं पड़ेगा। भागलपुर कपड़ा उत्पादन दोहरी मार झेल रहा है। धागे की कीमत में 25 फीसद इजाफा होने से आर्डर पूरा करने में मुश्किल दौर से गुजर रहा है। इससे 250 करोड़ रुपये का व्यापार प्रभावित है। लेकिन, जीएसटी की मार से कपड़ा उद्योग बच गया है। जीएसटी में सात फीसद का इजाफा होने से कपड़ों की कीमत कुल 32 फीसद बढ़ जाती। लेकिन अब इसका फायदा सीधे ग्राहकों को होगा।

    यहां से मुंबई, दिल्ली व कोलकाता की मंडियों में कपड़े भेजे जाते हैं। इन शहरों के व्यवसायी पुराने आर्डर पर कपड़ा उपलब्ध कराने की मांग हैं। इससे ढाई लाख मीटर कपड़े डंप है। महाजन इसे पुरानी दर पर ही आपूर्ति करने का दवाब बना रहे थे। अग 12 फीसद जीएसटी दर होता तो मंहगें कीमत पर छोटे व्यापारी को आपूर्ति करना पड़ता। जीएसटी में वृद्धि के बाद पूरा बोझ छोटे व्यापारी पर पड़ता। क्योंकि बिहार से बाहर कपड़ा भेजने के लिए जीएसटी अनिवार्य है। इसके बिना कोरियर वाले अन्य राज्यों में कपड़ा भेज नहीं सकते। कोरियर में बुङ्क्षकग के लिए सात फीसद अधिक भुगतान करना पड़ता।

    बुनकरों से कहा सरकार ने दी राहत

    जीएसटी के स्लैब में इजाफा नहीं होने का फायदा फेब्रिक व रेडिमेट गारमेंट के व्यवसायी को होगा। इससे राहत मिली है। इससे पावरलूम संचालकों को दोहरी मार झेलना पड़ता। धागे की कीमत पर सरकार को ठोस निर्णय लेना चाहिए। -इबरार अंसारी, पूर्व चेयरमैन, भागलपुर क्षेत्रीय बुनकर सहयोग संघ

    स्थानीय बाजार में कपड़ों की कीमत में इजाफा होने से सारा बोझ सीधे आम जनता पर पड़ता। कारोबार का ग्राफ गिरने की संभावना थी। क्योंकि कपड़ों की बिक्री कम होती और मंहगें कपड़े खरीदारी में लोग दूरी बना लेते। सरकार का फैसला सराहनीय कदम है। -गौरी शंकर प्रसाद

    कपड़े की कीमत में इजाफा होने टेक्सटाइल क्षेत्र को राहत मिली है। जीएसटी में सात फीसद वृद्धि होने से उत्पादन लागत में वृद्धि होती। भी बढ़ जाता। इससे यहां के बुनकरों के रोजगार पर पड़ जाता। -विवेक कुमार तांती

    कपड़ा उत्पादों पर शुल्क की दर को पांच प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत करने के फैसले को टाल देने पर कपड़ा क्षेत्र से जुड़े संगठनों और कारोबारियों ने साल के अंतिम दिन राहत की सांस ली। सभी ने फैसले का स्वागत किया।

    -नीरज कुमार लाल

    इस फैसले का आम आदमी एवं कारीगरों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। कपड़ा व्यापारियों को राहत मिलेगी।कपड़े पर जीएसटी दर बढ़ाने के निर्णय को स्थगित करना आवश्यक है। जीएसटी कर दायरा बढ़ाने के लिए टास्क फोर्स का गठन करना चाहिए। -सन्नी कुमार

    कपड़ा उत्पादों पर जीएसटी की दरों को तत्काल लागू नहीं करने के केंद्र सरकार के फैसले को सराहनीय कदम है। कोरोना से प्रभावित जनजीवन में जीएसटी दरों के बढऩ़े से बड़ा नकारात्मक असर होता। टेक्सटाइल पर जीएसटी की मौजूदा दर को यथावत रखना चाहिए। -रोहित लाल

    भविष्य में भी कपड़े पर जीएसटी की वर्तमान दर ही कायम रहेगी। आम जनता पर भी अब इसका बोझ नहीं पड़ेगा। अगर बढ़ी हुई जीएसटी की दर लागू हो जाती तो टेक्सटाइल क्षेत्र में लाखों लोग बेरोजगार हो जाते।

    -वीरेंद्र लाल