बिहार की राजनीति में तेजस्वी यादव ने कर दिया खेला, सीमांचल से उजड़ा ओवैसी का सजाया मेला
बिहार की राजनीति में तेजस्वी यादव ने बड़ा उलटफेर करते हुए ओवैसी के पांच विधायकों में चार को राजद में शामिल कर लिया है। तेजस्वी यादव के इस खेला से सीमांचल में ओवैसी का सजाया मेला पूरी उजड़ गया है।
आनलाइन डेस्क, भागलपुर: बिहार की राजनीति में बड़ा उलटफेर करते हुए तेजस्वी यादव ने जो खेला किया, उससे लालू यादव की पार्टी राजद (राष्ट्रीय जनता दल) एक दफा फिर से बिहार की सबसे बड़ी पार्टी बन गई है। असदुद्दीन ओवैसी के पांच में चार विधायकों ने अब लालटेन थाम ली है। AIMIM विधायकों का राजद थामना अब देशभर में सुर्खियां बटोरने लगा है। बिहार में ओवैसी के विधायक हाजी इजहार असफी-कोचाधामन (किशनगंज), अंजार नईमी-बहादुरगंज (किशनगंज), बायसी विधानसभा के विधायक मो. रूकनुद्दीन (पूर्णिया), शाहनवाज आलम - जोकीहाट(अररिया) ने आरजेडी शामिल हुए हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में ओवैसी की पार्टी ने बिहार में 5 सीटों पर फतह हासिल की थी। चार विधायकों के अलावा पांचवें विधायक जो अभी भी ओवैसी के साथ हैं, वो एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष और अमौर विधानसभा पूर्णिया के विधायक अख्तरुल इमान हैं। इसे अब तेजस्वी यादव vs ओवैसी की तरह देखा जा रहा है। गौरतलब हो कि महागठबंधन से इतर असदुद्दीन ओवैसी ने एक मेला सजाया था। इस मेले में महागठबंधन से अलग हुए उपेंद्र कुशवाहा को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार तक घोषित कर दिया था। बिहार में 'ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेक्युलर फ्रंट' GDSF नाम से एक गठबंधन तैयार किया था। गठबंधन में उत्तर प्रदेश की पूर्व सीएम मायावती की पार्टी बसपा, ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन, समाजवादी दल डेमोक्रेटिक, जनतांत्रिक पार्टी सोशलिस्ट और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी शामिल थे। ओवैसी ने 20 सीटों पर पार्टी से उम्मीदवार उतारे और कमाल करते हुए सीमांचल की पांच सीटों पर फतह हासिल की।
फिर गया पानी
चुनावी रिजल्ट के बाद जीडीएसएफ मानों कब टूट गया, इसका पता ही नहीं चला। उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी का जदयू में विलय हुआ और चुनावी गठबंधन और इसके एजेंडे को लेकर कही गई तमाम बातों और वादों में पानी फिर गया। अब दो साल बाद राजद ने ओवैसी के चार विधायकों को तोड़ जो उलटफेर किया, उससे ओवैसी की पार्टी के हाथ सिर्फ इतना रह गया कि उसके बैनर तले इन विधायकों ने जीत दर्ज की थी। बिहार के किशनगंज और अररिया में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि कैसे पूरा सजा सजाया राजनीतिक मेला अब लालटेन से गुलजार होगा। वहीं चर्चा ये भी है कि क्या तेजस्वी यादव बिहार की सियासत में कुछ और बड़ा उलटफेर करेंगे। वैसे बिहार की राजनीति में लंबे समय से दलबदल की परंपरा रही है। आने वाले समय में यहां क्या होगा, इसका आकलन कर पाना नामुमकिन है।