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    TeeJ 2021 Date & Time: पार्वती ने शिव के ल‍िए कि‍या था व्रत, भाद्रपद शुक्ल पक्ष तृतीया को महिलाएं करेंगी उपवास

    By Dilip Kumar ShuklaEdited By:
    Updated: Sun, 05 Sep 2021 11:10 AM (IST)

    TeeJ 2021 Date Time पार्वती ने शिव को पति के रूप में पाने के लिए तीज व्रत क‍िया था। भाद्रपद की शुक्ल पक्ष तृतीया को यह व्रत मनाया जाता है। इस बार नौ सितंबर को तीज है। व्रत करने से शिव प्रसन्न होते हैं। मनोवांछित फल प्राप्त होता है।

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    भाद्रपद की शुक्ल पक्ष तृतीया को तीज मनाया जाता है।

    संवाद सहयोगी, भागलपुर। भाद्रपद की शुक्ल पक्ष तृतीया हस्त नक्षत्र को महिलाएं पति के दीर्घायु की कामना के लिए हरतालिका तीज व्रत करेंगी। नौ सितंबर गुरुवार को होने वाले इस व्रत के दिन भगवान शिव और मां पार्वती की विशेष पूजा की जाती है। घर या नदी तट पर मंडप आदि सजाकर पूजा करने विधान है। इस व्रत को करने वाली महिलाएं पार्वती के समान सुखपूर्वक जीवन व्यतीत कर शिवलोक को जाती हैं। इस पर्व में महिलाएं 24 घंटे का निर्जला व्रत करती हैं। व्रत को लेकर शहर के बाजार में रौनक बढ़ गई है। महिलाओं ने कपड़े और आभूषण की दुकानों पर खरीदारी शुरू कर दी है।

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    नवविवाहिताओं के घर तो और अधिक उत्साह दिखने लगा है। व्रत के दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार कर फल, पकवान आदि से डलिया भरकर मां पार्वती को अर्पित कर शिव-पार्वती से अपनी पति की दीर्घायु के लिए मंगल कामना करती हैं। इससे पहले महिलाएं अपने हाथों में मेहंदी रचाती हैं। ज्योतिर्विद पंडित सचिन कुमार दूबे ने बताया कि पंचांग के अनुसार इस बार तृतीया तिथि नौ सितंबर को होगा। इस व्रत के करने से व्रती को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

    माता पार्वती ने किया था तीज व्रत

    श्री भविष्यपुराण में कहा गया है कि एक समय देवर्षि नारद ने हिमालय से कहा कि गिरिराज आपकी कन्या ने अनेकों वर्षों तक कठोर तप किया है। उसी से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु आपकी सुपुत्री से विवाह करने की इच्छा रखते हैं। इसलिए मैं आपकी इच्छा जानने आया हूं। हिमालय ने कहा देवर्षि इसमें मुझे क्या अपत्ति हो सकती है। इस पर नारद ने विष्णु जी को इस विवाह की स्वीकृति बता दी। जब पार्वती को यह बात मालूम हुई तो वह दुखी होकर प्राण त्यागने की सोचने लगी। उन्हें दुखी देखकर उनकी एक सहेली ने उन्हें घने जंगल में ले जाकर भगवान शिव की तपस्या करने की सलाह दी। सच्चे हृदय से भगवान शंकर को वरण की कामना करने वाली पार्वती अपनी सहेली के साथ घनघोर जंगल में तपस्या करने के लिए चल पड़ी। इधर, वचन भंग की चिंता में हिमालय राज मूर्छित हो गए। उधर, एक नदी के किनारे पहुंचकर पार्वती भगवान शंकर की घोर तपस्या करने लगी। बाबा भोलेनाथ ने प्रसन्न होकर पार्वती को वरदान दिया। इस व्रत को सर्वप्रथम माता पार्वती ने किया था।