पराली प्रबंधन के बांका माडल की राज्य स्तर पर सराहना, पराली से बायोचार तैयार कर रहे यहां के किसान
पराली प्रबंधन के बांका माडल की राज्य स्तर पर सराहना की गई है। यहां के किसान पराली से बायोचार तैयार कर रहे हैं। इसके लिए रजौन के प्रगतिशील किसान रूपेश चौधरी को पटना में सम्मानित किया गया है।

संवाद सूत्र, बांका। पराली प्रबंधन के बांका माडल की राज्य स्तर पर सराहना की गई है। यहां पर किसान पराली से बायोचार तैयार कर रहे हैं। इससे खेतों की उर्वरा शक्ति भी बनी रहती है। जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम के तहत पटना के बामेती में जल-जीवन हरियाली दिवस पर जलवायु अनुकूल कृषि क्षेत्र में बेहतर कार्य करने के लिए जिले के रजौन प्रखंड के उपरामा गांव के किसान रूपेश कुमार चौधरी को सम्मानित किया गया है।
- बायोचार उत्पादन, धान फसल अवशेष का पशु चारा के रूप में उपयोग के लिए दिया गया पुरस्कार
-मौसम अनुकूल खेती के तहत चयनित पांच गांवों में फिलहाल तैयार हो रहा बायोचार
इन गांवों में हो रहा पराली प्रबंध का काम
कृषि विज्ञान केंद्र के वरीय विज्ञानी एवं प्रधान डा.मुनेश्वर प्रसाद ने बताया कि जल-जीवन हरियाली कार्यक्रम के तहत रजौन प्रखंड के उपरामा, भूसिया, लीलातरी, वसुवारा और कठौन में जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम चलाई जा रही है। इस कार्यक्रम को धरातल पर लाने में रूपेश चौधरी का काफी योगदान है। इसके लिए बुधवार को पटना बामेती में जल-जीवन हरियाली दिवस के अवसर पर इन्हें बायोचार उत्पादन, धान फसल अवशेष का पशु चारा के रूप में उपयोग के लिए कृषि विभाग के सचिव डा. एन सरवण कुमार प्रशस्ति देकर सम्मानित किया।
पराली जलाने से उर्वराशक्ति भी होती है कम
उन्होंने बताया कि धान फसल की कटाई मशीन से होने के बाद खेतों में पराली बच जाते हैं। जिसे किसान खेतों में जला देते हैं। इससे काफी नुकसान होता है, लेकिन इस पराली का उपयोग रूपेश चौधरी ने पशु चार के रूप में किया। इसका गांठ बनाकर इसे अधिक दिनों के लिए सुरक्षित भी रख। जिसे देख अन्य किसानों ने भी इसको अपनाया। इस दौरान किसान रूपेश चौधरी ने बताया कि पराली जलाने से खेत के साथ ही वायू प्रदूषण होता है। इससे खेतों की उर्वराशक्ति कम हो जाती है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।