सूर्य ग्रहण 2022 : काली पूजा, गोवर्द्धन पूजा, भाई दूज व चित्रगुप्त पूजा पर पड़ेगा असर, करें यह काम
सूर्य ग्रहण के कारण कई व्रत और त्योहार होंगे प्रभावित। गोवर्धन पूजा 25 की जगह 26 को होगी और 27 अक्टूबर को भाई दूज और चित्रगुप्त भगवान की पूजा होगी। 25 अक्टूबर की शाम 442 मिनट पर शुरू हो रहा है सूर्य ग्रहण।
संवाद सहयोगी, भागलपुर। सूर्य ग्रहण 2022 : सूर्य ग्रहण के कारण इस बार गोवर्धन पूजा 25 की जगह 26 को होगी और 27 अक्टूबर को भाई दूज और चित्रगुप्त भगवान की पूजा होगी। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है जो शुभ फलदाई होगा। हालांकि ग्रहण के कारण कई व्रत और त्योहार प्रभावित होंगे। ज्योतिष गणना में सूर्य ग्रहण का मोक्ष भागलपुर में 25 की शाम 5:07 मिनट पर होगा। वहीं, काली पूजा को लेकर भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। 25 अक्टूबर को वर्ष का पहला सूर्य ग्रहण लग रहा है। यह शाम 4:42 मिनट पर शुरू हो रहा है। सूर्य ग्रहण से 12 घंटे पूर्व सूतक लग जाता है। इस दौरान मंदिरों के पट बंद कर दिए जाते हैं।
शास्त्रों में सूतक के दौरान पूजा-पाठ वर्जित है। चूंकि 24 को दीपावली है और इसके अगले ही दिन गोवर्धन पूजा होती है, लेकिन सूतक के कारण इस बार गोवर्धन पूजा 26 को होगी। वहीं, दीपावली यानी 24 को आधी रात मां काली की प्रतिमा स्थापित होती है और पूजा-पाठ शुरू होती है। अगले दिन प्रात: चार बजे से ही सूतक आरंभ हो जाएगा। ऐसे में चार बजे के बाद काली पूजा भी नहीं हो सकेगी। ग्रहण के मोक्ष के ढाई घंटे बाद फिर मंदिरों को धोने और गंगाजल से पवित्र कर पूजा-अर्चना की जाएगी।
25 की सुबह चार बजे से देर शाम तक नहीं होगी पूजा
बूढ़ानाथ मंदिर के पंडित ज्योतिषाचार्य, वेद के जानकार वैदिक, रामायणी पंडित ऋषिकेश पांडेय ने बताया कि बनारस के ऋषिकेष पांचांग के अनुसार सूर्य ग्रहण का स्पर्श 25 अक्टूबर की शाम 4:42 पर होगा, जबकि मोक्ष 25 की ही शाम 5 : 22 मिनट पर होगा। सूर्यास्त भी पंचांग के अनुसार 5:22 पर ही होगा। ज्योतिष गणना के अनुसार ग्रहण का मोक्ष सिर्फ भागलपुर में 25 की शाम 5 : 07 मिनट पर होगा। सूर्यग्रहण का सूतक 12 घंटा पहले से लग रहा है। उस दिन प्रातः चार बजे से ग्रहण का सूतक आरंभ हो जाएगा।
विशेष फलदाई होगा धनतेरस
22 अक्टूबर शनिवार को त्रयोदशी के दिन धनतेरस है। शनिवार को धनतेरस का होना विशेष शुभ फल देने वाला माना जाता है। धनतेरस का सबसे बेहतर शुभ मुहूर्त शाम 7:47 मिनट के बाद होगा। उस समय पूजा और खरीदारी करना विशेष लाभकारी होगा। धनतेरस पर भगवान कुबेर और स्थिर लक्ष्मी माता की पूजा की जाती है।
ग्रहण काल में ये बरतें सावधानी
धर्मशास्त्रों के अनुसार सूतक काल और ग्रहण काल में बालक, वृद्ध और रोगी को छोड़कर अन्य को भोजन नहीं करना चाहिए। श्रद्धालुओं को ऊं नमो भगवते वासुदेवाय का जाप करना चाहिए। ग्रहण काल में गर्भवती महिलाओं को अपने पास कुश और गंगा जल रखना चाहिए। कुश को पके हुए भोजन में डाल देना चाहिए। ग्रहण काल में दान करने का भी विधान है।
धनतेरस व नरक चतुर्दशी एक ही दिन
कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसी कारण इस दिन निरोगिता की कामना से भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है। ज्योतिषाचार्य पंडित सचिन कुमार दुबे ने बताया कि 23 अक्टूबर को सर्वार्थ सिद्धि योग में धनतेरस और नरक चतुर्दशी मनाई जाएगी।
24 को दीपावली व काली पूजा
24 अक्टूबर को दीपावली है। इसमें भगवान गणेश और चल लक्ष्मी की पूजा की जाती है। रात्रि पहर के स्थिर लग्न में मां काली की पूजा की जाएगी। प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा कर वैदिक मंत्रोचार के साथ मां का आह्वान और पूजा की जाएगी। उसी दिन संकट मोचन हनुमान की भी जयंती मनाई जाएगी। दीपावली के दिन हनुमान मंदिरों में विशेष पूजा के अलावा दीपों से सजाया जाएगा।
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