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    श्रावणी मेला 2022 : कांवरियों को भाते हैं बंगाल और नेपाल के बांस से बनी कांवर, इस तरह करें पहचान

    By Dilip Kumar ShuklaEdited By:
    Updated: Sun, 10 Jul 2022 07:56 AM (IST)

    श्रावणी मेला 2022 इस वर्ष कांवरियों को मिलेगी बंगाल और नेपाल के बांस से बनी कांवर। बंगाल के सिलीगुड़ी से आया है मकोर बांस। इस बांस से बनी कांवर होती ...और पढ़ें

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    श्रावणी मेला 2022 : मकोर बांस से बनी कांवर लचीली होती है।

    संवाद सूत्र, सुल्तानगंज  (भागलपुर)। श्रावणी मेला 2022 : विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला में महज 4 दिन शेष रह गए हैं। कांवरियों का जत्था आने का सिलसिला दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है। सभी दुकानदार अपनी अपनी दुकानों की तैयारी में जोर शोर से लगे हैं। कई दुकानदारों ने तो अपनी दुकानें तैयार कर दुकानदारी भी शुरू कर दी है।

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    बिहार, झारखंड, बंगाल और नेपाल के बांस से बन रहा है कांवर

    श्रावणी मेले में आने वाले कांवरियों के लिए इस वर्ष बिहार, झारखंड, बंगाल और नेपाल के बांस का कांवर बनाने में स्थानीय कारीगर के साथ-साथ बिहार के कई जिले के कारीगर भी जुट गये हैं। मेला में प्रतिदिन एक लाख से अधिक कांवर की बिक्री सामान्य तौर पर होती है। इसलिए युद्ध स्तर पर कांवर की तैयारी की जा रही है। इस बर्ष कांवरिया बिहार, झारखंड के अलावा बंगाल के सिलीगुड़ी तथा नेपाल के बांस से बने कांवरों में गंगा जल उठायेंगे।

    बांस की कीमत बढने से आया कांवरों की थोक कीमत में उछाल 

    दन कुमार साह ने बताया कि दो साल के बाद श्रावणी मेला का आयोजन किया जा रहा है। कांवरिया की अपार भीड़ जुटने की संभावना है। इसलिए युद्ध स्तर पर कांवरों की तैयारी की जा रही है। अब तक मेला में 50 हजार से अधिक कांवर आपूर्ति के लिए दुकानदारों का ऑर्डर मिला है। लेकिन हर वर्ष की भांति इस वर्ष बांस की कीमत में बढ़ोतरी हुई है जिसके कारण कांवर बनाने के लिए बांस की आपूर्ति पर्याप्त मात्रा मे नहीं हो पाई है। ये चिंता का विषय है। इस वर्ष हरौती बांस पर्याप्त मात्रा में नहीं मिलने के कारण झारखंड तथा सिलीगुड़ी के इलाके से मकोर बांस की खरीदारी कर कांवर बनवाई जा रही है। हरौती बांस की अपेक्षा में मकोर बांस की बनी कांवर ज्यादा लचीली होती है।

    कांवर की मूल्य में वृद्धि को लेकर दुकानदार हैं चिंतित 

    कोरोना की मार और बढ़ती महंगाई को देखते हुए कांवर के मूल्य में इस बार प्रशासनिक स्तर पर कुछ खास बढ़ोतरी नहीं किये जाने के कारण दुकानदारों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। कांवर दुकानदार विजय साह, उमेश कुमार गुप्ता बताते हैं कि पिछले दो वर्षों से कोरोना के करण मेला पर प्रतिबंध था। वर्ष 2019 में सामान्य कांवर की 25 से 30 रुपये में थोक भाव में आपूर्ति होती थी। इस बार 30 से 35 रुपये में आपूर्ति हो रही है। पिछले वर्ष की दर पर कांवर बेचना मुश्किल होगी।

    सात प्रकार के बांसों से बनती हैं कांवर 

    मेला में उत्तर बिहार सहित नेपाल व बंगाल से आने वाले कांवरियों के लिए हरौती बांस से बनी कांवर आकर्षण का केंद्र होती है। झारखंड, ओडिशा, यूपी के कांवरिया पहाड़ी बांस से बने कांवर ज्यादा पसंद करते हैं। फिलहाल कुल सात किस्म के बांसों से कांवर बनाने का कारोबार सुल्तानगंज में हो रहा है। दुकानदार बताते हैं कि पहाड़ी, हरौती और चाभ बांस से बनी कांवर में अन्य किस्म के बांस से बनी कांवर की अपेक्षा मजबूती अधिक होती है।

    बांस की कमी से कारोबार हो रहा प्रभावित

    बांस के व्यवसायियों ने बताया कि कांवर बनाने के लिए बांस महंगा होने के कारण बांस की आपूर्ति पर्याप्त मात्रा में नहीं हो पाई है। जिससे कि व्यवसायी चिंतित हैं । बांस की आपूर्ति में वृद्धि जल्द नहीं हो पायी तो मेला में कांवर का संकट उत्पन्न होने की संभावना है। व्यवसायियों का कहना है कि मेला के दौरान अगर 10-15 हजार बांस की आपूर्ति प्रतिदिन होगी तभी मेला के पूर्व बाजार में पर्याप्त मात्रा में कांवर उपलब्ध हो पायेगा।

    कांवर बनाने में जुटे कारीगर तुलसी शर्मा, विश्वकर्मा शर्मा, रोहित शर्मा, नारद शर्मा, रंजीत शर्मा बताते है कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष कांवर बनाने के लिए अधिक रोजगार नहीं मिल पा रहा है। कारीगर अधिक संख्या में हैं। लेकिन बांस की कमी के कारण सभी को रोजगार नहीं मिल पा रहा है।