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    नाग के फनों से ढंके शिवलिंग की आकृति की तरह फूल, महादेव को है प्रिय, सावन में सुल्तानगंज-देवघर मार्ग में मिलेगा पौधा

    shivling flower बीएयू ने सात वर्षों के अनुसंधान के बाद काफी संख्या में औषधीय गुणों से युक्त पौधे किए तैयार। किसानों को न्यूनतम कीमत में कराया जाएगा उपलब्ध वे उसे कांवरिया मार्ग में बेचकर होंगे मालामाल। किसानों को समृद्ध बनाने के लिए कृषि विश्वविद्यालय लगातार कर रहा है प्रयास।

    By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Updated: Sat, 28 May 2022 10:23 AM (IST)
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    शिवलिंग फूल, भगवान शिव महादेव का यह फूल काफी प्र‍िय है।

    ललन तिवारी, भागलपुर। अति दुर्लभ शिवलिंग फूल और उसके पौधों की बिक्री कर जिले के किसान समृद्ध बनेंगे। बीएयू ने सात वर्षों के अनुसंधान के बाद काफी संख्या में औषधीय गुणों से युक्त पौधे तैयार किए हैं। विश्वविद्यालय किसानों को मात्र 20 रुपये में पौधा उपलब्ध कराएगा। किसान उसे सुल्तानगंज-देवघर मार्ग में बेचकर मुनाफा कमाएंगे।

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    दरअसल, मान्यता है कि शिवलिंग फूल देवों के देव महादेव को अतिप्रिय है। इसलिए इस फूल और इसके पौधे से शिव भक्तों की आस्था जुड़ी है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए बिहार कृषि विश्वविद्यालय ने सुल्तानगंज-देवघर मार्ग में इसकी बिक्री की योजना बनाई है।

    इस फूल को लेकर धार्मिक मान्यताएं

    • - कुछ लोग इसे शिव का प्रतीक मानकर इसके पेड़ की पूजा करते हैं।
    • - इसके फूल में होता है शिव का वास
    • क्यों महत्वपूर्ण है शिवलिंग फूल
    • - मान्यता है कि सावन माह में शिवल‍िंंग फूल चढ़ाने से महादेव होते हैं प्रसन्न
    • - नाग के फनों से ढंके शिवलिंग की आकृति की तरह होती है यह फूल
    • - 20 रुपये में किसानों को पौधा उपलब्ध कराएगा कृषि विश्वविद्यालय
    • - 100 वर्ष पुराना शिवलिंग फूल का विशाल पेड़ बिहार कृषि विश्वविद्यालय में है उपलब्ध

    सावन में शिव होते हैं प्रसन्न

    झारखंड साहिबगंज के कर्मकांड के प्रकांड विद्वान पंडित विवेक पांडे कहते हैं कि शिवलिंग फूल का सावन में विशेष महत्व होता है। इस फूल से शिव की पूजा करने पर वे प्रसन्न होते हैं और मुरादें पूरी करते हैं। फूल के केंद्र में शिवल‍िंग की आकृति दिखाई देती है। सांप के आकार का पराग इस फूल की विशेषता है। इसकी सुगंध बहुत अच्छी होती है।

    फूल के विस्तारीकरण का प्रयास

    बिहार कृषि महाविद्यालय सबौर के प्राचार्य डा. एसएन सिंह और अनुसंधान के सह निदेशक डा. फिजा अहमद संयुक्त रूप से कहते हैं कि धार्मिक मान्यताओं को ध्यान में रखते हुए इस फूल के विस्तारीकरण का प्रयास किया जा रहा है। सावन माह को ध्यान में रखते हुए पर्याप्त मात्रा में पौधे तैयार किए गए हैं। किसानों को मात्र 20 रुपये प्रति पौधा उपलब्ध कराया जा रहा है। ताकि वे उसे शिव भक्तों को बेचकर ज्यादा से ज्यादा आय कमा सकें। इन किसानों के जरिए शिव भक्तों को यह दुर्लभ पौधे आसानी से उपलब्ध हो सकेंगे। यह पौधा हवा को स्वच्छ बनाता ही है, इसमें औषधीय गुणों की भंडार भी है।

    शिवलिंग के फूल का आध्यात्मिक महत्व बहुत ज्यादा है। पौधे का विस्तारीकरण किया जा रहा है। इससे किसानों की आय के साधन बढ़ेंगे। लोगों को आसानी से यह दुर्लभ पौधा उपलब्ध हो पाएगा। - डा. अरुण कुमार, कुलपति बीएयू सबौर