सीमांचल में महागठबंधन के MY समीकरण पर 'डबल अटैक', 24 सीटें निर्णायक, ओवैसी और पीके की चुनौती!
बिहार विधानसभा चुनाव में सीमांचल की 24 सीटें निर्णायक भूमिका निभा सकती हैं। यहां भाजपा और महागठबंधन के बीच मुकाबला है, लेकिन ओवैसी की एआईएमआईएम और जन सुराज पार्टी (जसुपा) भी मैदान में हैं, जिससे राजद के माय समीकरण में सेंध लगने की आशंका है। सीमावर्ती क्षेत्रों में घुसपैठ और सुरक्षा जैसे मुद्दे भी हैं।

प्रशांत किशोर और असदुद्दीन ओवैसी।
माधबेन्द्र, भागलपुर। बिहार विधानसभा चुनाव में 24 सीटों वाला सीमांचल एक बार फिर से गेमचेंजर की भूमिका में है। नेपाल, बंगाल और बांग्लादेश से सटा यह भूभाग राजनीतिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है। यहां भाजपा और महागठबंधन के परंपरागत संघर्ष के बीच ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम और नए सिरे से समीकरण गढ़ने को आतुर जन सुराज पार्टी (जसुपा) मैदान में हैं।
राजद के माय (मुस्लिम-यादव) समीकरण में एआइएमआइएम और जसुपा की सेंध, मुस्लिम वोटों में बिखराव की आशंका एवं सीमावर्ती क्षेत्रों में घुसपैठ व सुरक्षा जैसे मुद्दों ने सीमांचल के चुनावी परिदृश्य को जटिल बना दिया है। ऐसे में क्या सीमांचल फिर पुरानी राह चलेगा या इस बार कोई नया रास्ता चुनेगा, बड़ा प्रश्न है।
पिछले चुनाव में मुस्लिम वोटों की गोलबंदी अपनी तरफ मोड़ ओवैसी की पार्टी एआइएमआइएम ने सीमांचल से पांच सीटें झटक ली थी। इस बार भी यह पार्टी मुस्लिम वोटों को रिझाने में लगी है। बीते दिनों सीमांचल आए असदुद्दीन ओवैसी ने अपनी हर सभा में कांग्रेस और राजद पर यह आरोप लगाया कि इन दोनों पार्टियों ने मुसलमानों को वोट बैंक की तरह उपयोग किया, लेकिन नेतृत्व नहीं दिया।
यह भी कि जब जाति का नेता हो सकता है, तो मुसलमानों का क्यों नहीं। इस रूप में ओवैसी महागठबंधन के माय समीकरण के समक्ष कड़ी चुनौती पेश कर रहे हैं। इस बीच जसुपा ने भी अपनी पहली सूची में सीमांचल की पांच सीटों सिकटी, कोचाधामन, आमौर, बायसी और प्राणपुर में से चार पर मुस्लिम प्रत्याशियों को खड़ा किया है। इन चारों सीटों पर मुस्लिम वोटों का बिखराव तय माना जा रहा है।
घुसपैठ और सुरक्षा का प्रश्न:
सीमांचल का भौगोलिक स्वरूप उसकी राजनीति तय करता है। नेपाल, बंगाल और बांग्लादेश की सीमाओं से सटे इलाकों में घुसपैठ का मुद्दा इस बार फिर उभर आया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हालिया सभाओं में इसे सुरक्षा और राष्ट्रवाद से जोड़ा है। प्रत्युत्तर में महागठबंधन इसे ध्रुवीकरण की राजनीति बता रहा।
अपना-अपना समीकरण
किशनगंज, पूर्णिया, अररिया और कटिहार जैसे जिलों में मुस्लिम मतदाताओं की जनसंख्या 40 से 68 प्रतिशत के बीच है। भाजपा हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण पर भरोसा कर रही है, जबकि राजद माय समीकरण को मजबूत करने में जुटा है। एआईएमआईएम इसी गठजोड़ में सेंध लगाने की रणनीति पर है। जसुपा मतदाताओं की संख्या से संबंधित आंकड़ों के आधार पर हर सीट पर अपना प्रभाव जमाने की रणनीति पर काम कर रही है।
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