TMBU के प्रोफेसर की चिट्ठियां खोलेंगी राज, ट्रेनों को आग के हवाले करने वाले नहीं थे 'अग्निवीर'
अग्निवीर योजना का विरोध-प्रदर्शन के दौरान बिहार में कई ट्रेनों को आग के हवाले कर दिया गया। इस प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच चल रही है। जांच में TMBU के प्रोफेसर की भूमिका संदिग्ध पाई जा रही है। उसकी चिट्ठियां संदिग्ध एक्टिविटी को उजागर कर रहीं हैं।
आनलाइन डेस्क, भागलपुर : अग्निवीर योजना के विरोध में देशभर में विरोध-प्रदर्शन कथित अभ्यर्थियों द्वारा किए गए। लेकिन इस मामले में हुई हिंसा-आगजनी की वारदातों ने सुरक्षा एजेंसियों को अलर्ट कर दिया। इस विरोध-प्रदर्शन का व्यापक असर बिहार में देखने को मिला, जहां रेलवे स्टेशन को लूटा गया, तोड़फोड़ की गई। यही नहीं ट्रेनों को आग के हवाले कर दिया गया। कई दिनों तक ट्रेनों का परिचालन ठप रहा। इस पूरे प्रकरण में कथित छात्रों का इतना उग्र होना, कई सवाल खड़े कर रहा था लेकिन अब जांच में कई बड़े खुलासे हो रहे हैं।
17 जून को विक्रमशिला एवं जनसेवा एक्सप्रेस को आग लगाकर राख करने में नक्सलियों का भी हाथ था, ऐसा खुलासा हुआ है। तेलंगाना इंटेलिजेंस ब्यूरो से मिले इनपुट के आधार पर लखीसराय में गिरफ्तार नक्सली मनश्याम दास ने ये खुलासा किया है। बांका जिले के अमरपुर थाना क्षेत्र के चरैया गांव के रहने वाले मनश्याम ने मन में छिपे सारे रहस्यों को खोला है। वो देश के शीर्ष नक्सली नेताओं के लिए कुरियर का काम करता रहा है।
खुलासा हुआ है कि वाम दल के एक छात्र नेता को आगे करके नक्सलियों ने ट्रेन को आग के हवाले किया। छात्र नेता ने व्हाट्स एप ग्रुप के माध्यम से आगजनी के लिए असामाजिक तत्वों को उकसाया था। वामदल के छात्र नेता का सीधा नक्सली कनेक्शन भी सामने आया है। साथ ही शहर के छह सफेदपोश की भी सांठ-गांठ पुलिस पूछताछ में सामने आई है।
TMBU के प्रोफेसर की चिट्ठियां
मामले में खुलासा हुआ है कि तिलकामांझी भागलपुर विवि (TMBU) के एक प्रोफेसर विलक्षण रविदास के संपर्क नक्सलियों से रहे हैं। नक्सली कनेक्शन की बात सामने आते ही विवि में हड़कंप मचा हुआ है। विलक्षण रविदास के खिलाफ तातारपुर थाने में पहले से भी दो केस दर्ज है। उनकी संदिग्ध एक्टिविटी कुछ ऐसी है कि गिरफ्तार नक्सली के पास से तीन चार चिट्ठियां मिली हैं, जिसमें विलक्षण रविदास के नाम से लिखी चिट्ठी भी पुलिस को हाथ लगी है। लखीसराय एसपी पंकज कुमार का कहना है कि संभवत: प्रोफेसर छात्रों को नक्सली मूवमेंट में शामिल करते हैं। उन्होंने बताया कि गिरफ्तार नक्सली से पूछताछ में मिली जानकारी के तथ्यों की जांच की जा रही है। इधर, प्रोफेसर का फोन लगातार स्विच आफ मिल रहा है। वहीं, अन्य मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो प्रोफेसर का कहना है कि उनका नाम फंसाने के लिए घसीटा जा रहा है। देखने वाली बात होगी कि जिन छात्रों के नाम पर हिंसक घटनाओं के बिल फाड़े गए, उसके पीछे कौन सी ताकतें रहीं।