बुरे फंसे : आपराधिक मुकदमे छिपा कर पीपी बन गए सत्यनारायण साह
जिला जज ने दो आपराधिक मुकदमे का जिक्र करते हुए डीएम को पत्र भेज दिया है। इस बात की संभावना जताई जा रही है कि विधि-विभाग की ओर से इस मामले में बड़ी कार ...और पढ़ें

भागलपुर [कौशल किशोर मिश्र]। व्यवहार न्यायालय, भागलपुर में मौजूदा लोक अभियोजक (पीपी) पद पर आसीन सत्यनारायण साह अपने विरुद्ध दर्ज आपराधिक मुकदमे को छिपा कर पीपी बने थे। इस बात का खुलासा तब हुआ जब जिलाधिकारी के समक्ष इस बात की शिकायत अपर लोक अभियोजक रामशरण सिंह ने की। उक्त शिकायत पत्र के बाद डीएम ने जिला जज से पीपी सत्यनारायण प्रसाद साह के विरुद्ध दर्ज मुकदमे, उनके विरुद्ध समर्पित आरोप पत्र एवं उनके कार्यकलाप के संबंध में मंतव्य देने का अनुरोध किया था। ताकि आगे की कार्रवाई के लिए सूबे के विधि विभाग को प्रतिवेदन भेजा जा सके। जिला जज ने दो आपराधिक मुकदमे का जिक्र करते हुए डीएम को पत्र भेज दिया है। इस बात की संभावना जताई जा रही है कि विधि-विभाग की ओर से इस मामले में बड़ी कार्रवाई की जा सकती है।
एसएसपी की ओर से उपलब्ध कराए गए दो आपराधिक मामले
1. कोतवाली (मुंदीचक) थाना कांड संख्या 473/2003 जो 6 अगस्त 2003 को धोखाधड़ी समेत कई गंभीर आरोपों में दर्ज किया गया है। अनुसंधान के पश्चात पुलिस ने धोखाधड़ी समेत अन्य कई आरोपों में सत्यनारायण प्रसाद साह के विरुद्ध आरोप पत्र संख्या 1101/9 31 दिसंबर 2003 को समर्पित किया गया है। इसी मामले में मोजाहिदपुर निवासी आरोपित कौशलेंद्र कुमार के विरुद्ध आरोप को असत्य पाते हुए पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट लगा दी है। इस मामले में आरोपित सत्यनारायण साह ने अदालत में पुनर्विचार अर्जी दाखिल कर रखी है, जो सुनवाई के लिए लंबित है।
2. मोजाहिदपुर थाना कांड संख्या 126/15 दिनांक 5 जुलाई 2015 को दर्ज किया गया है। गंभीर आरोपों में दर्ज इस मुकदमे में प्राथमिकी आरोपित सत्यनारायण साह, मुहम्मद रिजवी, महेंद्र मंडल, मुहम्मद लाडले उर्फ तबरेज अख्तर, मुहम्मद बबलू उर्फ अबूल खैर खान पर फाइनल दिखाते हुए प्राथमिकी आरोपित मुहम्मद टारजन उर्फ सलमान, सुधीर कुमार यादव, मुकेश कुमार गुप्ता के विरुद्ध 25 दिसंबर 2015 को आरोप पत्र समर्पित किया गया है।
शिकायतकर्ता बिना मुकदमे के एपीपी
पीपी के कारनामे की शिकायत करने वाले अपर लोक अभियोजक रामशरण सिंह एपीपी की हैसियत में तो हैं लेकिन तत्कालीन फस्ट एडीजे जीपी सिंह ने उनकी कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए उन्हें किसी मुकदमे में सरकार की ओर से काम करने पर रोक लगा दी थी। उसके बाद से रामशरण सिंह एपीपी तो हैं लेकिन वे सरकार की ओर से किसी मुकदमे में काम नहीं कर सकते। इस संबंध में विधि-विभाग से भी दिशा-निर्देश जारी किया गया था।
इस संबंध में व्यवहार न्यायालय भागलपुर के लोक अभियोजक सत्यनारायण साह ने कहा कि मैं जब पीपी का आवेदन दे रहा था तब एक मुकदमे में पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट दे दी थी। दूसरे मुकदमे की जानकारी हमें नहीं थी। हो सकता है हमने इसका जिक्र आवेदन में नहीं किया होगा।

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