ऋषि पंचमी : गुरुवार को करें यह पांच काम, भाद्रपद शुक्ल पक्ष पंचमी को मिलेगी यह उपलब्धि
ऋषि पंचमी भाद्रपद शुक्ल पक्ष पंचमी गुरुवार को है। काफी संख्या में लोग खासकर महिलाएं गंगा स्नान करने यहां आएंगे। इस व्रत में देवता नहीं ऋषि पूजे जात ...और पढ़ें

संवाद सहयोगी, भागलपुर। ऋषि पंचमी : यह व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। गुरुवार को यह पर्व मनाया जाएगा। व्रत को लेकर दूर दराज से महिलाओं का समूह गंगा स्नान करने आ रहा है। उम्र दराज महिलाएं गंगा स्नान कर पवित्र हो साथ में गंगा जल लेकर घर जा रही हैं। घर में गुरुवार को ऋषि पंचमी का व्रत करेंगी।
हिंदू धर्म में महिलाओं के लिए कई व्रतों का विधान है। उसी में एक व्रत ऋषि पंचमी है जिसमें देवताओं की नहीं ऋषियों की पूजा की जाती है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, महिलाओं द्वारा रजस्वला काल के दौरान जाने-अनजाने में हुई गलतियों की क्षमायाचना के लिए ये व्रत किया जाता है।
इन ऋषिओं की होती पूजा
ज्योतिष के अनुसार ऋषि पंचमी गणेश चतुर्थी के अगले दिन पंचमी को कियाजाता है। इसमें सप्त ऋषि कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि और वशिष्ठ की पूजा की जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार ये व्रत महिलाएं करती हैं।
कैसे किया जाता है व्रत
बूढ़ानाथ के पंडित आचार्य टुन्ना जी ने बताया कि ऋषि पंचमी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि से निवृत होकर चौकोर मंडप बनाना चाहिए। उस पर सप्त ऋषियों के स्थापना कर व्रत का संकल्प लेना चाहिए। धूप, दीप और नैवेद्य चढ़ाकर ऋषि पंचमी की कथा सुनना चाहिए। साथ ही सप्त ऋषियों को मीठा भोग भी लगाना चाहिए। इसके बाद दिनभर उपवास रखकर रात को एक ही समय भोजन करने का विधान बताया गया है। संभव हो तो किसी ब्राह्मण को भोजन कराएं। माना जाता है कि इस दिन जमीन से उगे हुए अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मासिक धर्म के समय हुए जाने अनजाने गलतियों के पाप निवारण और सुख, सौभाग्य, पुत्र-पौत्रादि से युक्त होकर अंत में अक्षय गति की प्राप्ति के लिए यह व्रत किया जाता है। ऐसा करने पर इस व्रत का फल उन्हें प्राप्त होता है।

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