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    ऋषि पंचमी 2021: रजस्वला दोष से म‍िलती है मुक्ति, ऐसे करें यह व्रत, जानें द‍िन और मुहूर्त

    By Dilip Kumar ShuklaEdited By:
    Updated: Wed, 08 Sep 2021 06:54 AM (IST)

    ऋषि पंचमी 2021 ऋषि-मुनियों का स्मरण कर पूजन करने से मिलती है सभी पापों से मुक्ति। हरतालिका तीज के दूसरे दिन और गणेश चतुर्थी के अगले दिन 11 सितंबर को मनाई जाएगी ऋषि पंचमी इस व्रत के प्रभाव से रजस्वला स्त्री के पाप का होता है नाश।

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    शनिवार यानी 11 सितंबर को ऋषि पंचमी मनाई जाएगी

    संवाद सहयोगी, भागलपुर। ऋषि पंचमी 2021:भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ऋषि पंचमी व्रत किया जाता है। हरतालिका तीज से दूसरे दिन और गणेश चतुर्थी के अगले दिन ऋषि पंचमी होती है। इस बार शनिवार यानी 11 सितंबर को ऋषि पंचमी मनाई जाएगी। मान्यता है कि जो कोई भी व्यक्ति इस दिन ऋषि-मुनियों का स्मरण कर उनका पूजन करता है। वह सभी पापों से मुक्त हो जाता है। व्रत करने की तैयारी में श्रद्धालु लग गए हैं।

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    बूढ़ानाथ मंदिर के आचार्य पंडित टुन्नाजी कहते हैं कि ऋषि सप्तमी के दिन सप्त ऋषियों का पूजन किया जाता है। शास्त्रों में ऐसी मान्यता है कि ऋषि पंचमी व्रत करने से मासिक धर्म के दौरान भोजन को दूषित किए गए पाप से मुक्ति मिलती है। माना जाता है कि स्त्रियों को मासिक धर्म के दौरान काम करने से रजस्वला दोष लगता है। ऋषि पंचमी का व्रत करने से स्त्रियां रजस्वला दोष से मुक्त हो जाती हैं। इसलिए इस व्रत को स्त्रियों के लिए उपयोगी माना गया है। इस त्यौहार को ह‍िंंदू धर्म में बहुत अधिक मान्यता दी गई है।

    ऐसे करें पूजा

    बताया गया कि ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि कर पवित्र होकर सप्त ऋषियों यानी ऋषि वशिष्ठ, विश्वामित्र, कण्व, भारद्वाज, अत्रि, वामदेव और शौनक का ध्यान कर सात ऋषि-मुनियों का आह्वान कर बुलाना चाहिए। फल, फूल, अक्षत, चंदन, मिष्ठान, फल , धूप, दीप आदि अर्पित कर पूजा करनी चाहिए। अघ्र्य देकर कथा श्रवण करना चाहिए। रात्रि जागरण और ब्रह्म्चर्य का पालन करना चाहिए। साग से पारण करना चाहिए। विधि-विधान के अनुसार व्रत पूर्ण करने से तीर्थ भ्रमण का पुण्य, सुख, सौभाग्य, पुत्र-पौत्र का सुख प्राप्त होता है। साथ ही व्रती अंत काल में अक्षय गति का प्राप्त करता है।

    राणीसती दादीजी दो दिवसीय भव्य हुआ पूजा अर्चना

    मां जगदम्बा स्वरुपा श्री राणीसती दादीजी मंदिर में भादो अमावस्या का दो दिवसीय आयोजन मंगलवार देर रात तक चला। प्रात: दादीजी का महाभिषेक 11 पंडितों के वैदिक के बीच गंंगोत्री यमुनोत्री के जल से अभिषेक किया गया। आरती के साथ पंचधारी 13 लड्डू का भोग लगाया गया। मां जगदंबा स्वरुप राणी सतीदादीजी भादो अमावस्या के अवसर राजस्थान के झुंझुनू जिले में प्रगट हुई थी। भागलपुर में राणी सती का मंदिर विगत 170 वर्षों से स्थापित है, उसी वर्ष से आज तक पूजन जारी है और लगातार हर वर्ष हर महीने कोई न कोई आयोजन होते रहते हैं। भागलपुर के आयोजन में मुख्य रूप से अध्यक्ष शिव कुमार अग्रवाल, महामंत्री अनिल खेतान, उपाध्यक्ष आत्मा राम, संयोजक अरुण कुमार झुनझुनवाला, ओमप्रकाश कनोडिया, चांद झुनझुनवाला, अरुण खेतङीवाल,  रवि प्रकाश खेतान, अशोक जालान आदि शाम‍िल थे।