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    Ramdhari Singh Dinkar Birth anniversary : अपनों के बीच पराए हो गए 'राष्ट्रकवि दिनकर'

    By Dilip ShuklaEdited By:
    Updated: Wed, 23 Sep 2020 08:42 PM (IST)

    Ramdhari Singh Dinkars birth anniversary रामधारी सिंह दिनकर का भागलपुर से बेहद लगाव था। वे 1964 से 1965 तक तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति रहे थे। उनकी जयंती समारोह पर विवि के कुछ अधिकारियों कर्मचारियों और शिक्षकों ने उन्‍हें याद किया।

    पीजी हिंदी विभाग में राष्ट्रकवि की जयंती पर पुष्पअर्पित करते विभागाध्यक्ष और मानविकी के डीन समेत अन्य

    भागलपुर, जेएनएन। Ramdhari Singh Dinkars birth anniversary : राष्ट्रकवि रामधारी सिंह 'दिनकर' अपने घर में ही पराए हो गए। वे तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) में 1964 से 1965 तक कुलपति के पद पर रहे थे। 19 वर्ष पहले पीजी हिंदी विभाग में राष्ट्रकवि की जयंती के मौके पर तत्कालीन कुलपति प्रो. रामाश्रय यादव ने सम्मान में उनकी आदमकद प्रतिमा का अनावरण किया था। जबकि बुधवार को राष्ट्रकवि की जयंती पर टीएमबीयू के किसी अधिकारी को उनकी याद नहीं आई। उनकी प्रतिमा या फोटो पर पुष्प अर्पित करने की औपचारिकता तक टीएमबीयू प्रशासिनक भवन में पूरी नहीं की गई।

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    अधर में लटका है प्रतिमा को मोडऩे प्रस्ताव

    पीजी हिंदी विभाग में राष्ट्रकवि की प्रतिमा के सामने परीक्षा भवन बना दिया गया है। इस वजह से अब मुख्य सड़क से प्रतिमा नहीं दिखती है। उनकी प्रतिमा को हिंदी विभाग की तरफ मोडऩे का प्रस्ताव दिया गया है। कई टेबलों से फाइल गुजरी है। उसमें खर्च होने वाला राशि का प्राक्कलन भी तैयार है, लेकिन प्रभारी कुलपति रहने के कारण मामला अधर में लटका हुआ है। पीजी हिंदी के विभागाध्यक्ष डॉ. योगेंद्र ने बताया कि अब नियमित कुलपति आने के बाद ही इस प्रस्ताव की फाइल आगे बढ़ेगी।

    पीजी हिंदी विभाग ने किया याद

    पीजी हिंदी विभाग में बुधवार को राष्ट्रकवि रामधारी सिंह 'दिनकर' को जयंती पर याद किया। विभाग में उनकी आदमकद संगमरमर की प्रतिमा पर विभागाध्यक्ष डॉ. योगेन्द्र, मानविकी के डीन डॉ. बहादुर मिश्रा समेत अन्य शिक्षकों व छात्रों ने माल्यार्पण और पुष्पांजलि अर्पित की। जयंती होने के बाद भी उनकी प्रतिमा के आसपास साफ-सफाई नहीं की गई थी। यह देख विभागाध्यक्ष और मानविकी के डीन समेत अन्य कर्मियों ने गोलंबर की सफाई की। बारी बारी से उनकी प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किया गया है। डॉ. योगेंद्र ने कहा कि राष्ट्रकवि की लेखनी आज भी प्रासंगिक है। कुलपति रहते उन्होंने विश्वविद्यालय को कई उपलब्धियां दिलाई।

     

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