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    रक्षाबंधन 2022 : भाई बहन का पवित्र त्‍योहार, 12 अगस्त, सौभाग्य योग, धनिष्ठा नक्षत्र, तीन गांठ, शुभ मुहूर्त छह घंटा

    By Dilip Kumar ShuklaEdited By:
    Updated: Tue, 09 Aug 2022 06:15 PM (IST)

    रक्षाबंधन 2022 12 अगस्त को सौभाग्य योग में रक्षाबंधन मनाना मंगलकारी है। सुबह 10.16 बजे तक एवं 11.54 से 1.32 दोपहर तक है सौभाग्य योग। इस दौरान छह घंटे तक बहन अपने भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांधेंगी।

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    रक्षाबंधन 2022 : रक्षा बंधन के लिए 12 अगस्‍त निर्धारित तिथि है।

    जागरण संवाददाता, सहरसा। रक्षाबंधन 2022 : रक्षाबंधन की तिथि को लेकर हो रही उहापोह पर ज्योतिषाचार्य पंडित तरुण झा ने कहा कि 12 अगस्त शुक्रवार को सौभाग्य योग में ही रक्षाबंधन मनाना उचित और मंगलकारी है। धनिष्ठा नक्षत्र के साथ सूर्योदय से सबेरे 10.16 बजे तक एवं 11.54 दोपहर से 1.32 दोपहर तक सौभाग्य योग में ही रक्षाबंधन वैदिक संकल्पों से पूर्ण होकर सर्व मंगलकारी है। उन्होंने बताया है की मिथिला विश्वविद्यालय पंचांग आदि के अनुसार 12 अगस्त शुक्रवार को धनिष्ठा नक्षत्र के साथ सूर्योदय से सवेरे 10.16 बजे तक एवं 11.54 दोपहर से 1.32 दोपहर तक सौभाग्य योग है। कुछ पंचांग में 11 अगस्त की चर्चा है। जिससे भ्रम हो रहा है।

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    उन्होंने कहा कि भद्रयां द्वे ना कत्र्तव्ये, ना कत्र्तव्ये श्रावनी फाल्गुनी तथा श्रावनी नृपति हन्ति, ग्रामम ददती फाल्गुनी। सनातन धर्म मे ऋषियों ने ये बताया है की यदि भद्रा मे राखी या होलिका दहन हो तो घर के मुखिया पर अशुभ राज्य और राजा पर अशुभ होने के खतरा हो सकता है। पंडित तरुण झा जी ने कहा कि 11 अगस्त को सुबह 09.40 बजे के बाद पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ होगा और तुरंत बाद भद्रा भी प्रारंभ हो रहा है जो रात्रि 08.39 तक बना है। मिथिला विश्वविद्यालय पंचांग के अनुसार जिसका उदय उसी के अस्त अनुसार रक्षाबंधन 12 अगस्त को सूर्योदय के बाद उचित और शास्त्रोचित बताया है। शास्त्र के अनुसार प्रथम दिन यदि सूर्यास्त तक भद्रा हो तो दूसरे दिन उदयकालीन पूर्णिमा में रक्षाबंधन पर्व मनाना चाहिए। भद्रा के बीच में भी शुभ मुहूर्त आते हैं ङ्क्षकतु इसमें होलिका दहन और रक्षाबंधन पर्व नहीं किया जाता है। इसलिए जो लोग 11 अगस्त को रक्षाबंधन पर्व मनाना चाहते हैं भद्रा काल अर्थात रात्रि आठ बजकर पच्चीस मिनट तक बिल्कुल नहीं मनाएं।

    उन्होंने रक्षाबंधन के संबंध में कहा कि येन बद्धो बलिराजा दानवेन्द्रो महाबल:, तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल श्लोक की चर्चा करते हुए कहा कि जिस रक्षासूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को बांधा गया था उसी सूत्र से मैं तुझे बांधता हूं। हे रक्षे (राखी) तुम अडिग रहना, तू अपने संकल्प से कभी भी विचलित न होना।

    तीन गांठ का महत्व

    रक्षाबंधन पर जब बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है तो रक्षा सूत्र पर तीन गांठें लगाती हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, राखी बांधते समय तीन गांठें लगाना शुभ माना जाता है। क्योंकि तीन गांठ का संबंध त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश से है। कहा जाता है राखी की पहली गांठ भाई की लंबी आयु के लिए, दूसरी गांठ स्वयं की लंबी आयु के लिए, तीसरी गांठ भाई बहन के रिश्ते में मिठास लाने और सुरक्षित रखने के लिए बांधी जाती है।

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