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    रज्जू भैया की पुण्य‍तिथि : बालसाहब देवरस ने अपने जीवन काल में ही इन्हें बना दिया RSS का सरसंघचालक

    By Dilip ShuklaEdited By:
    Updated: Tue, 14 Jul 2020 09:00 PM (IST)

    रज्जू भैया की पुण्य‍तिथि 14 जुलाई 2003 को प्रो राजेंद्र प्रसाद सिंह रज्जू भैया की पुण्यतिथि है। मौके पर आरएसएस के वरिष्ठ कार्यकर्ता सुधांशु पाठक ने उनकी यादों को हमसे साझा की।

    रज्जू भैया की पुण्य‍तिथि : बालसाहब देवरस ने अपने जीवन काल में ही इन्हें बना दिया RSS का सरसंघचालक

    भागलपुर [दिलीप कुमार शुक्ला]। राष्ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ के तृतीय सरसंघचालक बालासाहब देवरस ने 11 मार्च 1994 को प्रो राजेंद्र प्रसाद सिंह 'रज्‍जू भैया' को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया। आरएसएस के इतिहास की यह पहली घटना थी कि किसी सरसंघचालक के जीवित रहते उनके उत्तराधिकारी की घोषणा की गई। बालासाहब देवरस का अस्‍वस्‍थ हो गए थे। प्रो राजेंद्र प्रसाद सिंह को सभी लोग रज्‍जू भैया के नाम से पुकारते थे। संघ परिवार के कार्यकर्ताओं के बीच ही नहीं, बल्कि देश भर के लोगों के बीच रज्जू भैया काफी लोकप्रिय थे।

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    आज उनकी पुण्यतिथि है। राष्ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ के वरिष्‍ठ कार्यकर्ता सुधांशु पाठक ने उनकी यादों को हमारे साथ कुछ इस तरह से साझा किया। रज्जू भैया का जन्म 1922 में हुआ था। उनके पिता कुंवर बलवीर सिंह उत्तर प्रदेश सरकार के सिंचाई विभाग में अभियंता थे। वे बाद में मुख्य अभियंता के पद से सेवानिवृत हुए। रज्जू भैया की प्राथमिक पढ़ाई नैनीताल में हुई थी। मैट्रिक की परीक्षा उन्नाव जनपद से प्रथम श्रेणी से उन्होंने उतीर्ण की। बाद की शिक्षा प्रयाग विश्वविद्यालय में हुई। 21 वर्ष की आयु में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से भौतिक शास्त्र में M.Sc. किया। पूरे विश्वविद्यालय में इनका दूसरा क्रमांक था। इसके बाद वे इसी विश्वविद्यालय में अध्यापक के रूप में नियुक्त किए गए।

    सुधांशु पाठक ने बताया कि उत्तर प्रदेश में संघ कार्य की बढ़ती आवश्यकता को देखकर सन 1996 में रज्जू भैया ने स्वेच्छा से भौतिक शास्त्र विभागाध्यक्ष पद से त्यागपत्र दे दिया और वे संघ के प्रचारक बन गये। सन 1978 में वह संघ के सरकार्यवाह बने। 1987 तक वे इस पद पर कार्य करते रहे। स्वास्थ्य कारणों से उन्होंने 1987 में वह पद छोड़ा और नूतन सरकार्यवाह हो वे शेषाद्री के सहयोगी के रूप में सह सरकार्यवाह के नाते कार्य करते रहे। 11 मार्च 1994 को अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में तत्कालीन सरसंघचालक बालासाहेब देवरस ने राजेंद्र प्रसाद सिंह को चतुर्थ सरसंघचालक का दायित्व सौंप दिया।

    राजेंद्र प्रसाद सिंह ऐसे पहले सरसंघचालक हैं, जिन्होंने विदेश में जाकर वहां के हिंदू स्वयंसेवक संघ के कार्य का निरीक्षण किया। उनका प्रवास इंग्लैंड, मॉरिशस, केनिया, दक्षिण अफ्रीका आदि देशों में कई बार हुआ।

    1999 के फरवरी में प्रवास के क्रम में रज्जू भैया जी जब पुणे में आए, तब अचानक गिर जाने से उनके कमर की हड्डियां टूट गई थी। इसी कारण उस वर्ष की लखनऊ में संपन्न अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में वह उपस्थित नहीं हो सके। बाद में स्वास्थ्य में पूर्ण सुधार ना होने और अधिक बोलने में कठिनाई के अनुभव के कारण उन्होंने अपने दायित्व से मुक्त होने का सोचा। उन्‍होंने 10 मार्च 2000 को कुप्‍प सी सुदर्शन को अपना उत्तराधिकारी मनोनीत करने की घोषणा नागपुर के अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में की। 14 जुलाई 2003 को प्रो राजेंद्र प्रसाद सिंह 'रज्जू भैया' का पुणे में स्वर्गवास हो गया।