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चेन पुलिंग से निजात के लिए रेलवे बना रही कुछ ऐसी योजनाएं Bhagalpur News

मुंगेर लखीसराय पीरपैंती सुल्तानगंज बरियापुर से सैकड़ों की संख्या में छात्र कोचिंग में पढ़ाई करने आते हैं। इनमें से कइयों का घर स्टेशन या फिर रेलवे हाल्ट के पास पड़ता है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Fri, 03 Jan 2020 03:02 PM (IST)Updated: Fri, 03 Jan 2020 03:02 PM (IST)
चेन पुलिंग से निजात के लिए रेलवे बना रही कुछ ऐसी योजनाएं Bhagalpur News

भागलपुर, जेएनएन। मालदा मंडल अब भागलपुर-किऊल रेलखंड पर ट्रेनों के सुरक्षित परिचालन और वैक्यूम रोकने के लिए गांव वालों की मदद लेगा। इसके लिए जिन स्टेशनों और गांव के आसपास ट्रेनों को वैक्यूम किया जाता है, वैसे गांवों की सूची तैयार की जा रही है। इसके बाद संबंधित गांव के जनप्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर चेन पुलिंग की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए रणनीति तैयार की जाएगी। यह अभियान अगर सफल रहा तो इस सेक्शन पर हो रही चेन पुलिंग से काफी हद तक निजात मिल जाएगी।

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मुंगेर, लखीसराय, पीरपैंती, सुल्तानगंज, बरियापुर से सैकड़ों की संख्या में छात्र कोचिंग में पढ़ाई करने आते हैं। इनमें से कइयों का घर स्टेशन या फिर रेलवे हाल्ट के पास पड़ता है। कोचिंग आने के लिए ज्यादातर छात्र पैसेंजर से चले आते हैं लेकिन वापसी में एक्सप्रेस ट्रेन में सवार होते हैं। हॉल्ट पर एक्सप्रेस ट्रेन नहीं रुकने की वजह से एक्सप्रेस गाडिय़ों को वैक्यूम कर रोक देते हैं। इससे जहां गाडिय़ां लेट होती हैं वहीं, रेलवे को राजस्व का घाटा भी होता है। वहीं, बार-बार वैक्यूम की वजह से कपलिंग टूटने या इंजन फेल होने की संभावना बनी रहती है। इन सभी वजहों से निजात के लिए रेलवे ने संबंधित गांव के लोगों से मदद लेने का विचार कर रहा है।

बार-बार वैक्यूम से इंजन फेल और दुर्घटना की संभावना

भागलपुर-किऊल रेलखंड पर 98 किलोमीटर की दूरी तय करने में एक्सप्रेस गाडिय़ों को ढाई से तीन घंटे लगता है। इस सेक्शन पर तीन दर्जन से ज्यादा एक्सप्रेस और पैसेंजर ट्रेनों का परिचालन रोज होता है। इस रेलखंड के कुल 16 छोटे बड़े स्टेशनों पर रेल की सुरक्षा व संरक्षा की जिम्मेवारी आरपीएफ व जीआरपी की है। बावजूद इसके ट्रेनों के वैक्यूम होने का सिलसिला कम नहीं रहा है। इधर, वैक्यूम होने से इंजन पर इसका बुरा असर पड़ता है। इस कारण इंजन फेल होने के साथ दुर्घटना की प्रबल संभावना बनी रहती है। इसे नजरअंदाज करने से कभी भी बड़ा रेल हादसा हो सकता है।

विलंब होती हैं पीछे की गाडिय़ां

बार-बार पांच मिनट के अंतराल पर किसी भी ट्रेन में वैक्यूम की जाती है तो गाडिय़ों के विलंब होने की पूरी संभावना बनी रहती है। ऐसे में जिस गाड़ी में वैक्यूम होता है उसके बाद पीछे आ रही गाडिय़ां पीट जाती हैं। सोमवार को साहिबगंज इंटरसिटी के यात्री राहुल, समेश कुमार, वीके सिन्हा ने बताया कजरा और धरहरा के बाद दो बार चेन पुलिंग हुई। ट्रेनें रुकी रहीं।

कहां-कहां होता है ज्यादा वैक्यूम

भागलपुर-किऊल-जमालपुर रेलखंड पर कई जगह वैक्यूम जोन है। इसमें महेशी हॉल्ट, खडिय़ा पीपरा हॉल्ट, गनगनिया, कल्याणपुर, ऋषिकुंड हॉल्ट, पाटम हॉल्ट, बड़ी आशिकपुर, सारोबाग, अदलपुर, घोघी बरियारपुर, लय पबय हॉल्ट के अलावा उरैन, धनौरी, कहलगांव-विक्रमशिला के बीच रमजानीपुर के पास ज्यादा एक्सप्रेस ट्रेनों का ठहराव नहीं होने पर वैक्यूम किया जाता है।

चलती ट्रेन में वैक्यूम करने वाले रेल यात्रियों के खिलाफ आरपीएफ एक्ट के तहत कार्रवाई की जाती है। अभी इस क्षेत्र में चेन पुलिंग की घटनाओं में काफी कमी आई है। यात्रियों को जागरूक करने तथा वैक्यूम से होने वाली रेल की क्षति के बारे में लोगों को अवगत कराते रहते हैं। -एके सिंह, इंस्पेक्टर, आरपीएफ।


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