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    राहुल गांधी का सोना-खाना कंटेनर में, यात्रा खुली जीप से; रोजाना खर्च हो रहे 1 करोड़ रुपये

    Updated: Sat, 23 Aug 2025 09:37 AM (IST)

    बिहार में वोट अधिकार यात्रा पर निकले राहुल गांधी की दिनचर्या सुबह 4 बजे शुरू होती है। वे प्रतिदिन 10 किलोमीटर जागिंग करते हैं और टीम के साथ बैठक करते हैं। सुबह 7 बजे राष्ट्रध्वज फहराने के बाद यात्रा शुरू होती है। तेलंगाना में मसालेदार भोजन से हुई परेशानी के बाद वे सादा और पौष्टिक भोजन ले रहे हैं।

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    बिहार में वोटर अधिकार यात्रा के दौरान राहुल गांधी। (फोटो एक्स)

    विकास चन्द्र पाण्डेय, भागलपुर। मुर्गे अभी बांग भी नहीं दिए होते कि राहुल गांधी की आंखें खुल जाती हैं। तड़के चार बजे दिनचर्या का प्रारंभिक समय वे अपने तन-मन पर व्यतीत करते हैं और उसके बाद की पूरी गतिविधि कांग्रेस और महागठबंधन के लिए होती है।

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    इन दिनों अमूमन रात 11 बजे तक वे बिहार में विजय का ताना-बाना बुन रहे। उसके बाद ही रात्रि विश्राम की मोहलत मिल रही। बिहार में 'वोट अधिकार यात्रा पर निकले राहुल की यही दिनचर्या है।

    नित्यक्रिया से निवृत्त होकर राहुल जब जागिंग के लिए निकलते हैं, तो सुरक्षा कारणों से सहयात्रियों को कंटेनर में ही रहने की हिदायत होती है। अभी प्रतिदिन कम-से-कम 10 किलोमीटर की जागिंग कर रहे।

    हालांकि, सामान्य दिनों में वे 20 किलोमीटर जागिंग करते हैं। जागिंग के बाद जब वे कंटेनर में चले जाते हैं, तब सहयात्री कैंप में आवाजाही के लिए स्वतंत्र होते हैं। स्नादि से पहले कभी-कभी राहुल व्यायाम भी करते हैं।

    यात्रा के लिए निकलने से पहले अपनी टीम के साथ उनकी बैठक, बहुधा झंडोत्तोलन से पहले होती है। प्रतिदिन सात बजे राष्ट्रध्वज फहराने के साथ राष्ट्रगान होता है। उसके बाद आधा घंटा के भीतर सभी को नाश्ता कर यात्रा पर निकल जाना होता है, क्योंकि समय के पाबंद राहुल आठ बजे तक खुली जीप में सवार हो गए होते हैं।

    तेलंगाना में यात्रा के दौरान मसालेदार भोजन से राहुल को परेशानी हुई थी, इसीलिए इस बार सादा और पौष्टिक भोजन प्राथमिकता में है।

    हालांकि, उन्हें मांसाहार भी पसंद है, लेकिन इन दिनों शाकाहारी भोजन विशेषकर फल - सलाद आदि, ले रहे। मटर- कटहल के गरिष्ठ व्यंजनों के साथ जंक फूड से परहेज हैं। 'वोट अधिकार यात्रा' पर उन्होंने अभी तक मांसाहार नहीं लिया।

    कैंप में सहयात्रियों के लिए बनने वाले नाश्ता भोजन पर ही निर्भरता है, जिसे राहुल अपने कंटेनर में ही ग्रहण करते हैं। कैटरिंग की चार टीमें हैं। उनके वातानुकूलित कंटेनर में टायलेट- बाथरूम के साथ बेड, सोफा, स्टडी व डाइनिंग टेबल आदि की व्यवस्था है।

    इसके अलावा सहयात्रियों के लिए तीन श्रेणी में वातानुकूलित कुल 45 कंटेनर हैं। ये कंटेनर किसी गैर व्यावसायिक परिसर या दूसरे खुले स्थानों पर लगाए जा रहे आवश्यकतानुसार कैंप में चार-पांच छोटे और एक बड़ा टैंट भी लगता है।

    रोशनी आदि की अपनी व्यवस्था है भोजन-आवासन, परिचालन आदि को जोड़कर इस यात्रा पर प्रतिदिन लगभग एक करोड़ रुपये खर्च हो रहे।

    राहल गांधी का रहवास

    राहुल के कंटेनर से लगी उनकी वैनिटी वैन होती है। उसमें टायलेट के साथ कांन्फ्रेंस हेतु व्यवस्था है। इसी में बैठकर राहुल रणनीति बनाते हैं। इसके साथ एक और वातानुकूलित बस है, जिसमें राहुल का निजी कार्यालय व्यवस्थित है। एक कंटेनर में व्यायाम आदि के उपकरण और दूसरे जरूरी सामान साथ चलते हैं।

    वोटर अधिकार यात्रा नाश्ता : भोजन की व्यवस्था

    • सुबह में नाश्ता: कांग्रेस के वरिष्ट नेता व लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के साथ ठहरने करने वाले और दूसरे आगंतुकों को मिलाकर दो से ढाई सौ लोगों के लिए।

    • दोपहर में भोजन : राहुल और उनके साथ विशिष्ट श्रेणी के छह से सात सौ लोगों का भोजन अलग बनता है। इसके अलावा पांच से छह हजार कार्यकर्ताओं के लिए भोजन बनाने का दायित्व पटना के नामी होटल को।

    • रात में भोजन लगभग तीन सौ लोगों के लिए। उनमें अधिसंख्य कैंप में ही ठहरने वाले होते हैं।

    तीन तरह के कंटेनर

    • दो शय्या वाले अति विशिष्ट श्रेणी वाले सहयात्रियों हेतु । बेड-टायलेट के साथ डाइनिंग स्पेस भी है।

    • चार शय्या वाले बेड-टायलेट है, लेकिन डाइनिंग स्पेस नहीं। यह विशिष्ट सहयात्रियों के लिए है।

    • छह शय्या वाले सामान्य सहयात्रियों हेतु केवल बेड टायलेट - डाइनिंग की व्यवस्था कैंप में अलग।