रडार से होगी रेल पुल-पुलियों की निगरानी
रेल परिचालन को दुरुस्त रखने के लिए रडार का सहारा लिया जाएगा।

किशनगंज (सागर चन्द्रा): बारिश के मौसम में बाढ़ के कारण अक्सर रेल परिचालन पर खतरा मंडराता रहता है। इस दौरान रेल परिचालन को दुरुस्त रखने के लिए रडार का सहारा लिया जाएगा। नॉर्थ फ्रंटियर रेलवे ने अब रडार टेक्नोलॉजी पर आधारित निगरानी प्रणाली विकसित कर ली है।
रडार के जरिये रेल पुल-पुलियों पर पानी के दबाब और कटाव की निगरानी सरायघाट (असोम) में शुरू की गई है। जलस्तर में वृद्धि होने के साथ ही यह उपकरण साइट से डेटा इकट्ठा कर जीपीआरएस (जनरल पैकेट रेडियो सर्विस) के माध्यम से कंट्रोल रूम में लगे मेन सिस्टम को भेजेगा। उसके बाद एसएमएस (शॉर्ट मैसेज सर्विस) भेजकर रेलवे के संबंधित अधिकारियों को सतर्क किया जाएगा। असोम के सरायघाट के समीप ब्रह्मापुत्र नदी पर बने रेल सह रोड पुल पर रडार के माध्यम से निगरानी की जा रही है। दरअसल, रेल विभाग अपने पुल-पुलियों की निगरानी पूर्व से मैन्यूअल सिस्टम से कर रहा है। अब इस काम में रडार का भी सहारा लिया जाएगा। इसके तहत मैन्युअल मोड में सुधारकर रडार सिस्टम को रेलवे ट्रैक मैनेजमेंट सिस्टम से जोड़ा जा रहा है। इस प्रणाली में लगे उपकरण नदी के जलस्तर के खतरे को निशान पार करने के बाद खुद ही काम करने लगते हैं। उपकरण से निकलने वालीं इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगें जलस्तर का सटीक डेटा मालूम कर लेता है। यह डेटा जीपीआरएस के माध्यम से मास्टर कंप्यूटर तक भेजा जाता है। मास्टर कंप्यूटर द्वारा रेलवे के संबंधित अधिकारियों को संदेश भेज दिया जाता है।
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रडार से रेलवे ट्रैक मैनेजमेंट सिस्टम (टीएमएस) को जोड़ा जा रहा है। बरसात के पूर्व कटिहार-गुवाहाटी रेलखंड समेत जोन के दस संवेदनशील पुलों पर इस सिस्टम को स्थापित कर पुल-पुलियों और रेललाइन पर निगरानी प्रारंभ कर दी जाएगी।
- प्रणव ज्योति शर्मा
मुख्य जनसंपर्क पदाधिकारी, एनएफ रेलवे

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