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    जुड़वां बेल वृक्ष में पीत वस्त्र बांधकर देवी का किया आह्वान

    By JagranEdited By:
    Updated: Thu, 07 Apr 2022 11:15 PM (IST)

    वासंतिक नवरात्र पर क्षेत्रों में आयोजित हो रही दुर्गा पूजा को लेकर माहौल भक्तिमय बना हुआ है। पूजा पंडालों एवं मंदिरों में मंत्रोचार के साथ पूजा पाठ हो रही है। विशेषकर शाम के समय श्रद्धालुओं की भीड़ मंदिरों में उमड़ रही है।

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    जुड़वां बेल वृक्ष में पीत वस्त्र बांधकर देवी का किया आह्वान

    संस, जानकीनगर (पूर्णिया)। वासंतिक नवरात्र पर क्षेत्रों में आयोजित हो रही दुर्गा पूजा को लेकर माहौल भक्तिमय बना हुआ है। पूजा पंडालों एवं मंदिरों में मंत्रोच्चार के साथ पूजा पाठ हो रही है। विशेषकर शाम के समय श्रद्धालुओं की भीड़ मंदिरों में उमड़ रही है।

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    नगर पंचायत जानकीनगर के चोपड़ा बाजार स्थित दुर्गा मंदिर, सिकठिया ग्राम स्थित चैती दुर्गा मंदिर, सहुरिया सुभाय मिलिक पंचायत के नारायणपुर गांव स्थित दुर्गा मंदिर तथा महाराजगंज 01 पंचायत के रजवाडीह गांव में वासंतिक नवरात्र पर चैती दुर्गा पूजा का भव्य आयोजन किया गया है। दुर्गा पूजा समिति चोपड़ा बाजार के अध्यक्ष मलय कुमार दास एवं सिकठिया दुर्गा पूजा समिति के अध्यक्ष अजय कुमार सिंह व अन्य समिति सदस्यों ने जानकारी दी कि गुरुवार को बेल के वृक्ष की पूजा अर्चना कर तथा किया गया। ऐसी मान्यता है कि देवी उसी जुड़वां बेल में प्रतिष्ठापित होती हैं। दूसरे दिन यानि शुक्रवार की शाम को गाजे-बाजे के साथ पुन: बेल के वृक्ष की पूजा कर जुड़वां बेल में प्रतिष्ठापित देवी को सजी हुई डोली में मंदिर में लाकर रखा जाएगा। ऐसा माना जाता है कि देवी के साथ भूत-प्रेत,गणादि आते हैं। भूत-प्रेत, गणादि के लिए भोजन तैयार किया जाता है। फिर दूर जाकर उनके निवास स्थान पर उन्हें विधानपूर्वक पूजन के साथ भोजन कराया जाता है। इसके बाद ही अन्य कलश आदि स्थापित कर तथा विधि-विधान पूर्वक पूजन कर देवी का पट खोला जाएगा तथा सभी देवी-देवताओं को नूतन वस्त्र प्रदान कर प्राण-प्रतिष्ठा की जाएगी। इस अवसर पर नौंवी को सिकठिया में देवी जागरण का कार्यक्रम आयोजित किया गया है। देवी मंदिरों में शाम के समय काफी दूरदराज से श्रद्धालु महिलाएं दीए जलाने हेतु पहुंच रही है। चोपड़ा बाजार,सिकठिया , नारायणपुर एवं रजवाडीह गांव में आयोजन स्थल के इर्द-गिर्द छोटे बड़े स्टाल सजने लगे हैं। यज्ञ, हवन तथा वैदिक मंत्रोच्चार से आसपास का वातावरण भक्तिमय बना हुआ है। मूर्तिकारों द्वारा प्रतिमाओं की साज-सज्जा को फाइनल टच दे दिया गया है। सभी पूजा पंडाल व मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केन्द्र बने हुए हैं। मेला स्थल पर आयोजन को सफल बनाने में समिति सदस्य व स्थानीय ग्रामीण काफी सक्रिय नजर आ रहे हैं।