Bihar Politics: किसी के हनुमान नहीं हैं RCP Singh, क्या यहीं तक था रामचंद्र प्रसाद का पॉलिटिकल करियर?
Bihar Politics - पूर्व IAS अधिकारी...पूर्व केंद्रीय मंत्री...पूर्व जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष...पूर्व राज्यसभा सांसद आरसीपी सिंह के साथ अब सबकुछ पूर्व हो चुका है। फ्यूचर में किस पार्टी और किस पद पर होंगे? उनके राजनीतिक करियर को लेकर ये बड़ा सवाल उठ रहा है।

Bihar Politics, आनलाइन डेस्क, भागलपुर: रामचंद्र सिंह (RCP Singh) ने IAS अफसर से राजनीति के मैदान में कदम रखे और खूब नाम कमाया, नीतीश कुमार की पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने और फिर केंद्र तक का सफर भी तय किया। मोदी कैबिनेट में आरसीपी सिंह को जगह मिली लेकिन एक साल ही वे बतौर केंद्रीय मंत्री अपना योगदान दे सके। इसके पीछे की वजह पार्टी की ओर से उन्हें राज्यसभा का टिकट न मिलना रही। जदयू के कई दिग्गजों से उनकी अनबन सांसद बनने और मोदी कैबिनेट में शामिल होने के बाद से लगातार देखी गई। अपने इस्तीफे और पार्टी की ओर से लगे आरोपों से पहले वे, जब जमुई पहुंचे तो उन्होंने तीखे शब्दों में कहा, 'मैं किसी का हनुमान नहीं हूं। मैं खुद रामचंद्र प्रसाद सिंह हूं।' राजनीतिक पंडितों ने इसे हल्के में नहीं लिया। सभी ने पहले ही अनुमान लगा लिया था कि सिंह अब ज्यादा दिनों तक जदयू में टिकने वाले नहीं हैं। फिर वे किधर जाएंगे?
तस्वीरें दक्षिण भारत से वायरल हुई और चर्चा तेज हो गई कि आरसीपी सिंह ने जदयू छोड़ बीजेपी ज्वाइन कर ली है। इन चर्चाओं पर विराम लगा लेकिन मीडिया से मुखातिब होते हुए आरसीपी सिंह के चेहरे के भाव तेजी के साथ बयां होने लगे। वे मीडिया से कुछ भी कहने के लिए बचते दिखाई दिए तो वहीं आक्रोशित भी। हालांकि, पार्टी से इस्तीफा देने के बाद वे लगातार मीडिया से मुखातिब हो रहे हैं और जमकर भड़ास भी निकाल रहे हैं। उनके कई बयान इंटरनेट मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। विपक्षी पार्टियों के कार्यकर्ता से लेकर नेता तक इन बयानों को साझा कर रहे हैं। अब सवाल ये उठ रहा है कि क्या बिहार में इतना बड़ा नाम और पहचान बनाने वाले आरसीपी सिंह का पॉलिटिकल करियर यहीं खत्म हो जाएगा? या वे कोई पार्टी ज्वाइन करेंगे।
एक नजर आरसीपी सिंह के राजनीतिक करियर पर
- रामचंद्र प्रसाद सिंह (आरसीपी सिंह) भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में उत्तर प्रदेश कैडर के अधिकारी थे।
- 1990 के दशक के अंत में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर रहते हुए वे नीतीश कुमार के करीब आए और उन्होंने तत्कालीन केंद्रीय मंत्री का विश्वास जीत लिया।
- राजनीति में एंट्री के लिए आरसीपी सिंह ने 2010 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली।
- बता दें कि आरसीपी सिंह ने नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री के रूप में पहले 5 वर्षों के दौरान प्रमुख सचिव के रूप में कार्य किया था।
- आरसीपी सिंह की जदयू में एंट्री के बाद उन्हें लगातार दो बार राज्यसभा भेजा गया।
- वे जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बनाए गए।
- पिछले साल केंद्र में मंत्री बनाए गए। मोदी कैबिनेट में उन्हें इस्पात विभाग मिला।
पार्टी में इस्तीफा देने के बाद आरसीपी सिंह ने अल्फाजों के कई तीखे तीर छोड़े हैं। क्या वे बीजेपी में शामिल होंगे या किसी दूसरी पार्टी में इसपर कुछ कहा नहीं जा सकता। या उनका राजनीतिक करियर यहीं खत्म हो जाएगा, ये भी बड़ा सवाल है? एक आईएएस अधिकारी राजनीति में एंट्री लेने के बाद अपनी आगे की रणनीति किस तरह तैयार करता है, ये देखना भी दिलचस्प रहेगा। कहा ये भी जा रहा है कि वे नालंदा से निर्दलीय लोकसभा चुनाव 2024 में कदम रख सकते हैं। इसपर उन्होंने कुछ भी बोलने से परहेज किया है। उन्होंने कहा कि ये मेरे समर्थक तय करेंगे। उनसे ही इसपर चर्चा की जाएगी। खैर बिहार की राजनीति में इन दिनों कई बड़े उलटफेर हो रहे हैं। चर्चा इस बात की भी हो रही है कि जल्द ही बिहार में एनडीए में टूट हो जाएगी, अटकलें तेज हैं कि नीतीश कुमार एंड पार्टी बीजेपी से गठबंधन तोड़ सकती है।
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