Bihar Chunav 2025: यहां BJP-JDU में सीटों का बंटवारा आसान नहीं... आपस की रार में उलझ रही गठबंधन की गांठ
Bihar Chunav 2025 एनडीए में गठबंधन की गांठ उलझी दिख रही है। भागलपुर जिले की सात विधानसभा सीटों पर इस बार बंटवारा आसान नहीं होगा। भाजपा-जदयू दोनों पार्टियों में सहयोगियों की सीटों पर नजर है। आपसी रार को फरियाना भी कठिन टास्क लग रहा। गोपाल मंडल की सीट गोपालपुर पर सबकी निगाहें टिकीं हैं। जदयू ने भाजपा की कहलगांव व पीरपैंती पर दावा ठोका तो सीटों की अदला-बदली संभव है।

संजय सिंह, भागलपुर। Bihar Chunav 2025 भागलपुर की सात विधानसभा सीटों पर इस बार का चुनावी मौसम सामान्य नहीं, बल्कि रोमांचक मोड़ों से भरा दिख रहा है। पिछली बार चुनाव में भाजपा तीन और जदयू दो सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब हुई, लेकिन इस बार एनडीए को सात में पांच या इससे अधिक जीत के लिए कड़ी मशक्कत करनी होगी। पहली चुनौती तो गठबंधन में सीटों के बंटवारे की है।
जदयू ने अपनी सहयोगी पार्टी भाजपा की कब्जेवाली कहलगांव और पीरपैंती सीट पर खुलकर दावा ठोक दिया है, नगर सीट पर भी उसकी पैनी नजर है। नगर विधानसभा से भाजपा लगातार तीन बार औंधे मुंह गिरी है, लिहाजा जदयू अब वहां अपनी नैया उतारने की जुगत में है। सवाल यही है। क्या भाजपा इस सीट को छोड़ने को तैयार होगी। नफा नुकसान के आकलन में वह यह जरूर देखेगी कि इसके बदले उसे क्या मिल रहा?
गोपालपुर की कहानी दिलचस्प है। यहां की राजनीति किसी अखाड़े से कम नहीं। जदयू विधायक गोपाल मंडल कई बार इस सीट से चुनाव जीत चुके हैं और इलाके में उनकी पकड़ मजबूत मानी जाती रही है। लेकिन, इस बार उनकी गोटी फिसलती नजर आ रही है। वजह भी कम नहीं। उनके विवादित बयान, सार्वजनिक मंचों पर गरम तेवर और पूर्णिया सांसद पप्पू यादव से करीबी ने पार्टी नेतृत्व को असहज कर दिया है।
दूसरी ओर सांसद अजय मंडल खेमे की अपर्णा ने इलाके में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। दोनों खेमों की तकरार अब केवल अंदरखाने तक सीमित नहीं रही, बल्कि मंच से लेकर थाने-कचहरी तक पहुंच चुकी है। गोपाल मंडल द्वारा अपर्णा और सांसद को लेकर दिए गए अमर्यादित बयान ने आग में घी का काम किया। सांसद ने न केवल खुलकर मोर्चा खोला बल्कि उनके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज करा दिया।
ऐसे में यह सीट जदयू के लिए सिरदर्द बन चुकी है। पार्टी के भीतर सुगबुगाहट है कि इस बार गोपालपुर में नया चेहरा उतारा जाए। राजद छोड़कर जदयू में आए बुलो मंडल का नाम सबसे आगे बताया जा रहा है। बुलो मंडल को चुनाव मैदान में उतारने की तैयारी चल रही है। इस स्थिति में गोपाल बगावती तेवर दिखाकर पाला बदल सकते हैं और लड़ाई मंडल बनाम मंडल की हो जाएगी।
उधर, भाजपा के कब्जे वाली कहलगांव और पीरपैंती सीट पर भी हालात बदले-बदले से हैं। हालिया सर्वे रिपोर्ट भाजपा के पक्ष में उत्साहजनक नहीं बताई जा रही। यही वजह है कि जदयू ने मौके पर चौका लगाने का मन बना लिया है। विधान पार्षद विजय सिंह का बयान किसी चुनावी बिगुल से कम नहीं था। उन्होंने साफ कहा कि जदयू दोनों सीटों पर दावेदारी पेश करेगा। इससे गठबंधन के भीतर तनाव और बढ़ गया है। भाजपा को इन सीटों को छोड़ना पड़ा तो इसके बदले वह दूसरी सीटें मांग सकती।
इधर, कांग्रेस ने अपनी तैयारी तेज कर दी है। हाल में टिकट के लिए आवेदन मांगे गए तो सबसे ज्यादा दावेदार कहलगांव से सामने आए। यह स्थिति बताती है कि कांग्रेस इस बार कहलगांव को अपनी सबसे बड़ी उम्मीद के रूप में देख रही है। पार्टी यहां मजबूत उम्मीदवार तलाशने में जुट गई है। दूसरी ओर राजद और भाजपा भले सार्वजनिक रूप से चुप्पी साधे हों, लेकिन उनकी गोटियां अंदर ही अंदर उसी बिसात पर चल रही हैं जहां उनका पुराना दबदबा रहा है। वे उन सीटों पर सक्रिय हैं जहां पहले जीत दर्ज की थी या कम से कम दूसरे स्थान पर रहे थे।
अभी सीट शेयरिंग जैसी कोई बात नहीं है। फिलहाल भाजपा की सभी सीटों के साथ ही सहयोगियों की सीटों पर भी मजबूती से तैयारी की जा रही है। एनडीए के घटक दलों के बीच मनभेद जैसी कोई स्थिति नहीं है। एनडीए पूरी तरह से एकजुट है। संतोष साह, जिलाध्यक्ष भाजपा
कहलगांव सीट पर पार्टी की दावेदारी है। यहां पार्टी मजबूती से तैयारी कर रही है। ऐसे जदयू जिला की सभी सातों सीट पर एनडीए की जीत सुनिश्चित करने के लिए अपनी तैयारी कर रही है। विपिन बिहारी सिंह, जिलाध्यक्ष जदयू
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