पिट्ठा दिवस : सदियों से पूस की ठंड से बचा रहा पिट्ठा, जानिए... क्यों है यह खास, बनाने की विधि
Pitta Day पूस माह और पिट्ठा। इसके कई नाम हैं। यह खाने में स्वादिष्ट और लाभकारी होता है। पहले के समय प्राकृतिक संसाधनों से ही लोग खुद को चुस्त रखते ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, भागलपुर। Pitta Day : पूस का महीना और पिट्ठा का साथ। अक्सर लोग ठंड से बचने के लिए प्राकृतिक उपाय यानि पिट्ठा बनाया करते थे। वैसे, इसे पिट्ठा के अलावा फरा, बगिया और गोझा नाम से भी जाना जाता है। ठंड में गर्मी का अहसास के लिए पौष्टिकता से भरपूर पिट्ठा हर घर में बनाया जाता था। हालांकि पिट्ठा आज भी बन रहा है और कल भी बनेगा। वैसे, पिट्ठा गुड़, तीसी, खोआ, आलू का नमकीन पिट्ठा, बादाम का भी बनता है। न्यूट्रीशन सोसाइटी ऑफ इंडिया, भागलपुर चैप्टर के ज्वाइंट सेक्रेटरी दीपक कुमार दिनकर कहते हैं पहले के समय में प्राकृतिक संसाधनों से ही लोग खुद को चुस्त और दुरुस्त रखते थे। मेहनतकश लोग पूस की ठंड का मुकाबला इसी पिट्ठा से किया करते थे। ऐसे भोजन से शरीर को गर्माहट मिलती थी तथा वे पौष्टिकता से भी भरपूर हुआ करते थे। उन्हीं गर्म भोजन में शामिल था पिट्ठा। कोरोना काल में भी लोगों ने इसका सेवन किया।
खास तौर से ग्रामीण इलाके में सदियों से पूस माह प्रारंभ होते ही हर घर में पिट्ठा पकने लगता था। एक टाइम का यही भोजन हुआ करता था। उस वक्त सर्दी से बचने के लिए ना इतने कपड़े हुआ करते और ना ही साधन। घर की महिलाओं को भी खाना बनाने में बहुत परेशानी होती थी। फिर दूध और पिट्ठा ही एक समय में मिलता था। बात पिट्ठे की होते ही चावल के आटे से बनने वाले विभिन्न प्रकार के पिट्ठे की याद ताजी हो जाती है।
तरह-तरह का बनता था पिट्ठा
धान कटने के साथ ही सर्दी का आगमन हो जाता था। इसलिए चावल के आटे की कमी नहीं होती थी। गुड़, तीसी भी हर घर में उपलब्ध होता था। उस समय पैसे की कमी थी लेकिन अनाज की नहीं। चावल के आटे से विभिन्न प्रकार का पिट्ठा बनाया जाता था। गुड़ व तीसी, आलू, दाल, खोवा आदि का पिट्ठा अधिकांश बनता था।
पौष्टिकता से भरपूर है पिट्ठा
तीसी के कई फायदें हैं। यह फाइबर, मिनरल्स, ओमेगा-3 फैटी एसिड और एंटीआक्सीडेंट के गुणों से भरपूर होती है। रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ता है। इसी प्रकार खोआ है। यह विटामीन डी, कैल्शियम का अच्छा स्त्रोत है।
ऐसे बनता है पिटठा
-पानी उबाल कर उसमें चावल का आटा डालकर गूंथा जाता हैं।
-छोटी-छोटी लोइयां बनाई जाती है।
-गुड़ में तीसी के चूर को मिलाया जाता है।
-गुड़ व तीसी को लोई में भरकर लंबा या गोल करके बनाया जाता है।
-उसे उबलते पानी में डालकर पकाया जाता है
मुझे पिट्ठा खाना अच्छा लगता है। स्वादिष्ट और सुपाच्य होता है। ठंडा के मौसम में पि_ा खाने का मजा ही कुछ और होता है। यह व्यंजन भी बिहार के अलावा अन्य राज्यों के लोग चाव से खाते हैं। दिवस भी मनाया जाना चाहिए। - डॉ. रोमा यादव, स्त्री रोग विशेषज्ञ
ठंड के मौसम में पिट्ठा खाने से शरीर गर्म रहता है। इसमें उपयोग होने वाली सामग्री स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होती है। सुपाच्य होने की वजह से बच्चे और व्यस्क भी बड़े चाव से खाते हैं। बहुत ही मजेदार व्यंजन है। - डॉ. घनश्याम दास कोठरीवाल, अध्यक्ष, जिला कमेमिस्ट एंड ड्रगिस्स्ट संघ
-मेरे यहां वर्षों से पौष माह में पिट्ठा बनता आया है। माता जी पिट्ठा बनाती थी। बचपन से ही इसे खा रहा हूं। मीठा और नमकीन में बनाया जाता है। यह शरीर के लिए सुपाच्य है। इसके खाने से ठंड में गर्माहट आता है। इस बार भी पिट्ठा बनने की तैयारी शुरू कर दी गई है। -आलोक अग्रवाल, अध्यक्ष, क्रेडाई भागलपुर चेप्टर।

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