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    Phanishwar Nath Renu Jayanti: बिहार के लाल के 'मैला आंचल' का हर कोई दिवाना, भारतीय साहित्यकारों में एक बड़ा नाम रेणु

    By Shivam BajpaiEdited By:
    Updated: Fri, 04 Mar 2022 07:03 AM (IST)

    Phanishwar Nath Renu Jayanti 4 मार्च 1921 में जन्में फणीश्र्वर नाथ रेणु को उनके पहले उपन्यास मैला आंचल के लिये सबसे ज्यादा याद किया जाता है। यह हिंदी का सबसे श्रेष्ठ उपन्यास कहा जाता है। बिहार के अररिया जिले में जन्में रेणु भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े।

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    Phanishwar Nath Renu Jayanti: 4 मार्च को जन्में थे रेणु।

    संवाद सूत्र, रेणुग्राम (अररिया): अमर कथा शिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु की 101वीं जयंती शुक्रवार को है। मौके पर सिमराहा सहित आसपास के क्षेत्रों में धूमधाम से जयंती समारोह मनाई जाएगी। इसको लेकर भव्य तैयारी चल रही है। इस संबंध में रेणु के पुत्र सह फणीश्वर नाथ रेणु समाज सेवा संस्थान के सचिव दक्षिणेश्वर प्रसाद राय पप्पू ने बताया कि जयंती को लेकर सिमराहा स्थित रेणु जी के आदमकद प्रतिमा स्थल पर साफ सफाई का कार्य पूरा हो चुका है। प्रशासन द्वारा प्रतिमा स्थल सहित आसपास के क्षेत्रों को अतिक्रमण मुक्त कराया गया है।

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    वही रेणु के आदमकद प्रतिमा का रंग रोगन का कार्य अंतिम चरण में है। सीओ संजीव कुमार के नेतृत्व में पदाधिकारियों का दल गुरुवार को इसका जायजा भी लिया। पप्पू ने बताया रेणु जयंती पर सिमराहा में सिमराहा स्थित रेणु जी के आदमकद प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि की जाएगी। वहीं औराही हिंगना स्थित उमावि में लगी रेणु की प्रतिमा पर माल्यार्पण होगा। वहीं रेणु जी के निवास स्थान पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन होना है तथा रेणु जी के समाधि स्थल पर भी पुष्पांजलि का कार्यक्रम है। कुल मिलाकर रेणु जयंती को लेकर हर तरफ उत्सव का माहौल है।

    रेणु का 'मैला आंचल'

    • बिहार के अररिया जिले में जन्में लेखक ने अपनी इंटरमीडिएट की पढ़ाई 1942 में काशी हिंन्दू विश्वविद्यालय  से की  थी।
    • उसके बाद वो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े।
    • इनकी शिक्षा भारत और नेपाल में हुई।
    • नेपाल की सीमा से सटे उत्तर-पूर्वी बिहार के ग्रामीण प्ररपेक्ष में पले-बढ़े फणीश्र्वर नाथ का वो प्रगाढ़ जुड़ाव ही था, जिसने दुनिया को मैला-आंचल जैसा प्रतिश्र्ठित उपन्यास दिया। इस उपन्यास के लिए उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया गया।

    रेणु की अन्य रचनाएं

    • रेणु के उपन्यासों में मैला आंचल, परती परीकथा, जुलूस, दीर्घतपा, कितने चौराहे, कलंक मुक्ति, पलटू बाबू रोड सम्मलित हैं।
    • कथा संग्रह में ठुमरी, एक आदिम रात्री की महक, अग्निखोर, एक श्रावणी दोपहर की धूप, अच्छे आदमी का हिंदी साहित्य में खूब दबदबा है।
    • रेणु जी की कहानियां: मारे गये गुलफाम सारे। 
    • तीसरी मंजिल एक आदिम रात्री की महक, लाल पान की बेगम, पंच लाइट, तबे एकला चलो ले, ठेस, सम्वदिया हैं।
    • रेणु की कहानियों पर फिल्म भी बनाई जा चुकी है।

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