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PFI Ban: बिहार का सीमांचल कैसे और कब बन गया केंद्र? कटिहार-पूर्णिया-अररिया में संदिग्ध एक्टिविटी पर एक नजर

PFI Ban in India केंद्र सरकार ने बुधवार सुबह पापुलर फ्रंट आफ इंडिया (PFI) पर 5 साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया है। इसके अलावा 8 और संगठनों पर कार्यवाही हुई है। गृह मंत्रालय ने संगठनों को बैन करने का नोटिफिकेशन जारी किया है।

By JagranEdited By: Shivam BajpaiPublished: Wed, 28 Sep 2022 12:17 PM (IST)Updated: Wed, 28 Sep 2022 02:15 PM (IST)
PFI Ban: बिहार का सीमांचल कैसे और कब बन गया केंद्र? कटिहार-पूर्णिया-अररिया में संदिग्ध एक्टिविटी पर एक नजर
PFI : टेरर लिंक के मिले सबूतों के बाद हुई कार्यवाही।

PFI Ban in India, आनलाइन डेस्क (भागलपुर) : गृह मंत्रालय ने अनलाफुल एक्टिविटी प्रिवेंशन एक्ट यानी UAPA के तहत कार्यवाही करते हुए PFI (Popular Front of India) पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया है। केंद्र सरकार ने नोटिफिकेशन जारी करते हुए कहा कि पीएफआई और इससे जुड़े संगठनों की गतिविधियां देश की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा हैं। बुधवार को जारी किए गए नोटिफिकेशन की कापी सुर्खियां बटोरने लगी। इलेक्ट्रानिक मीडिया से लेकर इंटरनेट मीडिया पर इस कार्यवाही पर चर्चा तेज हो गई। इधर, बिहार के सीमांचल में बने पीएफआई के कार्यालयों पर कार्रवाई हेतु पुलिस बल की तैनाती की सूचना मिली है।

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22 सितंबर को पूर्णिया स्थित PFI के कार्यालय पर NIA ने छापेमारी की थी। एनआइए की यह छापेमारी कतई अप्रत्याशित नहीं थी। इसकी पृष्ठभूमि जुलाई माह के अंतिम सप्ताह में पटना के फुलवारी शरीफ में हुई छापेमारी के समय ही तैयार हो चुकी थी। पटना में छापेमारी के दौरान न केवल जेहादी दस्ता तैयार करने के कई प्रमाण मिले थे, बल्कि नेपाल व बांग्लादेश की सीमा पर अवस्थित पूर्णिया प्रमंडल में संगठन के गहरे जड़ जमा लेने की बात भी सामने आई थी। इसमें पीएफआइ के सीमांचल में सक्रिय कुछ लोग नामजद भी हुए थे।

इधर फुलवारी शरीफ में हुई छापेमारी के बाद से पीएफआइ की इस इलाके में गतिविधियां भी थोड़ी कुंद पड़ी थी। साथ ही संगठन के हर बड़े चेहरे अंडरग्राउंड हो गए थे। संगठन के हर बड़े चेहरों के पश्चिम बंगाल व झारखंड में छिपे रहने की बात पटना में छापेमारी के बाद से ही चर्चा में रही थी।

  • सीमांचल सहित बिहार को पांच स्टेट में बांट संगठन को किया जा रहा था मजबूत

आइबी द्वारा पूर्व में ही गृह मंत्रालय को प्रेषित रिपोर्ट में यह बात कही गई थी कि पीएफआइ पश्चिम बंगाल को केंंद्र बनाकर सीमांचल व कोसी के इलाके में संगठन को धार देने में जुटा है। पीएफआइ सीमांचल सहित पूरे बिहार को पांच स्टेट में बांटकर अपनी जमीन मजबूत कर रही थी। इसमें पटना छापेमारी के बाद नामजद हुए कटिहार के महबूब आलम नदवी सीमांचल इस्ट यानि कटिहार सहित गंगा पार के कुछ जिलों, मुंगेर निवासी सादिक आलम सीमांचल वेस्ट यानि किशनगंज, पूर्णिया, अररिया व मधेपुरा परिक्षेत्र में संगठन को धार देने में जुटा था। बताया जा रहा है कि एनआइए की छापेमारी ऐसे लोगों को कब्जे में लेने की कोशिश थी।

  • बिहार में PFI ने दिया वूमेन विंग बनाने पर जोर

इनपुट मिला था कि संगठन वूमेन विंग भी बनाने की कोशिश कर रहा है। आइबी की रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि पीएफआइ सीमांचल व कोसी के इलाके में केरल व पश्चिम बंगाल की तर्ज पर यहां वूमेन विंग बनाने की कोशिश भी शुरु कर दी थी।

इसके लिए शहरी व ग्रामीण इलाकों में लगातार चौपाल भी जम रहा था। पीएफआइ की महिला विंग दो शाखा में कार्यरत हैं। इसमें एक कैंपस तो दूसरा जेनरल शाखा है। अनुकूल शैक्षणिक संस्थान के अभाव में फिलहाल इस इलाके में जेनरल शाखा को मजबूत करने की कोशिश की जा रही थी। इसके लिए पश्चिम बंगाल से शाखा की पदाधिकारी का दौरा भी कराया जा रहा था। 

बिहार PFI का प्रदेश अध्यक्ष नदवी

बिहार PFI का प्रदेश अध्यक्ष महबूब नदवी कटिहार जिले के  हसनगंज के मुजफ्फर टोला का रहने वाला था।मूल रूप से भवन निर्माण सामग्री के कारोबार से जुड़ा नदवी पीएफआइ की जड़ सीमांचल सहित राज्य के विभिन्न जिलों में मजबूत करने का काम कर रहा था। नदवी के पिता मौलवी हैं। उसका एक भाई मेडिकल दुकान चलाता है।

याहया पब्लिक स्कूल का संचालक अब्दुल रहमान मूल रूप से बरारी प्रखंड के कठौतिया का रहने वाला है। स्कूल के समीप रहने वाले लोगों ने बताया कि बकरीद के पूर्व से ही विद्यालय व हास्टल बंद है। विद्यालय संचालक का भी कोई अता पता नहीं चल पाया। पीएफआइ के प्रदेश अध्यक्ष नदवी के भी अपने गांव में नहीं होने की बात ग्रामीणों ने कही। बहरहाल इस्लाम विरोधियों को चिन्हित कर हमला व हत्या करने की साजिश पटना में रचे जाने का तार कटिहार व अररिया से भी जुड़ा है।


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