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    अद्भुत परंपरा : चवन्नी के फेर में महंगा हुआ दहेज, अब लग रहे इतने रुपये

    By Dilip Kumar shuklaEdited By:
    Updated: Mon, 01 Mar 2021 10:34 AM (IST)

    बांका जिले की पैरघा-परिहार जाति के लोग दहेज में देते हैं 11 रुपये। बांका के पैरघा-परिहार जाति में सवा रुपये दहेज की है परंपरा। चवन्नी नहीं मिलने के कारण पांच और 11 रुपये लग रहे। शादी के वक्त लड़की के पिता को दहेज की यह राशि देनी पड़ती है।

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    छत्रपाल में पैरघा समाज के युवक-युवती शादी करते हुए

    बांका [राहुल कुमार]। कानून में प्रतिबंधित रहने के बाद भी दहेज की कुप्रथा समाप्त नहीं हो रही है। ऐसे में बांका जिले की पैरघा-परिहार जाति में अब भी सवा रुपये दहेज में ही शादियां हो रही हैं। यह अलग बात है कि अब जिन लोगों के पास चवन्नी उपलब्ध नहीं है, उन्हें पांच या 11 रुपये दहेज देना पड़ रहा है। इतना कम दहेज, या यूं कहें कि बस रिवाज के लिए चंद रुपये के दहेज पर भी शादी के समय हास-परिहास होता है। लोग कहते हैं, चवन्नी नहीं मिली तो दहेज की रकम चार गुना और 10 गुना से भी अधिक बढ़ गई।

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    शादी के वक्त लड़की के पिता को दहेज की यह राशि देनी पड़ती है। इसके बिना शादी नहीं हो सकती। अब शादियों में नई मुसीबत चवन्नी को लेकर हो रही है। बाजार से चवन्नी और अठन्नी गायब हो गया है। पैरघा-परिहार जाति पांच साल पहले तक किसी जाति की सूची में नहीं थी। लंबी लड़ाई के बाद बिहार सरकार ने इसे अति पिछड़ी जाति की सूची में जोड़ा है। बांका में इनकी 25 हजार से अधिक की आबादी है। इनका परंपरागत काम लकड़ी काटना रहा है। अभी लकड़ी काटने का काम कम होने से लोग खेतीबारी भी कर रहे हैं। बांका में करार, गोडधुवा, बजरंगपुर, रामपुर, कोईरीचक, जमुआ, छत्रपाल, बरमसिया, रतौठिया इस जाति की आबादी वाले गांव हैं। ग्रामीण लक्ष्मण सिंह, कारू, मगहरू आदि ने बताया कि इस समाज की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर रही है। इस कारण शादी में सवा रुपये दहेज की परंपरा है। हमारा समाज अब भी नगद दहेज में इतने ही रुपये देता है।

    हमारे समाज में पीढिय़ों से शादी में सवा रुपये दहेज की परंपरा चली आ रही है। हमलोग इसे पवित्र नियम बनाकर रखे हुए हैं। हां, चवन्नी का चलन खत्म होने से इस परंपरा पर थोड़ा संकट आया है। इसके बदले हम कन्यादान के वक्त 11 या 21 रुपये देकर भी काम चला लेते हैं। नियम सवा रुपये दहेज का ही है। - मनोज बाबा, जिला पार्षद सह पैरघा समाज के संयोजक।

     

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