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पद्म विभूषण 2022: जानिए कौंन हैं राधेश्याम खेमका, जि‍न्‍होंने गीताप्रेस के लिए समर्पित कर दिया था जीवन, मुंगेर से है नाता

पद्म विभूषण 2022 राधेश्याम खेमका को भारत सरकार ने पद्म पुरस्‍कार देने की घोषणा की है। उनका जन्‍म मुंगेर बिहार में हुआ था। वारणसी में रहते थे। जीवन के अंतिम दिन तक वे लगातार गीता प्रेस को अपनी सेवा करते रहे। बीएचयू से की थी पढ़ाई।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Tue, 25 Jan 2022 10:37 PM (IST)Updated: Tue, 25 Jan 2022 10:37 PM (IST)
पद्म विभूषण 2022: जानिए कौंन हैं राधेश्याम खेमका, जि‍न्‍होंने गीताप्रेस के लिए समर्पित कर दिया था जीवन, मुंगेर से है नाता
गीता प्रेस गोरखपुर के अध्यक्ष और पत्रिका कल्याण के संपादक रहे राधेश्याम खेमका को मिलेगा पद्म विभूषण।

आनलाइन डेस्‍क, भागलपुर। राधेश्याम खेमका को वर्ष 2022 में पद्म पुरस्‍कार दिया जाएगा। उनका चयन पद्म विभूषण के लिए हुआ है। वे मूलत: मुंगेर के रहने वाले थे। हालांक‍ि उनका ज्‍यादातर समय बनारस में बीता है। उन्‍होंने अपना जीवन गीता प्रेस के लिए समर्पित कर दिया था। कल्‍याण पत्रिका का काफी समय तक उन्‍होंने संपादन किया था।

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राधेश्याम खेमका गीता प्रेस, गोरखपुर के अध्यक्ष रहे थे। सनातन धर्म की प्रसिद्ध पत्रिका 'कल्याण' के संपादक उन्‍होंने काफी समय तक किया था। उन्‍हें पद्म विभूषण देने की घोषणा से मुंगेर ही नहीं बल्कि बिहार के लोग गौरव महसूस कर रहे हैं।

राधेश्याम खेमका के पिता सीताराम खेमका बिहार के मुंगेर जिले से उत्‍तर प्रदेश वाराणसी आए थे। राधेश्‍याम ने स्वामी करपात्री जी, शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती, पुरी के शंकराचार्य स्वामी निरंजन देव तीर्थ और वर्तमान पीठाधीश्वर स्वामी निश्चलानंद, कथा व्यास रामचन्द्र डोंगरे जैसे संतों के संपर्क में रहे। लगातार उनका उन्‍हें सानिध्य मिलता रहा। राधेश्याम खेमका ने बीएचयू से पढ़ाई की थी।

अप्रैल 2021 में केदारघाट स्थित अपने आवास पर राधेश्याम खेमका का निधन हो गया। उन्‍होंने गीता प्रेस में अनेक धार्मिक पत्रिकाओं और पुस्तकों का संपादन किया। उन्‍होंने वाराणसी में मारवाड़ी सेवा संघ, मुमुक्षु भवन, श्रीराम लक्ष्मी मारवाड़ी अस्पताल गोदौलिया, बिड़ला अस्पताल मछोदरी, काशी गोशाला ट्रस्ट से भी सेवा की। इन संगठनों से वे जुड़े रहे।

राधेश्याम खेमका ने गीताप्रेस के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया था। भारत सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण सम्मान देने की घोषणा की तो मुंगेर, बनारस और गीताप्रेस खुशियों में डूब गया।

गीताप्रेस के ट्रस्टी देवीदयाल अग्रवाल व प्रबंधक लालमणि तिवारी ने खुशी जताते हुए कहा कि राधेश्याम खेमका ने गीताप्रेस के शताब्दी वर्ष की तैयारियों के क्रम में पिछले साल सात मार्च को वाराणसी में गीताप्रेस प्रबंधन के साथ बैठक की थी। गीताप्रेस में कर्मकांड व संस्कारों से संबंधित पुस्तकों का प्रकाशन राधेश्याम खेमका के सुझाव पर किया गया।

सादगी जीवन का उनका

राधेश्याम खेमका धार्मिक व सात्विक प्रवृत्ति के थे। उन्होंने हमेशा पत्तल में खाना खाया। कुल्हड़ में पानी पीते थे। उन्होंने कभी चर्म वस्तुओं का उपयोग नहीं किया। कपड़े के जूते पहनते थे।

राधेश्याम खेमका का एक परिचय

राधेश्याम खेमका के पिता सीताराम खेमका थे। उनका जन्म 12 दिसंबर 1935 को मुंगेर, बिहार में हुआ था। बाद में वे वाराणसी में रहने लगे। काशी हिंदू विश्वविद्यालय से एमए व साहित्य रत्न। 1982 में वे गीताप्रेस की कल्याण पत्रिका के संपादक बने। तीन अप्रैल 2021 को काशी में उनका निधन हो गया।


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