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    ओणम 2022 : केले के पत्‍ते पर 20 प्रकार की सब्‍जि‍यां, चावल, दाल, खीर और दही का प्रसाद ग्रहण करेंगे लोग

    By Dilip Kumar ShuklaEdited By:
    Updated: Wed, 07 Sep 2022 10:58 AM (IST)

    ओणम 2022 केरल का यह राजकीय पर्व है। हर धर्म संप्रदाय और मत के लोग इसे मनाते हैं। केरल में यह पर्व काफी धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन अब यह पर्व पूरे भारत में मनाया जाना है। केरल के लोग जहां-जहां जाते हैं वहां यह पर्व मनाते हैं।

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    ओणम 2022 : केरल का यह पर्व अब हरेक जगह मनाया जा रहा है।

    ऑनलाइन डेस्‍क, भागलपुर। ओणम 2022 : जहां एकता है, वहां ओणम है। जहां मेल है, वहां ओणम है। जहां अमीर और गरीब के बीच कोई अंतर नहीं हो, न जाति का भेद हो, वहां ओणम है। जहां एकात्मकता हो, वहां ओणम है। ओणम भारत के केरल राज्य का सबसे बड़ा त्योहार है। इसे मलयाली महीने चिंगम (अगस्त से सितंबर) में प्रख्यात राजा महाबली की घर-वापसी के रूप में मनाया जाता है। ओणम मलयाली संस्कृति और परंपरा का उत्सव है।

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    (अगस्टिन कारापल्‍ली और शालिनी झा के बातचीत पर)

    केरल से भागलपुर आए माउंट असीस‍ि स्‍कूल के वरीय शिक्षक अगस्टिन कारापल्‍ली ने कहा कि ओणम एक सार्वभौमिक संकल्पना है। यह भाईचारे, शांति, न्याय और समानता का प्रतीक है। यह उस केरल का राज्य पर्व है जिसे 'भगवान का अपना देश' कहा जाता है। इस त्योहार का विरोधाभास यह है कि यह 'भगवान के अपने देश' के उस युग का स्मरणोत्सव है, जिसमें दानवों के राजा महाबली राज करते थे। शेक्सपियर ने 'टेंपेस्ट' लिखा है : अगर बुरा माने जाने वालों का घर अच्छा हो, तो अच्छे कहलाने वाले भी उसमें बसना चाहेंगे।

    ओणम एक आमंत्रण है स्वार्थपरता की बेड़ियों को तोड़ने का और हर नर-नारी में सार्वभौमिक भाईचारे को फैलाने का। यह फूलों के त्योहार है। गरीब से गरीब आदमी भी अपनी भूख-प्यास स्वयं मिटाने योग्य बन जाए, यही इस पर्व का उद्देश्‍य है।

    अल्हड़ की संस्थापिका रिसर्च असिस्टेंट शालिनी झा ने कहा कि ओणम से जुड़ी एक दंतकथा भी है। राजा महाबली ने केरल राज्य में अपने शासनकाल में एक सुनहरे युग की स्थापना की थी। उनके दंभ के बावजूद वे भगवान विष्णु द्वारा ली गई परीक्षा में उत्तीर्ण हुए, जो लोगों के प्रति उनकी निष्ठा को दर्शाता था, इसलिए उन्हें वर्ष में दो बार केरल आने की अनुमति दी गई। ओणम में दस दिनों के त्योहार में महाबली के इसी वार्षिक घर-वापसी का उत्सव मनाया जाता है।

    अगस्टिन कारापल्‍ली ने कहा कि ओणम का दस दिन का आनंदोत्सव मलयाली इतिहास और संस्कृति का श्रेष्ठ उदाहरण है। ओणम, केरल में फसल कटाई के समय मनाया जाने वाला प्रसिद्ध त्योहार है। सुंदर 'पूकलम', स्वादिष्ट 'ओणम साद्या' और शानदार सर्प-नौका दौड़ इस पर्व का आकर्षण है। ओणम साद्या सुस्वादु शाकाहारी भोजन है, जिसमें बीस तरह के व्यंजन होते हैं। यह संसार के हर व्यक्ति के मुंह भर कर खाने की इच्छा की पूर्ति का प्रतीक है। पूकलम एक पुष्प आकृति है, जो ओणम के दस दिनों के लिए घर के आंगन के सामने बनाया जाता है। प्रकृति के समन्वय और सृष्टि की रचना को देख कर मिलने वाली खुशी को दर्शाता है। महिलाएं पारंपरिक लोक नृत्य भी करती हैं। जो ओणम के त्योहार के आकर्षण का केंद्र होता है। नृत्य और स्वर योजन में की गई प्रस्तुति राजा महाबली और उनके आगमन के सम्मान में किया जाता है। इस त्योहार में आयोजित हाथियों का जुलूस भी काफी आकर्षित करता है जिसमें सजे-धजे हाथी लोगों के बीच झूम रहे होते हैं।

    अगस्टिन कारापल्‍ली ने आगे बताया 'वल्लम कली' या सर्प नौका दौड़ ओणम का एक महत्वपूर्ण और परंपरागत प्रतिस्पर्धा होती है, जिसमें सौ लोग एक नौका को चलाते हैं। केरल में लगभग बारह प्रसिद्ध नौका दौड़ होते हैं, जिन्हें देखने कई पर्यटक केरल के बैकवाटर तक आते हैं।

    अगस्टिन कारापल्‍ली ने कहा कि ओणम केवल से पर्व नहीं है, यह सभी के लिए एक सपने जैसा है। यह देश की जरूरत है, एक दूरदर्शी की दार्शनिकता है। हमें आज ऐसे महाबलियों की जरूरत है जो हजारों जरूरतमंद लोगों के चेहरे पर मुस्कान फेर दें और इस देश को 'भगवान का अपना देश' बना दें। जो दानव स्वरूप साम्राज्य स्थापित होता जा रहा है, वो इस संसार को सिर्फ नफरत, खून-खराबा और आंसू ही दे सकता है। हम सभी ये याद रखें कि हम एक जैसे ही हैं - जातिवाद, मतभेद, क्षेत्रवाद, कट्टरवाद, सांप्रदायिकता और विविधता से परे।

    सम्‍ज एसएस ने कहा कि ओणम का त्योहार हमें याद दिलाता है कि विभिन्नता होते हुए भी जो खून हमारी रगों में दौड़ता है, वह लाल है। हमारे सपने एक जैसे हैं, हमारी खुशी और हमारे आंसू भी एक जैसे ही हैं। इसलिए, हम एकता और अखंडता के लिए प्रयासरत रहना हों और संसार भाईचारे, उत्साह और शांति के रास्ते पर अग्रसर हो, जहां हमें भारत की अनेकता पर गर्व है।

    भागलपुर में मनेगा उत्‍सव

    ओणम 8 सितंबर 2022 को है। यह पर्व 10 दिनों तक मनाया जाता है। भागलपुर मलयाली एसोसिएशन के तत्‍वावधान में भागलपुर में कई जगह समारोह का आयोजन किया जाएगा। 11 सितंबर को माउंट असीसि जूनियर सेक्‍शन भागलपुर में दो घंटे का समारोह आयोजित किया जाएगा। 11 बजे से आयोजित इस कार्यक्रम में दो घंटे नृत्‍य-संगीत के पारंपरिक कार्यक्रम होंगे। आयोजन की तैयारी के लिए सम्‍ज एसएस, जॉनसन पीके, रोविन वर्गीश, अगस्टिन कारापल्‍ली, शालिनी झा, मिनी अगस्टिन आदि लगे हुए हैं। अगस्टिन कारापल्‍ली ने बताया कि इस पर्व में सभी लोगों को आमंत्रित किया गया है। यह पर्व किसी विशेष जाति, धर्म व संप्रदाय का नहीं हैं, बल्‍कि‍ सभी भारतीय इस पर्व को मनाते हैं। उन्‍होंने कहा कि केरल के लोग जहां-जहां गए इस पर्व को वहां स्‍थापित किया। भागलपुर शहर में लगभग तीन सौ लोग केरल के हैं, जो यहां किसी न किसी कार्य से रहते हैं। यहां के कई निजी स्‍कूलों में प्रधानाचार्य सहित शिक्षक, ऑफ‍िस स्‍टाफ व कर्मचारी केरल के हैं।

    शालिनी झा ने कहा कि भागलपुर में आयोजन की पूरी तैयारी कर ली है। केरल से आए सभी लोगों को यहां बुलाया गया है। अन्‍य लोग भी यहां समारोह में भाग लेने आएंगे। यहां केले के पत्‍ते में 20 प्रकार की सब्जियों के अलावा दाल, चावल, खीर, दही का प्रसाद लोगों को दिया जाएगा। इस दिन शाकाहारी भोजन बनाया जाता है। साथ ही फूलों की रंगोली बनायी जाती है, जिसमें दीप प्रज्‍वलित किया जाता है। पारंपर‍िक नृत्‍य संगीत के कार्यक्रम होते हैं। 

    इसके अलावा भागलपुर के कई अन्‍य जगहों पर भी कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। ओणम पर्व रामकृष्‍ण मिशन के द्वारा भी मनाया जाता है। इस संस्‍था से जुड़े लोग भी अलग से समारोह आयोजित करेंगे। वहींं, कहलगांव के एनटीपीसी में भी इस पर्व की तैयारी की गई है। बांका के सेंट जोसेफ स्‍कूल में भी समारोह होगा।