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    10 हजार दो और गाड़ियों का VIP नंबर लो: 214 मानें राम, 8055 बोले तो BOSS, मधेपुरा में मची होड़

    By Shivam BajpaiEdited By:
    Updated: Tue, 08 Feb 2022 09:55 AM (IST)

    गाड़ियों का वीआईपी नंबर लेने के लिए किस तरह आवेदन मिल रहे हैं। इसकी बानगी बिहार के मधेपुरा में देखने को मिल रही है। ज्योतिष से पूछकर नए वाहनों के नंबर वाहन स्वामी निकलवा रहे हैं। वहीं क्रिएटिव नंबरों की बात करें तो 214 को राम माना जा रहा है।

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    ज्योतिष से पूछकर लिए जा रहे गाड़ियों के नंबर, क्राइम की धाराओं से परहेज।

    संवाद सूत्र, मधेपुरा : वाहन के मनचाहे नंबर लेने के लिए दिन प्रतिदिन आवेदकों की संख्या बढ़ती जा रही है। आलम यह है कि मनचाहे नंबर लेने के लिए परिवहन विभाग ने 10 हजार से एक लाख तक का शुल्क निर्धारित किया है। बावजूद इसके एक ही नंबर के लिए जब कई दावेदार हो जाते हैं। इसके बाद आवेदकों द्वारा इन नंबरों पर बोली लगाई जाती है। अधिक बोली बोलने वाले मालिक को वह नंबर उपलब्ध करा दिया जाता है। इतना ही नहीं जन्म तिथि के मूलांक व शुभ नंबर नहीं मिलने पर दूसरे जिले का रूख अख्तियार किया जा रहा है।

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    फिलहाल परिवहन विभाग ने 500 से अधिक वीआइपी नंबरों को शाटलिस्ट किया है। ऐसे नंबर लेने के लिए वाहन मालिक को निर्धारित राशि चुकाना होगा। परिवहन कार्यालय के प्रधान सहायक पवन कुमार ने बताया कि 500 से अधिक वीआइपी नंबरों को शाटलिस्ट कर इसकी सूचना भी सार्वजनिक कर दी गई है। इससे इतर आइपीसी की संगीन धाराओं मसलन 380, 379, 307, 302, 364, 376, 420 समेत अन्य धाराओं वाले नंबर लेने से वाहन मालिक परहेज कर रहे हैं।

    वीआइपी नंबर वाली गाड़ी से परहेज करती है पुलिस

    जानकारी के अनुसार वीआइपी नंबर रहने की वजह से ऐसे वाहनों को रोकने को लेकर पुलिस प्रशासन भी परहेज करता है। क्योंकि अधिकांश वीआइपी नंबर वाली गाड़ी मंत्रियों, नेताओं व रसूखदार के पास ही होते हैं। ऐसे में पुलिस भी बेवजह मुसीबत लेना नहीं चाहती है।

    • आइपीसी की संगीन धाराओं वाली नंबर लेने से परहेज कर रहे हैं वाहन मालिक
    • 01 अप्रैल 2021 से दो फरवरी 22 तक 4.62 लाख रुपए जमा कर 18 मालिकों ने लिया है वीआइपी नंबर

    अप्रिय घटनाओं से बचने के लिए चुनते हैं ऐसे नंबर

    पीजी मनोविज्ञान विभाग के आचार्य डा. कैलाश प्रसाद यादव का कहना है कि वाहन मालिक अप्रिय घटनाओं से बचने के लिए जन्म तिथि मूलांक व अन्य तरह की मनचाहे नंबर लेने का प्रयास करते हैं। मालिकों को जब अपना मनचाहे नंबर मिल जाता है तो वह मानसिक रूप से संतुष्ट हो जाते हैं। ऐसे मालिक जिन्हें मनचाहे नंबर नहीं मिलता है उनके मन में हर वक्त संशय रहती है। मानसिक रूप से संतुष्ट नहीं होने के कारण नतीजा होता है कि वे किसी न किसी दुर्घटना का शकार हो जाते हैं।

    मनचाहे नंबर लेने के लिए ज्योतिषी से भी ले रहे सलाह

    ज्योतिषी लड्डू झा ने बताया कि मूलांक जन्म तिथि के अनुसार वाहन मालिक नंबर लेने को लेकर उनके पास आते हैं। उन्होंने बताया कि मूलांक एक वालों के लिए एक, दो, सात व सात अंक काफी शुभ माना जाता है। इसी तरह मूलांक दो के लिए एक, दो, चार और सात के लिए यह अंक शु है। मूलांक तीन के लिए तीन, छह, नौ व मूल्यांक चार के लिए दो, चार व सात शुभ होता है। इसके अलावा मूलांक के अनुसार लोग रंग का भी चुनाव करते हैं।

    इन नंबरों के लिए जमा करना होगा एक लाख रुपया

    0001, 0003, 0005, 0007 व 0009 नंबरों का शुल्क परिवहन विभाग ने एक लाख रुपए निर्धारित किया है। जबकि 0002, 0004, 0006, 0008, 0010, 011, 0022, 0033, 0044, 0055, 0066, 0077, 2222, 3333, 4444, 5555, 6666 तथा 7777 का शुल्क 75 हजार रूपए निर्धारित किया गया है। 8100, 8200, 8300, 8400, 8500 .........0101, 0110, 0200 आदि का शुल्क 50 हजार, 0120, 0130, 0140, 0150......समेत अन्य वीआइपी नंबर का शुल्क 25 हजार से 10 हजार रुपया तक निर्धारित किया गया है। वहीं, 8055 बास, 214 को राम और 786 जैसे नंबरों के लिए बी होड़ लगती है।

    4.62 लाख रूपए जमा कर लिए गए 18 वीआइपी नंबर

    प्रधान सहायक पवन कुमार ने बताया कि जिले में एक अप्रैल 2021 से दो फरवरी 2022 तक वीआइपी नंबर के लिए आवेदन करने वाले 18 वाहन मालिकों को च्वाईस नंबर आंवटित कर दिया गया है। इससे सरकार को 4.62 लाख राजस्व की प्राप्ति हुई है। इस नंबर के लिए आनलाइन आवेदन कर फीस जमा करना होगा। इसके बाद कार्यालय से नंबर उपलब्ध करा दिया जाएगा। जब इसी नंबर पर दूसरा मालिक दावा करेंगे तो बोली के जरिए अधिक राशि जमा करने वालों को वह वीआइपी नंबर दिया जाएगा।

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