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कोसी इलाके में अब मैया चलाएगी दुकान, बिटिया के सपनों को मिलेगी उड़ान, आर्थिक स्वावलंबन का मार्ग होगा प्रशस्त

आर्थिक संबल प्रदान करने के लिए स्वयंसेवी संस्था भूमिका विहार ने अनूठी मुहिम शुरू की है। सब्जी नाश्ता सहित घरेलू सामान की दुकान संचालित करने के लिए ऐसी महिलाओं को आवश्यक संसाधन मुहैया कराया जा रहा है। इससे उन्हें आर्थिक मजबूती मिलेगी।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 05:14 PM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 05:14 PM (IST)
कोसी इलाके में अब मैया चलाएगी दुकान, बिटिया के सपनों को मिलेगी उड़ान, आर्थिक स्वावलंबन का मार्ग होगा प्रशस्त
कटिहार बाजार में अपनी दुकान पर बैठी रेहाना

कटिहार [नीरज कुमार]। गरीब, परित्यकत एवं झूठी शादी के नाम पर मानव तस्करों के चंगुल से बचाई गई महिलाओं को आर्थिक संबल प्रदान करने के लिए स्वयंसेवी संस्था भूमिका विहार ने अनूठी मुहिम शुरू की है। सब्जी, नाश्ता सहित घरेलू सामान की दुकान संचालित करने के लिए ऐसी महिलाओं को आवश्यक संसाधन मुहैया कराया जा रहा है। साथ ही खरीद-बिक्री के कारोबार के लिए प्रशिक्षण देने के साथ ही बैंक में खाता खुलवाने का काम भी किया जा रहा है। कुरसेला प्रखंड के खेरिया एवं रामपुर पंचायत की 63 महिलाओं को इस मुहिम से अब तक जोड़ा गया है। दुकान से होने वाली आमदनी की बदौलत इन महिलाओं की बेटियां अब स्कूल भी जाने लगी है। इसमें अधिकांश निरक्षर महिलाएं हैं। गरीबी के कारण दो वक्त की रोटी का जुगाड़ भी इन महिलाओं को मुश्किल से होता था। दुकान चलाने वाली 13 महिलाएं गांव घर में भीख मांग कर किसी तरह अपने परिवार

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का भरण पोषण करती थी। दुकान का नाम भी बेटियों के नाम पर दिया गया है। इस अभियान का नाम सपनों का घर दिया गया है। स्वरोजगार से जुड़ी महिलाओं ने बिना अपना नाम बताए कहती है कि दुकान से होने वाली कमाई की बदौलत अपनी बच्चियों को स्कूल भेजने के साथ ही उसके पढ़ाई लिखाई के लिए किताब व पेन्सिल खरीदने में भी सक्षम हो रही है।

महिलाओं को दिया जा रहा प्रशिक्षण

सपनों का घर मुहिम के तहत भूमिका विहार द्वारा सर्वे कर पहले चरण में 63 परिवाराूेुं को आर्थिक रूप से संबंल बनाने के लिए चिन्हित किया गया है। निरक्षर महिलाओं को अक्षर ज्ञान देने के साथ ही खरीद बिक्री के काम के लिए प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। महिलाओं का बैंक में खाता खुलवाने के साथ ही प्रति माह बचत करने को लेकर भी प्रेरित किया जा रहा है। आस पास के दुकानदारों द्वारा परेशान करने जैसी स्थिति में संस्था द्वारा उन्हें सुरक्षा व सहायता भी पहुंचाई जाती है।

कहीं अनिता तो कहीं रेहाना के सपनों का घर

स्वरोजगार से जुड़ी महिलाओं को दुकान का नाम अपने घर के बच्चों के नाम पर रखने को कहा जाता है। खेरिया पंचायत में कहीं रेहाना के सपनों का घर तो कहीं अनिता के सपनों का घर नाम से दुकान संचालित किया जा रहा है। गांव के लोग भी अब सब्जी सहित अन्य किराना सामान की खरीदारी करने के लिए सपनों के घर को ही प्राथमिकता दे रहे हैं। अगले वर्ष जनवरी माह से इस अभियान के दूसरे चरण में सर्वे किया जाएगा। अगले एक वर्ष में 150 महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वाबलंबी बनाने के लिए स्वरोजगार उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है।

परित्यक्त और गरीब तबके की अकेली महिलाओं को स्वरोजगार से जोडऩे के लिए संस्था द्वारा मुहिम शुरू की गई है। जिले की 63 ऐसी महिलाओं को दुकान चलाने के लिए प्रशिक्षण देने के साथ आवश्यक संसाधन भी मुहैया कराया जा रहा है। झूठी शादी के नाम पर मानव तस्करों के चंगुल से बचाई गई युवतियों एवं महिलाओं पर विशेष रूप से ख्याल रखा जा रहा है। -शिल्पी सिंह, निदेशक, भूमिका विहार।


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