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    मुजफ्फरपुर से भागलपुर जेल लाया गया कुख्यात अजय पांडेय, व्यवसायी के अपहरण और हत्या मामले में था दोषी

    Updated: Sun, 17 Aug 2025 11:05 PM (IST)

    मुजफ्फरपुर जेल से कुख्यात अजय पांडेय को भागलपुर जेल में शिफ्ट किया गया है। उसपर हार्डवेयर व्यवसायी जयप्रकाश नारायण के अपहरण और हत्या का आरोप है जिसमें हनी ट्रैप का इस्तेमाल हुआ था। अजय को कड़ी सुरक्षा में रखा गया है और वह अन्य कैदियों से अलग-थलग रहेगा। पुलिस ने इस मामले में अजय और उसके परिवार को गिरफ्तार किया था।

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    मुजफ्फरपुर के खुदीराम बोस जेल से भागलपुर लाया गया कुख्यात अजय पांडेय

    जागरण संवाददाता, भागलपुर। मुजफ्फरपुर के खुदीराम बोस केंद्रीय कारा जेल से कुख्यात अजय पांडेय को भागलपुर की विशेष केंद्रीय कारा में शिफ्ट करा दिया गया है। मुजफ्फरपुर से कड़ी सुरक्षा घेरे में अजय को विशेष केंद्रीय कारा लाया गया।

    यहां कड़ी सुरक्षा तलाशी बाद अति सुरक्षित टी-सेल में बंद कर दिया गया है। मुजफ्फरपुर के जिलाधिकारी और एसएसपी की तरफ से विधि-व्यवस्था की बेहतरी के लिए उक्त शातिर को दूसरे जेल में शिफ्ट कराने की अनुशंसा की थी।

    उसके बाद जेल आईजी प्रणव कुमार ने छह माह के प्रशासनिक आदेश पर उसे भागलपुर की विशेष केंद्रीय कारा में शिफ्ट करा दिया है। यहां उसे अन्य बंदियों से अलग सेल में रखा गया है, जहां किसी अन्य बंदियों से मिलने तक की इजाजत नहीं रहती।

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    हनी ट्रैप में फंसाकर अगवा किये गए जयप्रकाश नारायण

    30 सितंबर 2018 को मुजफ्फरपुर करजा के हार्डवेयर व्यवसायी जयप्रकाश नारायण का हनी ट्रैप में अपहरण कर लिया गया था। अजय पांडेय को पुलिस इस केस का मास्टर माइंड मानते हुए उसके साथ उसके अन्य पारिवारिक सदस्यों को भी गिरफ्तार करते हुए हत्या की गुत्थी सुलझा लेने का तब दावा किया था।

    मामले में मिठनपुरा थाने के रामबाग चौड़ी के अजय पाडेय, उसकी पत्नी प्रियंका पाण्डेय व सदर थाना के पताही निवासी साले मनीष कुमार को पुलिस ने तब गिरफ्तार कर लिया था। हत्या में महत्वपूर्ण भूमिका निभानेवाले अन्य अपराधी सहयोगी अभी भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं।

    डेढ़ करोड़ रुपये की फिरौती के लिए हुआ था अपहरण फिर हत्या

    व्यवसायी का अपहरण और हत्याकांड में अजय पाडेय, प्रियंका व आदेशपाल राजू साहब, बीवी और गुलाम की तरह शामिल थे। प्रियंका ने अपना नाम बदल कर 30 सितंबर 2018 को तब हार्डवेयर व्यवसायी जयप्रकाश नारायण की पत्नी के मोबाइल पर फोन किया था।

    उसने जयप्रकाश से बात करने की इच्छा जताई थी। पत्नी ने जब उससे बात की तो उसने जमीन का सौदे करने की बात कहकर अपने ठिकाने पर बुलाया था।

    कई दिनों तक लगातार उससे बातचीत कर संपर्क कायम रखा था। उसी क्रम में हनी ट्रैप में फंसकर व्यवसायी अजय के ठिकाने पर चला आया था, जहां उसे अजय ने टाउन थाना के निकट स्थित मोतीझील के फ्लैट में कैद कर लिया था।

    बाद में यही उसकी हत्या कर दी गई थी। तब अजय ने व्यवसायी पर दबाव बनाते हुए परिजन को कॉल करके चेक बुक मंगवाया था। भगवानपुर भामा शाह द्वार के निकट से स्टाफ के हाथों चेक लाने व उस पर राशि चढ़ा कर व्यवसायी से हस्ताक्षर करा कर फिर लौटाने उसका साला मनीष वहां गया था।

    उसने ही उसके पिता व दुकान के स्टाफ संजय राय के नाम से 50-50 लाख व 25-25 लाख के जयप्रकाश के दस्तखत वाले दो-दो चेक स्टाफ को लौटाए थे। सीसीटीवी कैमरे में उसकी तस्वीर कैद हो गई थी। लेकिन, व्यवसायी ने झांसा देते हुए अपने उस एकाउंट का चेक मंगवाया, जिसमें राशि कम थी।

    इसी कारण बैंक में इस चेक के विरुद्ध राशि भुगतान नहीं हो सका। रुपये के लेनदेन में किसी को शक नहीं हो, इसके लिए व्यवसायी से एक बांड पेपर पर हस्ताक्षर कराया गया था।

    इसमें पूर्व के बकाया का चुकता करने की बात कही गई थी। फिरौती की राशि नहीं मिलने पर इस बांड पेपर को नष्ट कर दिया। पुलिस को भरमाने के लिए उसकी बाइक स्टेशन पर स्टैंड में लगवा दिया। अगले दिन यह बाइक बरामद हुई थी।