Nitish cabinet expansion : बिहार की राजनीति में विजेंद्र की हनक, 32 साल से हैं MLA, बिजली को संवारने का फिर मिला दायित्व
Nitish cabinet expansion सुपौल विधानसभा तक लगातार 32 साल से विधायक रहे विजेन्द्र कुमार यादव को एक बार फिर नीतीश कुमार ने अपने मंत्रीमंडल में जगह दे दी है। उन्हें ऊर्जा मंत्री के साथ-साथ योजना व विकास मंत्री भी बनाया गया है।
जागरण संवाददाता, सुपौल। Nitish cabinet expansion: बिहार की राजनीति में हमेशा से कोसी ने अपनी सशक्त दावेदारी दी है। सरकार किसी की हो कोसी का अपना वजूद रहा है। इसबार जब नीतीश कुमार ने आठवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली तो कैबिनेट के अव्वल नामों में कोसी का प्रतिनिधित्व शामिल है। 1990 के चुनाव में जीतकर पहली बार विधान सभा पहुंचे विजेन्द्र प्रसाद यादव ने लगातार आजतक सुपौल विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया है। अपनी कार्यशैली व निष्ठा की बदौलत वे लगभग 32 वर्षो से सत्ता के शीर्ष पर रहे हैं। कांग्रेसी हुकूमत के बाद 1990 में प्रदेश में हुए सत्ता परिवर्तन के दौर में पहली बार जनता दल के टिकट पर विजेन्द्र प्रसाद यादव निर्वाचित हुए।
लालू प्रसाद के मुख्यमंत्रित्व काल में कुछ महीने तक इन्होंने बतौर विधायक दल व क्षेत्र की सेवा की। अपनी कर्मठ व ईमानदार छवि की बदौलत इन्हें 1991 में ऊर्जा राज्य मंत्री बनाया गया। अपनी कार्यशैली की बदौलत कुछ ही दिनों बाद ये कैबिनेट मंत्री बना दिये गये। ऊर्जा के क्षेत्र में इन्होंने बेहतर कार्य किया। 1995 के चुनाव में ये पुन: जनता दल के ही टिकट पर निर्वाचित हुए। लालू प्रसाद के ही नेतृत्व में इन्हें नगर विकास मंत्री बनाया गया और बाद में फिर विधि और उर्जा मंत्री बनाये गये। 1997 में लालू प्रसाद और शरद यादव के गुटों में पार्टी विभक्त हो गई। विजेन्द्र प्रसाद यादव ने शरद यादव का साथ दिया और ये मंत्रीमंडल से अलग कर दिये गये। 2000 का चुनाव भी इन्होंने जनता दल युनाईटेड के टिकट पर लड़ा और विधायक चुने गये। प्रदेश में राजद की सरकार बनी। जनता दल युनाईटेड को मजबूती प्रदान करने में विजेन्द्र बाबू ने अहम भूमिका निभाई। 2005 का चुनाव पार्टी ने इन्हीं की अगुवाई में लड़ा। उस वक्त ये पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हुआ करते थे।
2005 के चुनाव के बाद ये फिर कैबिनेट मंत्री बनाये गये। सिंचाई, ऊर्जा और विधि जैसे विभाग की जवाबदेही सौंपी गई। 2010 के चुनाव जीतने के बाद संसदीय कार्य, मद्य निषेध,निबंधन बाद में फिर ऊर्जा जैसे महत्वपूर्ण विभाग इनके हिस्से में रहा। 2014 में लोकसभा चुनाव में पार्टी की पराजय के बाद नैतिकता के आधार पर नीतीश कुमार ने इस्तीफा दे दिया। जीतनराम मांझी के नेतृत्व में सरकार बनी और विजेन्द्र बाबू वित्त मंत्री बनाये गये। 2015 में सूबे में राजनीतिक उथल-पुथल के बीच ये मंत्री पद से हटाये गये। पुन: नीतीश कुमार की अगुवाई में बनी सरकार में इन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया। इनके जिम्मे वित्त, उर्जा, उत्पाद और वाणिज्य कर जैसे महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेवारी सौंपी गई।
2015 के विधानसभा चुनाव के बाद बनी महागठबंधन की सरकार में फिर उन्हें उर्जा और वाणिज्य कर जैसे महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेवारी सौंपी गई। 2017 में महागठबंधन से जदयू अलग हुआ और राजग की सरकार में पुन: उर्जा, वाणिज्य कर, उत्पाद जैसे महत्वपूर्ण विभाग सौंपा गया। 2020 में पुन: राजग की सरकार में उर्जा, खाद्य उपभोक्ता संरक्षण विभाग मिला। 2022 में जब जदयू ने पुन: राजग से नाता तोड़ा और राजद व कांग्रेस के साथ मिलकर महागठबंधन की सरकार बनाई तो फिर विजेंद्र प्रसाद यादव मंत्री बनाए गए। उन्हें ऊर्जा व योजना विकास मंत्री बनाया गया है।