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    Uri Encounter: तिरंगे में लिपटकर घर पहुंचा बिहार का बलिदानी अंकित... कश्मीर के उड़ी में पाक आतंकियों से लड़ते हुए मिली वीरगति

    Updated: Fri, 15 Aug 2025 03:33 AM (IST)

    Army Jawan अंकित कुमार का पार्थिव शरीर गुरुवार को दानापुर सैन्य कैंप पहुंचा। जहां से अंतिम संस्कार के लिए सड़क मार्ग से नवगछिया प्रक्षेत्र में पैतृक आवास लाया जा रहा है। दानापुर सैन्य कैंप में स्वास्थ्य मंत्री ने बलिदानी को श्रद्धांजलि दी। आज सुबह पार्थिव शरीर के नवगछिया पहुंचने पर बड़ी संख्या में लोगों ने अंकित के अंतिम दर्शन किए। Uri Encounter

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    Uri Encounter में बलिदान Army Jawan अंकित कुमार का पार्थिव शरीर गुरुवार को दानापुर सैन्य कैंप पहुंचा।

    संवाद सहयोगी, नवगछिया। Uri Encounter रंगरा प्रखंड के चापर गांव निवासी सेना के जवान बलिदानी अंकित यादव का पार्थिव शरीर गुरुवार को हवाई मार्ग से जम्मू-कश्मीर से पटना लाया गया। पटना एयरपोर्ट पर ही स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे सहित कई नेताओं और वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने पुष्प चक्र अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।

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    बलिदानी का पार्थिव शरीर विशेष वायु सेवा से जम्मू-कश्मीर के उड़ी से पटना एयरपोर्ट लाया गया, जहां से सैन्य वाहन द्वारा दानापुर कैंप पहुंचाया गया। यहां गार्ड ऑफ ऑनर के साथ अंतिम सलामी दी गई। बलिदानी के भाई मुकेश यादव ने बताया कि 15 अगस्त की सुबह पार्थिव शरीर नवगछिया पहुंच जाएगा।

    वहां से सेना के वाहन द्वारा चापर गांव लाया जाएगा, जहां पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा। गांव में बलिदानी के घर पर परिजनों और ग्रामीणों का रेला उमड़ पड़ा है।

    पत्नी से कहा था छठ में बेटों का मुंडन करवाऊंगा

    नवगछिया के रंगरा प्रखंड के चापर गांव के वीर सपूत, शहीद अंकित यादव की शहादत ने पूरे इलाके को गमगीन कर दिया है। वीरगति प्राप्त करने से महज 5 घंटे पूर्व उन्होंने पत्नी रूबी देवी से फोन पर बात करते हुए कहा था - "इस बार आऊंगा तो छठ पूजा में दोनों बेटों का मुंडन करवाऊंगा।"

    पत्नी रूबी देवी बार-बार बेहोश हो रही हैं। होश में आने पर उनका यही सवाल गूंजता है - "अब किसके भरोसे बच्चों का मुंडन करवाऊंगा, कौन देखेगा यह मुंडन?" यह कहते ही उनका गला रुंध जाता है और आसपास खड़े लोगों की आंखें भी नम हो जाती हैं।

    बड़े भाई मुकेश भारती ने बताया कि शहादत की रात ही अंकित से उनकी बातचीत हुई थी। पहले फोन पर, फिर वीडियो कॉल और कॉन्फ्रेंस के जरिए पूरे परिवार से बातें हुईं। मुकेश की आंखें भर आईं - "क्या पता था कि यह हमारी आखिरी बातचीत है।"

    गांव में मातम का माहौल है। लोग घर के आंगन में पहुंचकर परिजनों को ढांढस बंधा रहे हैं, लेकिन हर कोई इस बात से टूट सा गया है कि जवान अंकित अब कभी छठ पूजा के लिए घर नहीं लौटेंगे।