नवरात्रि पर कब करें कौन सी पूजा? आज भी चतुर्थी, 29 को निशा पूजा और 30 को दुर्गा अष्टमी; महत्वपूर्ण तिथियां और पूजन विधान
Navratri 2025 Calender नवरात्र पर इस बार दुर्गा अष्टमी महाष्टमी मंगलवार को होगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अबकी बार मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आई हैं। हाथी पर देवी का आगमन शास्त्रों में जल एवं धन-धान्य की समृद्धि का सूचक माना गया है। किसानों और आमजन के लिए इसे शुभ संकेत बताया गया है क्योंकि हाथी पर आने से वर्षा और उपज का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

संवाद सहयोगी, भागलपुर। Navratri 2025 IMPORTANT Dates भक्ति, श्रद्धा और उल्लास का महापर्व शारदीय नवरात्र इस बार सोमवार, 22 सितंबर से आरंभ हो चुका है। मां दुर्गा की विशेष उपासना और देवी स्वरूपों की साधना का यह पर्व नौ दिनों तक चलेगा। भक्त कलश स्थापन के साथ ही देवी की पूजा-अर्चना में डूब चुके हैं। इस बार 25 और 26 सितंबर को नवरात्रि की चतुर्थी तिथि है। इसके कारण रविवार, 27 सितंबर को नवरात्र के पांचवां दिन मां स्कंदमाता की पूजा होगी।
देवी का आगमन इस बार हाथी पर
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस बार मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आई हैं। शास्त्रों में हाथी पर देवी का आगमन जल एवं धन-धान्य की समृद्धि का सूचक माना गया है। किसानों और आमजन के लिए यह शुभ संकेत है, क्योंकि हाथी पर आने से वर्षा और उपज दोनों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
महत्वपूर्ण तिथियां और पूजन विधान
बूढ़ानाथ मंदिर के पंडित भुपेश मिश्रा ने बताया कि इस बार चतुर्थी पूजा दो दिन होगी।
- चतुर्थी कुष्मांडा पूजा– 25 एवं 26 सितंबर, गुरुवार और शुक्रवार
- पंचमी स्कंदमाता पूजा- 27 सितंबर, शनिवार
- बिल्वाभिमंत्रणम् एवं गज पूजा – 28 सितंबर, रविवार
- नवपत्रिका प्रवेश – 28 सितंबर, पूर्वाह्न
- निशापूजा एवं रात्रि जागरण – 29 सितंबर, सोमवार (जिस दिन अर्धरात्रि में अष्टमी का संयोग रहेगी उसी दिन निशा पूजा और रात्रि जागरण होगा)
- महाअष्टमी व्रत एवं डलिया/खोइछा अर्पण – 30 सितंबर, मंगलवार
- महानवमी – 1 अक्टूबर, बुधवार (बलि प्रदान, हवन और व्रत विधान)
- विजया दशमी – 2 अक्टूबर, गुरुवार (विसर्जन, नवरात्र पारण, अपराजिता पूजा एवं नीलकंठ दर्शन)
अष्टमी की निशापूजा का विशेष महत्व
इस वर्ष विशेष संयोग यह है कि अष्टमी तिथि का प्रभाव अर्धरात्रि तक रहेगा। इसी दिन मां दुर्गा की निशापूजा और रात्रि जागरण किया जाएगा। मान्यता है कि इस समय की गई आराधना मनोकामनाओं की पूर्ति करती है और साधकों को विशेष सिद्धि का लाभ मिलता है।
देवी का प्रस्थान नरवाहन से
पूजन विधान के अनुसार इस बार मां दुर्गा नरवाहन यानी पुरुष के कंधे पर सवार होकर विदा होंगी। शास्त्रों में नरवाहन का अर्थ शुभ और सौख्यदायक माना गया है। इससे यह संकेत मिलता है कि घर-घर में सुख-शांति और समृद्धि का वातावरण बनेगा।
भक्ति से सराबोर पूजा पंडाल
भागलपुर शहर के मंदिरों और पूजा पंडालों में भक्तिमय वातावरण दिखाई देने लगा है। श्रद्धालु सुबह-शाम आरती और भजन-कीर्तन में लीन हैं। बाजारों में पूजन सामग्री और डलिया-खोइछा की खरीदारी भी शुरू हो गई है। आयोजक मंडलियां भव्य पंडाल और अलंकृत प्रतिमाओं की तैयारी में जुटे हैं।
भक्ति और उल्लास से गूंजा भागलपुर
शारदीय नवरात्र पर भागलपुर भक्ति और श्रद्धा से सराबोर है। जगह-जगह मंदिरों और पंडालों में मां दुर्गा की आराधना हो रही है। कहीं दुर्गासप्तशती का पाठ गूंज रहा है, तो कहीं भजन-कीर्तन और आरती से वातावरण भक्तिमय हो उठा है। भव्य पंडालों में दिखने लगा देश-विदेश के मंदिरों का स्वरूप शहर में नवरात्र के अवसर पर पंडाल निर्माण अंतिम चरण में है। इस बार मारवाड़ी पाठशाला परिसर में अमेरिका के स्वामी नारायण मंदिर, कालीबाड़ी में गुजरात के अक्षरधाम मंदिर, मुंदीचक गढ़ैया में चेन्नई के राधाकृष्ण मंदिर, कचहरी चौक पर जमुई काली मंदिर और बड़ी खंजरपुर में राजस्थान के उम्मेद पैलेस की झलक दिखने लगी है । मंदरोजा में इस्कान मंदिर और हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में 51 फीट ऊंचा रामलला का भव्य पंडाल आकर्षण का केंद्र बनने जा रहा है।
कालीबाड़ी-दुर्गाबाड़ी में प्रतिमा स्थापना 27 को
कालीबाड़ी दुर्गापूजा समिति के महासचिव बिलास कुमार बागची ने बताया कि शनिवार, 27 सितंबर की पंचमी तिथि पर शाम आठ बजे मां दुर्गा की प्रतिमा वेदी पर स्थापित की जाएगी। बंगाल की परंपरा अनुसार ढाक की थाप और शंख-घंटे की गूंज के बीच यह अनुष्ठान संपन्न होगा। प्रतिमा स्थापना के साथ ही मां दुर्गा का बोधन भी होगा।
नवरात्र षष्ठी पर महिलाएं करेंगी व्रत
षष्ठी तिथि पर संतान की दीर्घायु के लिए महिलाएं व्रत करेंगी। दुर्गाबाड़ी पूजा समिति के सचिव सुजय सर्वाधिकारी ने बताया कि 29 सितंबर सप्तमी के दिन पत्रिका प्रवेश और महारात्रि की निशापूजा होगी। शहर के मोहद्दीनगर दुर्गामंदिर में प्रतिदिन बड़ी संख्या में महिलाओं की भीड़ उमड़ रही है। मुंदीचक गढ़ैया दुर्गामंदिर में लोकेश झा सहित अन्य पंडितों द्वारा दुर्गासप्तशती का पाठ किया जा रहा है। मिरजानहाट क्लबगंज, तिलकामांझी चौक और अन्य मंदिरों में भी देर शाम तक आरती देने वालों की कतार लगी रही।
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