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    National Mango Day 2022: मालदा-जर्दालु के अलावा भागलपुर में होते हैं कई वैरायटी के आम, इनकी गुठलियों का भी मिलता है दाम

    By Shivam BajpaiEdited By:
    Updated: Fri, 22 Jul 2022 05:17 PM (IST)

    National Mango Day 2022 राष्ट्रीय आम दिवस पर भागलपुर के जर्दालु-मालदा आम के अलावा भी कई आम मौजूद हैं। वैसे बिहारभर में आम की अच्छी खासी फसल होती है। आम की कई वैरायटी बिहार में मिल जाएंगी। आम से जुड़े रोचक तथ्यों और इसके इतिहास के बारे में पढ़ें...

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    National Mango Day 2022- भागलपुर का जर्दालु और मालदा आम को मिला जीआई टैग।

    National Mango Day 2022, आनलाइन डेस्क, भागलपुर: देश का राष्ट्रीय फल आम अपने अनोखे रसीले और स्वादिष्ट स्वाद के लिए हर किसी को पसंद आता है। हर साल 22 जुलाई को राष्ट्रीय आम दिवस मनाया जाता है। भागलपुर और बिहार में आम किसानों के लिए किसी वरदान से कम भी नहीं है। यहां आम की कई किस्म मौजूद हैं। अकेले भागलपुर में दर्जनों वैरायटी के आम मिल जाएंगे। ऐसे आम जिनका स्वाद लेने के बाद आप इसकी डिमांड हर सीजन करने को मजबूर हो जाएंगे।

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    भागलपुर में जर्दालु, मालदा, लाल मालदा, सफेद मालदा, बंबई, चौसा, पेप्सी, कृष्णभोग, सिंदुरिया, सिपिया, शुकुल समेत तमाम वैरायटी के आम उपलब्ध हैं। इनके नाम गांव-देहात में अलग हैं। फजली और बिजु आम भी भागलपुर के ग्रामीण इलाकों में मिल जाएगा। इन दोनों आमों में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध आम जर्दालु और मालदा है। इनकी खासियत के चलते ही इन्हें जीआई टैग दिया गया है। ये आम देश-विदेश तक निर्यात होते हैं। अनोखे स्वाद के चलते आम को देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री तक को भी भेजा जाता है। 

    आम का आचार...

    वैसे आम कच्चा और पक्का दोनों तरह से खाया जाता है। भागलपुर और आसपास के जिले में आम का आचार बनाया जाता है। इस बार इस आचार के घरेलू उद्योग में अच्छा व्यापार किया है। महिलाओं के हाथों का बनाए गए आचार की डिमांड मार्केट में ज्यादा है। भागलपुर के इशाचक में रहने वाली सीता कुमारी कहती हैं, 'अबकी कोरोना संक्रमण के बाद आम के आचार का व्यापार बढ़ा है। हम कई सालों से आचार बनाने का काम कर रहे हैं। श्रावणी मेला में भी आचार की सप्लाई की गई है। यहां तक की बासुकीनाथ धाम के आसपास लगी कई दुकानों में आचार की सप्लाई की गई है। वहां से डिमांड ज्यादा है।'

    आम के आम, गुठलियों के भी दाम

    भागलुपर के कहलगांव के आम की बाग में बाहर से लोग गुठलियां (बीज) लेने भी पहुंचते हैं। किसानों का कहना है कि कुछ लोग मालदा और जर्दालु आम के पौधे ले जाते हैं और कुछ यहीं टूटकर गिरे आम (जो नजरों में नहीं पड़ते और सूख जाते हैं) उन्हें उठा ले जाते हैं। दोनों वैरायटी के आमों के पौधे और बीज के लिए पैसे भी मिलते हैं। वहीं कुछ ने कहा कि आम की गुठलियों का प्रयोग वैद्य भी करते हैं। दस्त, रोग प्रतिरोधक क्षमता और महिलाओं की कई समस्याओं में आम की गुठली औषधी की तरह काम करती है।

    आम का इतिहास

    भारत में आम अधिक मात्रा में उपजाया जाता है। मैंगो शेक से लेकर कई तरह से आम का उपयोग किया जाता है। आमरस हो या अमचुर (खटाई) खाने में इसका उपयोग सीजन के अलावा भी सालभर किया जा सकता है। जानकारी मुताबिक आम का इतिहास बहुत पुराना तकरीबन 5,000 साल का है।

    भगवान बुद्ध और आम 

    भारत की लोककथाओं से जुड़े इस फल के बारे में कहा जाता है कि भगवान बुद्ध को एक आम का बाग दिया गया था। इसकी वजह यह थी कि वे इसी छायादार पेड़ के नीचे आराम करें। आम को अंग्रेजी और स्पैनिश भाषी देशों में मैंगो न कहकर आम ही कहा जाता है।  आम नाम की उत्पत्ति मलय शब्द के मन्ना से हुई है, जिसे समय बदलते ही पुर्तगालियों ने बदल दिया। पुर्तगालियों ने मसाला व्यापार के दौरान 1490 में केरल पहुंच इसे मंगा कहकर संबोधित किया। धीर-धीरे ये मंगा से मैंगो में बदल गया और हिंदी में शुद्ध रूप से इसे आम कहा जाने लगा। जानकार कहते हैं कि आम कहने के पीछे का आशय ये था कि ये आम इंसान के घर भी आसानी से पहुंचता है। 

    कुछ अन्य आम से जुड़े रोचक तथ्य 

    • भारत आम का सबसे बड़ा उत्पादक देश है, इसके बाद चीन और थाईलैंड हैं।
    • आम विटामिन ए, सी और डी का प्रमुख स्रोत है।
    • एक पके आम में उसके वजन से 14 प्रतिशत शुगर और 0.5% अम्ल होता है।
    • आम की टोकरी को दोस्ती का प्रतीक माना जाता है, ऐसा कहा जाता है कि इसे गिफ्ट करने से मित्रता गहरी होती है।
    • आम काजू और पिस्ता से संबंधित वर्ग में आता है।

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