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    Profile of Narendra Singh : 74 के क्रांतिकारी नेता का हुआ अस्त, लालू, नीतीश व जीतन राम के मंत्रीमंडल में थे शामिल

    Profile of Narendra Singh बिहार के कद्दावर नेता नरेंद्र सिंह का निधन हो गया। वे 1974 के क्रांतिकारी नेता थे। जमुई ही नहीं बिहार की उनकी काफी खास थी। उन्होंने लालू यादव नीतीश कुमार और जीतन राम मांझी के मंत्रीमंडल में कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों को संभाला था।

    By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Updated: Mon, 04 Jul 2022 10:09 AM (IST)
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    Profile of Narendra Singh : बिहार जमुई के कद्दावर नेता नरेंद्र सिंह का निधन।

    अरविंद कुमार सिंह, जमुई। Profile of Narendra Singh : 71 वर्ष की आयु में पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह का निधन के साथ ही जमुई की राजनीति का एक और उदयीमन सूर्य अस्त हो गया। इसके पहले 24 जून 2010 को पूर्व केंद्रीय मंत्री दिग्विजय सिंह का निधन ब्रेन हेमरेज से हो गया था। नरेंद्र सिंह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। दिल्ली के एम्स अस्पताल में उनके लिवर में गांठ का आपरेशन हुआ था। फिलहाल वे पटना के बिग अस्पताल में इलाजरत थे। उनके निधन से मंत्री पुत्र सुमित कुमार सिंह व पूर्व विधायक पुत्र अजय प्रताप सहित पूरा परिवार और जमुई वासियों के बीच शोक की लहर दौड़ गई। उन्होंने तकरीबन सोमवार की सुबह 9:15 बजे आखिरी सांस ली। आज शाम तक पार्थिव शरीर पकरी स्थित आवास पर लाया जाएगा। अंतिम संस्कार किऊल नदी के पकरी घाट पर मंगलवार को किया जाएगा।

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    बिहार की राजनीति के मजबूत स्तंभ के नरेंद्र सिंह

    पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह सिर्फ जमुई ही नहीं बल्कि बिहार की राजनीति के मजबूत स्तंभ थे। इस बात को उन्होंने 2005 में लोजपा से बगावत कर नीतीश कुमार की सरकार गठन में अहम भूमिका निभाकर साबित किया था। बगावती तेवर और जनहित के सवालों पर अधिकारियों के साथ कड़क अंदाज में पेश आना उनकी पहचान थी। तीन दशक तक जमुई की राजनीति की एक धूरी बने रहे नरेंद्र सिंह ने 21 फरवरी 1991 में जमुई को जिला का दर्जा दिला कर जमुई के विकास का जो सिलसिला शुरू किया, उसको लेकर आखिरी सांस तक चिंतित रहे। हाल के दिनों किसानों एवं मजदूरों के सवाल पर वे बिहार और दिल्ली की वर्तमान सरकार से खफा चल रहे थे।

    1985 में पहली बार चुने गए थे विधायक

    पूर्व मंत्री व स्वतंत्रता सेनानी समाजवादी नेता श्रीकृष्ण के पुत्र नरेंद्र सिंह पहली बार कांग्रेस की टिकट पर चकाई विधानसभा क्षेत्र विधायक चुने गए थे। 1990 में दूसरी बार निर्वाचित होकर लालू प्रसाद की सरकार में पहली बार कैबिनेट मंत्री बनने का अवसर प्राप्त हुआ। हालांकि बगावती तेवर के कारण वे बहुत ज्यादा दिनों तक मंत्रिमंडल में नहीं टिक सके और त्यागपत्र देकर लालू सरकार के खिलाफ बिगुल फूंक दिया था। 2000 के विधानसभा चुनाव में वे एक साथ दो विधानसभा क्षेत्र जमुई और चकाई से विधायक चुने गए बाद में उन्होंने जमुई से इस्तीफा देकर सुशील कुमार सिंह उर्फ हीरा जी को विधायक बनाने में महती भूमिका निभाई थी। 2005 में नीतीश कुमार की सरकार में मंत्री बने और 2015 में जीतन राम मांझी सरकार चलने तक मंत्री पद को सुशोभित करते रहे।

    1974 आंदोलन के अग्रणी नेताओं में शुमार थे नरेंद्र

    नरेंद्र सिंह 1974 आंदोलन के अग्रणी नेताओं में शुमार रहे। वे 1973 में पहली बार पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के महासचिव चुने गए थे। तब रामजतन शर्मा अध्यक्ष थे। दूसरी बार 1974 में लालू प्रसाद अध्यक्ष और नरेंद्र सिंह महासचिव निर्वाचित हुए। 74 आंदोलन के क्रांतिकारी नेता नरेंद्र सिंह के खून में ही क्रांति और समाजवाद समाहित था। यहां यह बताना लाजिमी है कि उनके पिता श्री कृष्ण सिंह भी अंग्रेजों के खिलाफ क्रांतिकारी आंदोलन के अगुआ रहे थे। आजादी के बाद उन्होंने समाजवाद को अपनाया और आखिरी क्षण तक समाजवादी विचारों को स्थापित करने को लेकर लड़ते रहे।