पूर्णिया मेडिकल कालेज को एमसीआइ ने नहीं दी हरी झंड़ी, शिक्षकों की कमी सबसे बड़ा रोड़ा
पूर्णिया मेडिकल कालेज को एमसीआइ की टीम ने हरी झंडी नहीं दी। शिक्षकों और संसाधनों की कमी इसमें सबसे बड़ा बाधक बना। 25 अक्टूबर को एनएमसी ने सरकार से लेक ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, भागलपुर। आखिरकार वही हुआ जिसका भय था। पूर्णिया मेडिकल कालेज अस्पताल को नेशनल मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया ने मान्यता नहीं दी। वजह है 60 फीसद शिक्षकों एवं अन्य संसाधनों की कमी। 25 अक्टूबर को एनएमसी ने सरकार से लेकर अन्य अधिकारियों को मान्यता नहीं देने का पत्र दिया है। ढ़ाई महीने बाद शुक्रवार को सरकार ने जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय से पूर्णिया स्थानांतरित किए गए शिक्षकों को वापस बुला लिया।
- 10 अगस्त को एनाटामी एवं अन्य विभाग के शिक्षकों को सरकार ने पूर्णिया स्थानांनतरित किया था
-ढाई माह बाद सरकार ने वापस बुलाया, जेएलएनएमसीएच में भी कामकाज हो रहा था प्रभावित
- 60 फीसद शिक्षकों की कमी से एनएमसी ने नहीं दी मान्यता, लंबे समय से हो रही मांग
10 अगसत को डाक्टरों का किया गया था स्थानांतरण
स्थानीय मेडिकल कालेज से 10 अगस्त को एनाटामी, फिजियोलाजी और बायोकेमेष्ट्री के 21 डाक्टरों को पूर्णिया मेडिकल कालेज स्थानांनतरित किया गया था। क्योंकि एनएमसी निरीक्षण करने वाली थी। शिक्षकों का स्थानांतरण इसलिए किया गया ताकि निरीक्षण के दौरान एनएमसी के इंस्पेक्टर को फैकेल्टी की कमी नहीं हो। लेकिन इसके बावजूद भी निरीक्षण में 60 फीसद फैकेल्टी की कमी मिली। मान्यता नहीं मिलने की जानकारी जब सरकार को हुई तो शुक्रवार को स्वास्थ्य विभाग के विशेेष कार्य पदाधिकारी शिशिर कुमार ने स्थानांतरित किए 21 शिक्षकों में 15 शिक्षकों को वापस बुला लिया। इनमें डा. वर्षा सिन्हा, डा. राजीव कुमार लाल, डा. आलोक शर्मा, डा. अनंत कुमार पंडित, डा. निर्मजा झा, डा. हिमांशु, डा. संजीव शरण, डा. आरोही अभिनव जायसवाल, डा. रोली भारती शामिल हैं।
भागलपुर में डाक्टरों की हो गई थी कमी
जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय में डाक्टरों की कमी अब दूर होगी। यहां से डाक्टरों को वहां पर भेजे जाने से काफी परेशानी हो रही थी। स्थानीय मेडिकल कालेज से 10 अगस्त को एनाटामी, फिजियोलाजी और बायोकेमेष्ट्री के 21 डाक्टरों को पूर्णिया मेडिकल कालेज स्थानांनतरित किया गया था।

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