मौनी अमावस्या : मौन रहकर करें गंगा स्नान और दान, करें विष्णु और शिव की पूजा, जानिए.. मुहूर्त
मौनी अमावस्या आज मौनी अमावस्या है। गुरुवार को मौनी अमावस्या होने से यह दिन और विशेष महत्व का हो गया है। इस दिन गंगा स्नान करने और दान का विशेष महत्व है। भगवान विष्णु और शिव की पूजा करने से मनोवांक्षित फल मिलता है।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। मौनी अमावस्या गुरुवार को होगा। इसको लेकर सुबह होते ही शहर और आसपास के गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं की सैलाब उमड़ेगी। मौनी अमावस्या पर मौन रहकर स्नान करने दान-पुण्य करने का विशेष महत्व है। स्नान-ध्यान कर भगवान विष्णु और शिव जी की पूजा का विधान है।
अमावस्या तिथि का प्रवेश बुधवार की रात्रि से शुरू हो गई है जो गुरुवार की रात्रि 11:59 तक रहेगा।
पं. प्रदीप मिश्रा ने बताया कि मौनी अमावस्या पर गंगा स्नान करने का विशेष महत्व है।
इस तिथि को पवित्र गंगा, नदियों, तालाबों में स्नान के बाद अपने सामर्थ के अनुसार अन्न, वस्त्र, धन, गौ, भूमि, तथा स्वर्ण इच्छा के अनुसार दान करना चाहिए। इस दिन तिल दान करना भी उत्तम माना गया है। इस तिथि को मौनी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। व्रत करने वाले को पूरे दिन मौन व्रत का पालन करना चाहिए। यह योग पर आधारित व्रत कहलाता है।
साधु -संतों की तरह चुपचाप होकर गंगा स्नान, पूजा करने के बाद बातचीत करनी चाहिए। जरुरत पडऩे पर इशारों में ही बात करनी चाहिए। अगर यह भी संभव नहीं हो तो अपने मुख से इस दिन कोई ऐसा बचन न निकालें, जिससे दूसरे को कष्ट पहुंचे। इस तिथि को भगवान विष्णु और शिवजी की पूजा का करनी चाहिए। वास्तव में शिव और विष्णु दोनों एक ही हैं, जो भक्तों के कल्याण के दो स्वरूप को धारण करते हैं। इस बात का उल्लेख स्वयं भगवान ने किया है। पीपल में आघ्र्य देकर परिक्रमा और दीप दान का विधान बताया गया है। जिनके लिए व्रत करना संभव नहीं हो उन्हें मीठा भोजन करना चाहिए।
मौनी अमावस्या पर नहीं चलेंगे प्राइवेट नाव
मौनी अमावस्या के मौके पर प्राइवेट नावों के परिचालन पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। गुरुवार को प्राइवेट नाव का परिचालन नहीं होगा। इस आशय का आदेश अनुमंडल दंडाधिकारी आशीष नारायण ने बुधवार को जारी किया है। जारी आदेश में अनुमंडल दंडाधिकारी ने कहा है कि मौनी अमावस्या पर श्रद्धालु द्वारा स्नान व दान करने की परंपरा है। श्रद्धालु एक घाट से दूसरे घाट व छारण नाव पर सवार होकर जाते हैं। इससे दुर्घटना की संभावना रहती है। कभी-कभी दुर्घटना के कारण जान-माल की क्षति होती है। खतरनाक घाटों एवं गहरे पानी में स्नान व पूजा करने शांति व विधि व्यवस्था के भंग होने और गंभीर आपदा की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। खतरनाक घाटों एवं गहरे पानी में स्नान व पूजा करने पर रोक लगा दी गई है। इन क्षेत्रों में निषेधाज्ञा जारी कर दी गई है। बीडीओ, सीओ और संबंधित थानाध्यक्ष को आदेश का अनुपालन सुनिश्चित कराने के लिए कहा गया है। अगर कहीं किसी प्रकार दुर्घटना होती है तो संबंधित थानाध्यक्ष को दोषी ठहराया जाएगा। आदेश का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। घाटों पर पटाखा छोडऩे और आतिशबाजी पर रोक लगा दी गई है। आदेश का उल्लंघन करने वालों को दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।

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