'पीला सोना' बन रहा चुनावी मुद्दा: बिहार में मक्का किसान परेशान, 2200 से घटकर 900 पर आया भाव
बिहार में मक्का का मक्का कहे जाने वाले छह जिलों के किसानों की दुर्दशा शुरू हो गई है। पीला सोना की कीमत नहीं मिल पाने के कारण किसानों की मायूसी इस बार ...और पढ़ें

खगड़िया, निर्भय कुमार। बिहार में मक्का का 'मक्का' कहे जाने वाले छह जिलों के किसानों की दुर्दशा शुरू हो गई है। 'पीला सोना' की कीमत नहीं मिल पाने के कारण किसानों की मायूसी इस बार चुनावी मुद्दा बन रही है। मक्के के लिए प्रसिद्ध खगड़िया में बंपर उपज होने के बाद भी सन्नाटा पसरा है। पिछले साल इलाका व्यापारियों से गुलजार था, इस दफे 'पीला सोना' औने-पौने दाम पर भी नहीं बिक रहा है। पिछले साल 2200 रुपये क्विंटल बिक्री हुई थी, इस बार 1000-1200 रुपये पर भी आफत है। मक्के का भाव 900 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गया है।
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कोसी का इलाका खेती के लिए प्रसिद्ध
कोसी और सीमांचल के करीब एक दर्जन विधानसभा क्षेत्र मक्का उत्पादन के लिए प्रसिद्ध हैं, जबकि व्यापारिक गतिविधियों को लेकर दो दर्जन विधानसभा क्षेत्र इससे प्रभावित होते हैं। हर ओर मक्के की ही चर्चा है। यह बात नेताओं को भी समझ में आ रही है, सो यह धीरे-धीरे सियासी मुद्दे में भी शुमार हो रहा है। वहीं, किसान अपना दुखड़ा रोते हुए बताते हैं कि इस बार लागत लागत निकाल पाना भी मुश्किल है।
लागत खर्च निकालना भी मुश्किल
बेलदौर प्रखंड के महिनाथनगर गांव के किसान संतोष ङ्क्षसह बताते हैं कि एक हेक्टेयर खेती में 25 से 30 हजार रुपये खर्च होता है। प्रति हेक्टेयर करीब 65 क्विंटल की उपज हुई है, लेकिन खरीदार नहीं मिल रहे। जो आ भी रहे, वे 1000-1100 रुपये क्विंटल की दर तय कर रहे हैं। रामपुर अलौली के किसान रामसोगारत सिंह ने कहा कि बीते वर्ष 1800 से 2200 रुपये प्रति क्विंटल मक्का बेचा था। इस साल अधिकतम 1180 रुपये की दर है। जिसने इस दर पर बेच दिया, भाग्यशाली है।
पॉल्ट्री फॉर्म बंद रहने से भी हो रही प्रॉब्लम
स्थानीय मक्का व्यवसायी रामशरण साह ने कहा कि बीते वर्ष 2200 रुपये क्विंटल तक मक्का खरीदा। इस बार सहरसा के व्यवसायी भी मक्का लेने में हिचकिचा रहे हैं। मुर्गे के दाने के लिए दूर-दूर से व्यवसायी आते थे, लॉकडाउन के कारण पॉल्ट्री फाॅर्म भी प्रभावित हुआ है। युवा व्यवसायी अनिल कुमार सिंह बताते हैं कि इस साल बाजार दर बहुत कम है। रैक प्वाइंट पर ही मक्का 1210 रुपये प्रति क्विंटल लोड हो रहा है तो किसानों को कितना मिलेगा।
पक्ष-विपक्ष आमने-सामने
अलौली विधानसभा क्षेत्र के राजद विधायक चंदन कुमार कहते हैं कि खगड़िया की अर्थव्यवस्था मक्के पर ही टिकी है, लेकिन किसान औने-पौने दाम पर फसल बेचने को मजबूर हैं। यह सरकार की विफलता है। सरकार क्रय केंद्र खोलकर किसानों को उचित कीमत दे। वहीं, खगड़िया के लोजपा सांसद चौधरी महबूब अली कैसर कहते हैं कि विभागीय मंत्री से बात की गई है। लॉकडाउन का असर पड़ा है। किसान धैर्य रखें, उन्हें उचित कीमत मिलेगी। पूर्णिया के जदयू सांसद संतोष कुशवाहा कहते हैं कि उन्होंने यह मामला सदन के संज्ञान में लाया है। मुख्यमंत्री को भी मक्का किसानों की समस्याओं से अवगत कराया है। सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित कर दिया है। जल्द ही सरकारी स्तर पर इसकी खरीदारी शुरू होगी।
कहां-कहां होती है खेती
खगड़िया जिले में 50 हेक्टेयर में खेती होती है। यहां 3.85 लाख टन की उपज है। सहरसा जिले के सिमरी बख्तियारपुर व सोनवर्षा और मधेपुरा के आलमनगर विधानसभा क्षेत्र में भी मक्के की खेती होती है। पूर्णिया का रुपौती, धमदाहा, कसबा, पूर्णिया सदर और बासी विधानसभा क्षेत्र मक्के के लिए प्रसिद्ध है।
क्या कहते हैं अधिकारी
खगड़िया जिले में 50 हजार हेक्टेयर में मक्के की खेती होती है। 3.85 लाख टन उत्पादन होता है। मक्के का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1760 रुपये क्विंटल निर्धारित है। अधिप्राप्ति केंद्र शुरू करने के लिए अभी दिशा-निर्देश नहीं मिला है।
- दिनकर प्रसाद सिंह, जिला कृषि पदाधिकारी, खगड़िया

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