... कभी यहां आए थे महात्मा बुद्ध, चखा था अंग के कतरनी चावल का स्वाद
महात्मा बुद्ध का अंग क्षेत्र से काफी लगाव रहा है। वे यहां के कतरनी चावल का स्वाद चख चुके हैं। 1914 में लेखक नंदू लाल डे ने विभिन्न स्रोतों के शोध से यह जानकारी दी है। मगध सम्राट बिम्बिसार महात्मा बुद्ध की सेवा में चावल ले गए थे।

भागलपुर [बलराम मिश्र]। बांका जिले के अमरपुर प्रखंड स्थित भदरिया गांव में मिले पौराणिक अवशेष पुरातत्व विभाग को भेजे जा चुके हैं। इससे पूर्व भी कुछ खंडित मूर्तियां डुमरामा गांव क्षेत्र के एक तालाब से मिली हैं। जिसे देखकर उसे महात्मा बुद्ध के होने का अनुमान लगाया जा चुका है।
एक शोध में लिखा गया है कि अंग प्रदेश के कतरनी का स्वाद महात्मा बुद्ध ने भी चखा था। इस शोध को लेकर सुंदरवती महिला महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. रमन सिन्हा ने अपने लेख से इसके बारे में जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि युगल किशोर मिश्र ने अपने शोध सोशियो इकोनॉमिक एंड पॉलिटिकल हिस्ट्री ऑफ ईस्टर्न इंडिया में मूल रूप से अंग जनपद का ही अध्ययन किया है। उन्होंने अपने शोध में बताया है कि बांका के चानन नदी चंपा क्षेत्र में आकर चंपा नदी कहलाती है। पौराणिक काल में उसका संबंध मगध से था।
चानन और उनकी सहायक नदियों के किनारे बसे खेतों में उत्तम किस्म के खुशबूदार कतरनी चावल पूर्व में भी उपजाया जाता था। इसकी प्रसिद्धि इतनी थी कि मगध शासक बिम्बिसार की रसोई की भी शान बनी। यहीं नहीं महात्मा बुद्ध को भी कतरनी ने प्रभावित किया। डॉ. रमन सिन्हा ने शोध के बारे में बताया कि उसमें लिखा गया है कि मगध शासक बिम्बिसार कतरनी चावल लेकर खुद गौतम बुद्ध की सेवा में गए थे। डॉ. सिन्हा ने बताया कि 1914 में विभिन्न स्त्रोतों के अध्ययन से यह जानकारी लेख नंदूलाल डे ने दी थी।
श्री डे ने यह बात आर्टिकल ऑन एंसिएंट अंग ऑर द डिस्ट्रिक्ट ऑफ भागलपुर में लिख है। यह शोध आलेख जर्नल में भी प्रकाशित हुआ है। चंपा को तत्कालीन इतिहास में वैश्विक बनाने का बहुत बड़ा श्रेरू चानन नदी सहित इसकी उपधाराओं नाडा, अंधरी को जाता है। डॉ. सिन्हा ने टीएमबीयू की पत्रिका चंपा में भी इस लेख को लिखा है। जिसमें चंपा की महत्ता और उसके गौतम बुद्ध से जुड़े होने के बारे में जानकारी दी है।
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